जयपुर. प्रदेश में कोरोना का पहला मामला 2 मार्च को सामने आया था. जिसके बाद पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने लगी. हालांकि सरकार का कहना है कि कोरोना की रोकथाम के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. लेकिन अब प्रदेश में पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा दस हजार पार कर चुका है, जो चिंता का विषय बन गया है.
बता दें कि देश सहित प्रदेश में संक्रमण का दायरा हर दिन बढ़ता जा रहा है. आशंका जताई जा रही है कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले आने वाले दिनों में और तेजी से बढ़ेंगे.
1 मरीज से लेकर 10 हजार तक का आंकड़ा
प्रदेश में पहला मामला 2 मार्च को सामने आया था. हालांकि, पहले पॉजिटिव के बाद अगले 1000 मामले लगभग 25 दिन के भीतर देखने को मिले, लेकिन इसके बाद संक्रमण प्रदेश में काफी तेज गति से फैलने लगा और महज 8 से 10 दिन के अंदर 1000 संक्रमित व्यक्ति सामने आने लगे.
संक्रमण किस गति से फैल रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में 1 जून को 9100 मामले सामने आए और 5 जून तक पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 10084 पहुंच गया.
रिकवरी रेट बढ़ा
प्रदेश में जहां पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, तो वहीं रिकवर्ड मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. बता दें कि प्रदेश में अब तक 7384 मरीज रिकवर हो चुके हैं. जिसके चलते रिकवरी प्रतिशत करीब 70% तक पहुंच गया है.
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- उपलब्धियां
1. प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत
प्लाज्मा थेरेपी से इलाज में राजस्थान देशभर में दूसरा राज्य बना. इस थेरेपी से सबसे पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दो मरीजों का सफलतम इलाज किया गया. इसके बाद जोधपुर में भी प्लाज्मा थेरेपी से इलाज को मंजूरी दी गई.
2. चर्चा में रहे भीलवाड़ा, बयाना और बासनी मॉडल
प्रदेश में सबसे पहले भीलवाड़ा जिले में सबसे अधिक पॉजिटिव मरीजों की संख्या देखने को मिली थी, लेकिन भीलवाड़ा प्रशासन ने लगातार बढ़ रहे पॉजिटिव मरीजों की संख्या पर लगाम लगाई और जो मॉडल उपयोग में लाया गया, उसकी चर्चा पूरे देश भर में रही. इसके अलावा चिकित्सा विभाग ने यह भी दावा किया कि देशभर में सबसे अधिक जांचें राजस्थान में ही की जा रही है.
3. समय रहते रैपिड टेस्टिंग किट पर उठाए सवाल
कोरोना वायरस की जांच के लिए भारत सरकार ने चीन से रैपिड टेस्टिंग किट मंगवाए और इस किट से राजस्थान में भी मरीजों की जांच की गई, लेकिन राज्य सरकार ने इस टेस्टिंग किट पर सवाल उठाए और कहा कि इससे मिलने वाले रिजल्ट ठीक नहीं है. सरकार ने कहा कि यह किट पॉजिटिव मरीजों को भी नेगेटिव बता रही है. जिसके बाद राज्य सरकार ने एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जिसके बाद पूरे देश में रैपिड टेस्टिंग किट से जांच पर रोक लगाई गई.
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- विफलताएं
1. रामगंज में विफल रहा भीलवाड़ा मॉडल
भले ही सरकार ने भीलवाड़ा मॉडल से वाहवाही बटोरी हों लेकिन यही मॉडल जयपुर के रामगंज में विफल नजर आया. लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों ने प्रशासन की पकड़ और सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए.
2. महाकर्फ्यू तक विफल
जयपुर के रामगंज में पहला मामला आने के बाद में चारदिवारी क्षेत्र के कई थाना इलाकों में महाकर्फ्यू तक लगाया गया. लेकिन कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें महा कर्फ्यू टूटा और लोग बाहर निकल अन्य जिलों तक पहुंच गए. कोटा और सीकर में कोरोना संक्रमण के पहले मामले इसी विफलता की देन हैं. यहां तक कि शुरूआती दौर में कोरोना संक्रमण केवल रामगंज थाना क्षेत्र में ही था, लेकिन धीरे-धीरे मामले पूरे जयपुर के कई थाना क्षेत्रों तक पहुंच गए.
3. सैंपल को लेकर उठे सवाल
जयपुर के रामगंज में स्वास्थ्य विभाग की सैंपलिंग भी सवालों के घेरे में रही. कई बार सरकार पर टेस्टिंग घटाने के आरोप भी लगे. वहीं, पर्यटन मंत्री के निजी ड्राइवर की कोरोना जांच भरतपुर में जब एसएमएस अस्पताल में कराई गई तो पॉजिटिव पाई गई, जबकि भरतपुर में उसी सैंपल की जांच नेगेटिव आई. ऐसे में विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को खूब घेरा.
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प्रदेश में अब तक के ताजा आंकड़े
प्रदेश में अब तक 4,80,910 लोगों की सैंपलिंग की जा चुकी है. जिसमें 4,65,349 सैंपल नेगेटिव आए हैं. 5433 लोगों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है. प्रदेश में अब तक 7384 पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. वहीं 6855 मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. वहीं अब तक प्रदेश में 219 लोगों की मौत इस बीमारी से हो चुकी और अभी तक प्रदेश में 2525 एक्टिव केस कोरोना के मौजूद है. जिसमें 2924 प्रवासी शामिल है.