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जयपुर: इलाज में लापरवाही पर दोषी डॉक्टर और अस्पताल पर हर्जाना, ऑपरेशन के दौरान पेट में छोड़ दी थी कपड़े की गांठ

राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज के दौरान लापरवाही बरतने पर गीतांजलि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सहित ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता पर 17 लाख 34 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने यह आदेश स्वेच्छा कोठारी के परिवाद पर दिए हैं.

Action of State Consumer Commission
राज्य उपभोक्ता आयोग की कार्रवाई
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Published : Oct 8, 2021, 6:48 PM IST

जयपुर. चिकित्सीय कार्यों में की गई लापरवाही डॉक्टर और अस्पताल को भारी पड़ी है. राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज के दौरान लापरवाही बरतने पर गीतांजलि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सहित ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता पर 17 लाख 34 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने यह आदेश स्वेच्छा कोठारी के परिवाद पर दिए हैं.


परिवाद में कहा गया कि परिवादी के नाक के अंदर का मांस बढ़ गया था. इस पर परिवादी के परिजन 10 अप्रैल 2008 को परिवादी को गीतांजलि अस्पताल लेकर गए थे. जहां 11 अप्रैल को बिना सीटी स्कैन किए उसका ऑपरेशन कर दिया गया. जिससे परिवादी को ब्रेन हेमरेज हो गया. इसके कारण कारण परिवादी को अहमदाबाद जाकर ब्रेन का ऑपरेशन करना पड़ा.

पढ़ें. राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्ति के लिए पांच और नामों पर सहमति

परिवाद में कहा गया कि ब्रेन हेमरेज होने के चलते परिवादी अपना सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकेगी. वह ना तो वाहन चला सकेगी और न ही पानी के पास जा सकेगी. इसके साथ ही ऊंची चढ़ाई के लिए भी असक्षम हो गई है. ऐसे में उसे क्षतिपूर्ति दिलाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने अस्पताल और चिकित्सक पर कुल 17 लाख 34 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसी तरह आयोग ने सिजेरियन डिलीवरी के दौरान कपड़े की गांठ अंदर छोड़ने पर ब्यावर के श्री हॉस्पिटल और डॉ. अनीता पर भी 25 लाख 67 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने हर्जाना राशि ब्याज सहित परिवादी गीता को अदा करने के निर्देश भी दिए हैं.

जयपुर. चिकित्सीय कार्यों में की गई लापरवाही डॉक्टर और अस्पताल को भारी पड़ी है. राज्य उपभोक्ता आयोग ने इलाज के दौरान लापरवाही बरतने पर गीतांजलि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सहित ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता पर 17 लाख 34 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने यह आदेश स्वेच्छा कोठारी के परिवाद पर दिए हैं.


परिवाद में कहा गया कि परिवादी के नाक के अंदर का मांस बढ़ गया था. इस पर परिवादी के परिजन 10 अप्रैल 2008 को परिवादी को गीतांजलि अस्पताल लेकर गए थे. जहां 11 अप्रैल को बिना सीटी स्कैन किए उसका ऑपरेशन कर दिया गया. जिससे परिवादी को ब्रेन हेमरेज हो गया. इसके कारण कारण परिवादी को अहमदाबाद जाकर ब्रेन का ऑपरेशन करना पड़ा.

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परिवाद में कहा गया कि ब्रेन हेमरेज होने के चलते परिवादी अपना सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकेगी. वह ना तो वाहन चला सकेगी और न ही पानी के पास जा सकेगी. इसके साथ ही ऊंची चढ़ाई के लिए भी असक्षम हो गई है. ऐसे में उसे क्षतिपूर्ति दिलाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने अस्पताल और चिकित्सक पर कुल 17 लाख 34 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसी तरह आयोग ने सिजेरियन डिलीवरी के दौरान कपड़े की गांठ अंदर छोड़ने पर ब्यावर के श्री हॉस्पिटल और डॉ. अनीता पर भी 25 लाख 67 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने हर्जाना राशि ब्याज सहित परिवादी गीता को अदा करने के निर्देश भी दिए हैं.

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