ETV Bharat / city

Special: जयपुर के नगर निगम में मिले हेरिटेज दस्तावेज, उर्दू और फारसी भाषा में लिखी मिली सन् 1881 की जन्म-मृत्यु बहियां

जयपुर के हेरिटेज दस्तावेज आज भी जयपुर नगर निगम में मौजूद हैं. साल 1881 की इन बहियों में उर्दू और फारसी भाषा में तत्कालीन रियासत के जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड हैं. इस बीच जयपुर नगर निगम में मिले इन बहियों से जयपुर के उन सैकड़ों लोगों को फायदा मिल सकता है, जिनके पास अपने पूर्वजों से जुड़े दस्तावेज मौजूद नहीं है. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
जयपुर के नगर निगम में मिले हेरिटेज दस्तावेज,
author img

By

Published : Feb 13, 2020, 8:09 AM IST

जयपुर. साल 1881 के उर्दू और फारसी में लिखी जन्म मृत्यु की बहियां आज भी जयपुर नगर निगम में मौजूद हैं. जो जयपुर की समृद्धशाली विरासत और सुशासन के प्रतीक है. ये दस्तावेज राष्ट्रीय पंजीकरण प्रणाली से पहले तत्कालीन रियासत का जन्म मृत्यु रिकॉर्ड है. जिसे विरासत के तौर पर संरक्षित रखते हुए डिजिटलाइज किया जा रहा है.

जयपुर के नगर निगम में मिले हेरिटेज दस्तावेज, देखें स्पेशल रिपोर्ट

जयपुर के हेरिटेज दस्तावेज मिले

हाल ही में जयपुर को यूनेस्को की ओर से विश्व विरासत के खिताब से नवाजा गया और अब जयपुर नगर निगम के बेसमेंट में दस्तावेजों के ढेर के बीच जयपुर के हेरिटेज दस्तावेज भी मिले हैं. साल 1881 की इन बहियों में उर्दू और फारसी भाषा में तत्कालीन रियासत के जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड है.

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
सन् 1881 की बहियां

पढ़ें- जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल किए जाने पर सैलानियों ने जताई खुशी

1881 की जन्म-मृत्यु बहियां

इस संबंध में इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि महाराजा सवाई राम सिंह के अंतिम काल में 1875 से 1880 के बीच जयपुर में जन्म रजिस्ट्रेशन का काम जयपुर के मेयो अस्पताल में शुरू किया गया था. इसी तरह श्मशान घाट पर भी एक रजिस्टर होता था. जिस में किस व्यक्ति की किस वजह से मौत हुई है, इसकी जानकारी लिखी जाती थी. उन्होंने बतायाकि प्रोफेसर हैंडले के पास ये जानकारी इकट्ठा हुआ करती थी, उस समय ऑफिशल भाषा उर्दू और फारसी हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि जयपुर में तब दाई हुआ करती थी, जो मोहल्ला प्रमुख को जन्मे बच्चे की जानकारी दिया करती थी और मोहल्ला प्रमुख हर महीने पूरी जानकारी संबंधित विभाग तक पहुंचाया करते थे.

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
उर्दू और फारसी भाषा में लिखी जन्म-मृत्यु बहियां

पढ़ें- जयपुर की विरासत : राज परिवार और आम जनता के लिए बना हुआ था अलग-अलग हेरिटेज वॉक वे

दस्तावेजों को डिजिटलाइज कर रहा जयपुर नगर निगम

वहीं अब इन दस्तावेजों की हेरिटेज वैल्यू को समझते हुए जयपुर नगर निगम इन्हें नुकसान पहुंचाए बिना, डिजिटलाइज कर रहा है. निगम एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया कि जयपुर नगर निगम ने 1952 के बाद के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज कर लिया है. 1947 से 1952 का रिकॉर्ड जिल्दशुदा रजिस्टर में है, जबकि आजादी से पहले के कुछ दस्तावेज उर्दू भाषा में मौजूद है, चूंकि वो काफी पुराने डॉक्यूमेंट है, और बहुत ही नाजुक स्थिति में हैं. ऐसे में उन्हें तकनीकी सहायता से स्कैन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों की हेरिटेज वैल्यू है, जिन्हें संरक्षित करने के लिए निगम कटिबद्ध है.

