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SPECIAL : जयपुर जेडीसी गौरव गोयल से खास मुलाकात...जानिये जेडीए एक्ट की धारा 44 और भूमि अधिग्रहण के बारे में

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Published : Mar 4, 2021, 9:53 PM IST

शहर के किसी प्रोजेक्ट या विकास कार्य के बीच कुछ स्ट्रक्चर या काश्तकार/खातेदार की जमीन आती है. भूमि अधिग्रहण के लिए सहमति बनाना कठिन होता है. मुआवजे के लिए इन्हें तैयार करना बड़ी चुनौती है. राजधानी में ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जो जेडीए और काश्तकार के बीच रजामंदी नहीं होने के चलते अटके पड़े हैं. जयपुर जेडीसी गौरव गोयल ने की इन्हीं चुनौतियों पर खास बात..

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
जयपुर के विकास की राह में हैं कई चुनौतियां

जयपुर. जेडीए को लगातार बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने और शहर में आवश्यक विस्तार के लिए जिम्मेदार बनाया गया है. ताकि प्रभावी निगरानी और विनियमन के साथ स्थाई और व्यवस्थित विकास सुनिश्चित हो सके. जब भी कोई नई योजना, सड़क विस्तार या फ्लाईओवर निर्माण किया जाता है तो जेडीए के सामने भूमि अधिग्रहण करने की सबसे बड़ी चुनौती होती है. इस चुनौती से कैसे पार पाया जाता है. इस बारे में ईटीवी भारत ने बात की जेडीसी गौरव गोयल से...

जेडीसी गौरव गोयल से खास मुलाकात (भाग 1)

अमूमन शहर के किसी प्रोजेक्ट या विकास कार्य के बीच कुछ स्ट्रक्चर या काश्तकार/खातेदार की जमीन आती है. जिन्हें संतुष्ट करने के लिए मुआवजे के तौर पर पैसा या आवासीय/व्यवसायिक जमीन दी जाती है. राजधानी में ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जो जेडीए और काश्तकार के बीच रजामंदी नहीं होने के चलते अटके पड़े हैं. अब इन प्रोजेक्ट्स को जेडीए की धारा 44 के तहत सुलझाया जा रहा है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
क्या है जेडीए एक्ट की धारा 44

शहर की सीकर रोड स्थित लोहामंडी योजना, अजमेर रोड स्थित वेस्टवे हाइट्स योजना जैसे जेडीए के कई प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण करने के दौरान काश्तकार और जेडीए के बीच उलझ गए. इन प्रोजेक्ट को अब अदालत के बाहर है जेडीए एक्ट की धारा 44 के तहत काश्तकार खातेदार की रूचि को प्राथमिकता देते हुए सुलझाने की कोशिश की जा रही है.

पढ़ें- जयपुर: सड़क हादसों को देखते हुए एलिवेटेड रोड पर लगेगा Night Vision Camera

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जेडीसी गौरव गोयल ने भूमि अधिग्रहण को लेकर सेक्शन 44 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ट्रैफिक इंप्रूवमेंट के प्रोजेक्ट एलिवेटेड रोड, अंडरपास बनाने में कम से कम लैंड एक्विजिशन हो, कम से कम समस्याएं आए, इसके लिए स्लीक और स्टील स्ट्रक्चर प्लान किए जाते हैं.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
जेडीए एक्ट की धारा 44 में प्रावधान

जहां लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है वहां सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने, नई सड़कें निकालने, फ्लाईओवर बनाने की आवश्यक होता है. उसके लिए अनिवार्य अधिग्रहण कानून है. जेडीए एक्ट की धारा 44 के तहत आपसी सहमति से भूमि क्रय करने के प्रावधान हैं. इसमें काश्तकारों की जितनी जमीन अधिग्रहण करनी है, उनकी जमीन कितनी चौड़ी सड़क पर स्थित है, जमीन की प्रकृति क्या है (आवासीय, व्यावसायिक और कृषि) उसके अनुसार वर्तमान मार्केट रेट से मूल्यांकन कर राशि के अलावा विकसित जमीन का भी प्रस्ताव दिया जाता है.

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जयपुर विकास प्राधिकरण

सरकार की जो पॉलिसी के तहत विभिन्न विकल्प

सामान्य रूप से यदि कृषि भूमि अधिग्रहण की जाती है, तो उसके मुआवजे के रूप में 25% विकसित भूमि, जिसमें 20% आवासीय और 5% व्यवसायिक जमीन का प्रावधान है. यदि रिंग रोड पर जमीन अधिग्रहण की गई है तो स्पेशल प्रोजेक्ट होने के चलते 25% मिश्रित जमीन काश्तकारों/खातेदारों को देने का प्रावधान है. यदि किसी सेक्टर रोड पर जमीन अधिग्रहण की जाती है और वहां सेक्टर कमर्शियल का प्रोविजन है, तो वहां 25% सेक्टर कमर्शियल का प्रावधान है. यदि किसी योजना में उचित आवासीय भूमि उपलब्ध नहीं है तो 20+5 की बजाय 15% व्यवसायिक जमीन भी दी जा सकती है. यदि व्यावसायिक जमीन उपलब्ध नहीं हो तो 20+5 के जगह 30% आवासीय जमीन भी दी जा सकती हैं

