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राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही करने वाले चिकित्सक पर लगाया 10 लाख जुर्माना

राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही से हुई मौत मामले में जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण-3 के आदेश को सही मानते हुए अपीलार्थी चिकित्सक को एक माह में ब्याज सहित 10 लाख रुपये की हर्जाना राशि अदा करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश डॉ. प्रीति शर्मा की अपील को खारिज करते हुए दिए.

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राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज में लापरवाही करने वाले चिकित्सक पर लगाया जुर्माना
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Published : Mar 5, 2020, 6:19 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज के दौरान लापरवाही के चलते मरीज की मौत के मामले में जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण क्रम तृतीय, जयपुर के आदेश को सही मानते हुए अपीलार्थी चिकित्सक को एक माह में ब्याज सहित 10 लाख रुपए की हर्जाना राशि अदा करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश डॉ. प्रीति शर्मा की अपील को खारिज करते हुए दिए. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती गई जिसके चलते मरीज की मौत हुई है.

अपील में कहा गया कि अपीलार्थी की ओर से सावधानीपूर्वक मरीज का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के बाद कार्डिक अरेस्ट होने के चलते मरीज की मौत हुई थी. ऐसे में जिला मंच के आदेश को रद्द किया जाए. जिसका विरोध करते हुए परिवादी राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि उसकी पत्नी आशा को बच्चेदानी में तकलीफ होने के कारण 22 जून 2005 को दुर्लभजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां 24 जून को अपीलार्थी डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन किया.

पढ़ें- दुष्कर्म से गर्भवती पीड़िताओं को क्यों देना पड़ रहा संतान को जन्म? : हाईकोर्ट

ऑपरेशन के दौरान बड़ी आंत काटकर खुली छोड़ दी गई. जिससे पूरे शरीर में अपशिष्ट फैल गया और मरीज की मौत हो गई. मामले में उपभोक्ता मंच की ओर से 1 अगस्त 2016 को अपीलार्थी और अस्पताल पर लगाया गया हर्जाना सही है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने अपील को खारिज करते हुए एक माह में हर्जाना राशि अदा करने को कहा है.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज के दौरान लापरवाही के चलते मरीज की मौत के मामले में जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण क्रम तृतीय, जयपुर के आदेश को सही मानते हुए अपीलार्थी चिकित्सक को एक माह में ब्याज सहित 10 लाख रुपए की हर्जाना राशि अदा करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश डॉ. प्रीति शर्मा की अपील को खारिज करते हुए दिए. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती गई जिसके चलते मरीज की मौत हुई है.

अपील में कहा गया कि अपीलार्थी की ओर से सावधानीपूर्वक मरीज का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के बाद कार्डिक अरेस्ट होने के चलते मरीज की मौत हुई थी. ऐसे में जिला मंच के आदेश को रद्द किया जाए. जिसका विरोध करते हुए परिवादी राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि उसकी पत्नी आशा को बच्चेदानी में तकलीफ होने के कारण 22 जून 2005 को दुर्लभजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां 24 जून को अपीलार्थी डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन किया.

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ऑपरेशन के दौरान बड़ी आंत काटकर खुली छोड़ दी गई. जिससे पूरे शरीर में अपशिष्ट फैल गया और मरीज की मौत हो गई. मामले में उपभोक्ता मंच की ओर से 1 अगस्त 2016 को अपीलार्थी और अस्पताल पर लगाया गया हर्जाना सही है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने अपील को खारिज करते हुए एक माह में हर्जाना राशि अदा करने को कहा है.

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