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
जयपुर नगर निगम में रखे हुए पुराने दस्तावेज

बहरहाल, देश में अभी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इस बीच जयपुर नगर निगम में मिले इन बहियों से जयपुर के उन सैकड़ों लोगों को फायदा मिल सकता है, जिनके पास अपने पूर्वजों से जुड़े दस्तावेज मौजूद नहीं है.

जयपुर. साल 1881 के उर्दू और फारसी में लिखी जन्म मृत्यु की बहियां आज भी जयपुर नगर निगम में मौजूद हैं. जो जयपुर की समृद्धशाली विरासत और सुशासन के प्रतीक है. ये दस्तावेज राष्ट्रीय पंजीकरण प्रणाली से पहले तत्कालीन रियासत का जन्म मृत्यु रिकॉर्ड है. जिसे विरासत के तौर पर संरक्षित रखते हुए डिजिटलाइज किया जा रहा है.

जयपुर के नगर निगम में मिले हेरिटेज दस्तावेज, देखें स्पेशल रिपोर्ट

जयपुर के हेरिटेज दस्तावेज मिले

हाल ही में जयपुर को यूनेस्को की ओर से विश्व विरासत के खिताब से नवाजा गया और अब जयपुर नगर निगम के बेसमेंट में दस्तावेजों के ढेर के बीच जयपुर के हेरिटेज दस्तावेज भी मिले हैं. साल 1881 की इन बहियों में उर्दू और फारसी भाषा में तत्कालीन रियासत के जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड है.

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
सन् 1881 की बहियां

पढ़ें- जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की सूची में शामिल किए जाने पर सैलानियों ने जताई खुशी

1881 की जन्म-मृत्यु बहियां

इस संबंध में इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि महाराजा सवाई राम सिंह के अंतिम काल में 1875 से 1880 के बीच जयपुर में जन्म रजिस्ट्रेशन का काम जयपुर के मेयो अस्पताल में शुरू किया गया था. इसी तरह श्मशान घाट पर भी एक रजिस्टर होता था. जिस में किस व्यक्ति की किस वजह से मौत हुई है, इसकी जानकारी लिखी जाती थी. उन्होंने बतायाकि प्रोफेसर हैंडले के पास ये जानकारी इकट्ठा हुआ करती थी, उस समय ऑफिशल भाषा उर्दू और फारसी हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि जयपुर में तब दाई हुआ करती थी, जो मोहल्ला प्रमुख को जन्मे बच्चे की जानकारी दिया करती थी और मोहल्ला प्रमुख हर महीने पूरी जानकारी संबंधित विभाग तक पहुंचाया करते थे.

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
उर्दू और फारसी भाषा में लिखी जन्म-मृत्यु बहियां

पढ़ें- जयपुर की विरासत : राज परिवार और आम जनता के लिए बना हुआ था अलग-अलग हेरिटेज वॉक वे

दस्तावेजों को डिजिटलाइज कर रहा जयपुर नगर निगम

वहीं अब इन दस्तावेजों की हेरिटेज वैल्यू को समझते हुए जयपुर नगर निगम इन्हें नुकसान पहुंचाए बिना, डिजिटलाइज कर रहा है. निगम एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया कि जयपुर नगर निगम ने 1952 के बाद के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज कर लिया है. 1947 से 1952 का रिकॉर्ड जिल्दशुदा रजिस्टर में है, जबकि आजादी से पहले के कुछ दस्तावेज उर्दू भाषा में मौजूद है, चूंकि वो काफी पुराने डॉक्यूमेंट है, और बहुत ही नाजुक स्थिति में हैं. ऐसे में उन्हें तकनीकी सहायता से स्कैन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों की हेरिटेज वैल्यू है, जिन्हें संरक्षित करने के लिए निगम कटिबद्ध है.

Jaipur old document, Heritage Documents jaipur
जयपुर नगर निगम में रखे हुए पुराने दस्तावेज

बहरहाल, देश में अभी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इस बीच जयपुर नगर निगम में मिले इन बहियों से जयपुर के उन सैकड़ों लोगों को फायदा मिल सकता है, जिनके पास अपने पूर्वजों से जुड़े दस्तावेज मौजूद नहीं है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.