पढ़ें- जयपुर में बनने वाला आरसीए का स्टेडियम होगा आधुनिक, कंपनी ने दिया प्रेजेंटेशन

स्ट्रक्चर मुआवजे का प्रावधान

जेडीसी गौरव गोयल ने बताया कि भूमि का स्वामित्व जिस व्यक्ति या संस्था के नाम पर है. उन्हें तो जमीन का मुआवजा दिया जाता है. यदि कोई स्ट्रक्चर है, तो उसका वर्तमान बीएसआर रेट पर मूल्यांकन कर स्ट्रक्चर का भी मुआवजा दिया जाता है.

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जयपुर के विकास की राह में हैं कई चुनौतियां

कई बार ऐसे प्रकरण भी आते हैं कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग मकान बनाकर रहते हैं. तो उनको पुनर्वास नीति के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग का मकान उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है. उन्हें पुनर्वासित करने के बाद ही जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की जाती है.

जेडीसी गौरव गोयल से खास मुलाकात (भाग 2)

झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड प्रकरण :

झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड की बात की जाए तो उसमें कालवाड रोड की तरफ करीब 600 दुकानें हैं. जो इस निर्माण से प्रभावित हो रही हैं. जिन का पुनर्वास किया जाना है. उसके लिए जेडीए ने झोटवाड़ा औद्योगिक क्षेत्र के पास निवारू रोड पर जमीन देखी है. उस पर प्लानिंग की जा चुकी है.

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झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट में 600 दुकानें प्रभावित

अधिकतर दुकानदार उसके लिए सहमत भी हैं. जेडीसी ने बताया कि चूंकि ये जमीन जिला प्रशासन के कार्यालयों के लिए आरक्षित थी. ऐसे में जमीन जेडीए के नाम करने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है.

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भूमि अधिग्रहण के लिए सहमति बनाकर की जाती है कार्रवाई

जल्द ही उस जमीन को जेडीए में आवंटित करा कर दुकानदारों के पुनर्वास की जो योजना बनाई गई है. उसके अनुरूप प्रभावित दुकानों की लॉटरी निकलवाई जाएगी.

पढ़ें- न्यू ट्रांसपोर्ट नगर की 40 बीघा जमीन और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को आवंटित जमीन से अतिक्रमण हटाया

नींदड़ आवासीय योजना प्रकरण :

बहुचर्चित नींदड़ आवासीय योजना में दो समितियां बनी हुई हैं. एक संघर्ष समिति है, एक आरक्षण पत्रधारी किसानों की समिति है. जेडीए ने दोनों से वार्ता की है. चूंकि भूमि अधिग्रहण कानून का मूल भाव है कि अधिकतम लोगों के हित में यदि भूमि अधिग्रहण की जानी है. तो जिस खातेदार/काश्तकार की जमीन अधिग्रहण की जा रही है उसे उस जमीन का पर्याप्त मुआवजा मिले.

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प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा करते जेडीसी गौरव गोयल

यदि उसकी रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है, तो उसे पुनर्वासित भी किया जाए. इसे लेकर नींदड़ के किसानों की कुछ मांगे हैं. उनकी मांगों का प्रस्ताव बनाकर नीतिगत निर्णय के लिए राज्य सरकार को भेजा है.

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रिंग रोड प्रोजेक्ट में अधिग्रहण के तहत दी जाती है 25 फीसदी मिश्रित जमीन

जेडीसी गौरव गोयल ने जेडीए एक्ट सेक्शन 44 को प्रोग्रेसिव लॉ बताते हुए कहा कि वर्तमान नीति के तहत काश्तकारी या जमीन मालिक की रुचि को प्राथमिकता दी जाती है. इसी मंशा के साथ हाल ही में लोहा मंडी और वेस्टवे हाइट में जमीन अधिग्रहण से जुड़े विवादों का समाधान करने के लिए एंपावर्ड कमेटी की बैठक में नीतिगत निर्णय लिए गए हैं.

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आर्थिक कमजोर वर्ग को अफोर्डेबल आवास योजना के तहत दिया जाता है मुआवजा

कई अन्य प्रकरण जो लंबे समय से विवादित हैं. उन्हें भी यूडीएच मंत्री के निर्देश पर समाधान की ओर ले जाया जा रहा है.

जयपुर. जेडीए को लगातार बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने और शहर में आवश्यक विस्तार के लिए जिम्मेदार बनाया गया है. ताकि प्रभावी निगरानी और विनियमन के साथ स्थाई और व्यवस्थित विकास सुनिश्चित हो सके. जब भी कोई नई योजना, सड़क विस्तार या फ्लाईओवर निर्माण किया जाता है तो जेडीए के सामने भूमि अधिग्रहण करने की सबसे बड़ी चुनौती होती है. इस चुनौती से कैसे पार पाया जाता है. इस बारे में ईटीवी भारत ने बात की जेडीसी गौरव गोयल से...

जेडीसी गौरव गोयल से खास मुलाकात (भाग 1)

अमूमन शहर के किसी प्रोजेक्ट या विकास कार्य के बीच कुछ स्ट्रक्चर या काश्तकार/खातेदार की जमीन आती है. जिन्हें संतुष्ट करने के लिए मुआवजे के तौर पर पैसा या आवासीय/व्यवसायिक जमीन दी जाती है. राजधानी में ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जो जेडीए और काश्तकार के बीच रजामंदी नहीं होने के चलते अटके पड़े हैं. अब इन प्रोजेक्ट्स को जेडीए की धारा 44 के तहत सुलझाया जा रहा है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
क्या है जेडीए एक्ट की धारा 44

शहर की सीकर रोड स्थित लोहामंडी योजना, अजमेर रोड स्थित वेस्टवे हाइट्स योजना जैसे जेडीए के कई प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहण करने के दौरान काश्तकार और जेडीए के बीच उलझ गए. इन प्रोजेक्ट को अब अदालत के बाहर है जेडीए एक्ट की धारा 44 के तहत काश्तकार खातेदार की रूचि को प्राथमिकता देते हुए सुलझाने की कोशिश की जा रही है.

पढ़ें- जयपुर: सड़क हादसों को देखते हुए एलिवेटेड रोड पर लगेगा Night Vision Camera

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जेडीसी गौरव गोयल ने भूमि अधिग्रहण को लेकर सेक्शन 44 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ट्रैफिक इंप्रूवमेंट के प्रोजेक्ट एलिवेटेड रोड, अंडरपास बनाने में कम से कम लैंड एक्विजिशन हो, कम से कम समस्याएं आए, इसके लिए स्लीक और स्टील स्ट्रक्चर प्लान किए जाते हैं.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
जेडीए एक्ट की धारा 44 में प्रावधान

जहां लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है वहां सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने, नई सड़कें निकालने, फ्लाईओवर बनाने की आवश्यक होता है. उसके लिए अनिवार्य अधिग्रहण कानून है. जेडीए एक्ट की धारा 44 के तहत आपसी सहमति से भूमि क्रय करने के प्रावधान हैं. इसमें काश्तकारों की जितनी जमीन अधिग्रहण करनी है, उनकी जमीन कितनी चौड़ी सड़क पर स्थित है, जमीन की प्रकृति क्या है (आवासीय, व्यावसायिक और कृषि) उसके अनुसार वर्तमान मार्केट रेट से मूल्यांकन कर राशि के अलावा विकसित जमीन का भी प्रस्ताव दिया जाता है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
जयपुर विकास प्राधिकरण

सरकार की जो पॉलिसी के तहत विभिन्न विकल्प

सामान्य रूप से यदि कृषि भूमि अधिग्रहण की जाती है, तो उसके मुआवजे के रूप में 25% विकसित भूमि, जिसमें 20% आवासीय और 5% व्यवसायिक जमीन का प्रावधान है. यदि रिंग रोड पर जमीन अधिग्रहण की गई है तो स्पेशल प्रोजेक्ट होने के चलते 25% मिश्रित जमीन काश्तकारों/खातेदारों को देने का प्रावधान है. यदि किसी सेक्टर रोड पर जमीन अधिग्रहण की जाती है और वहां सेक्टर कमर्शियल का प्रोविजन है, तो वहां 25% सेक्टर कमर्शियल का प्रावधान है. यदि किसी योजना में उचित आवासीय भूमि उपलब्ध नहीं है तो 20+5 की बजाय 15% व्यवसायिक जमीन भी दी जा सकती है. यदि व्यावसायिक जमीन उपलब्ध नहीं हो तो 20+5 के जगह 30% आवासीय जमीन भी दी जा सकती हैं

पढ़ें- जयपुर में बनने वाला आरसीए का स्टेडियम होगा आधुनिक, कंपनी ने दिया प्रेजेंटेशन

स्ट्रक्चर मुआवजे का प्रावधान

जेडीसी गौरव गोयल ने बताया कि भूमि का स्वामित्व जिस व्यक्ति या संस्था के नाम पर है. उन्हें तो जमीन का मुआवजा दिया जाता है. यदि कोई स्ट्रक्चर है, तो उसका वर्तमान बीएसआर रेट पर मूल्यांकन कर स्ट्रक्चर का भी मुआवजा दिया जाता है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
जयपुर के विकास की राह में हैं कई चुनौतियां

कई बार ऐसे प्रकरण भी आते हैं कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग मकान बनाकर रहते हैं. तो उनको पुनर्वास नीति के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग का मकान उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है. उन्हें पुनर्वासित करने के बाद ही जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की जाती है.

जेडीसी गौरव गोयल से खास मुलाकात (भाग 2)

झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड प्रकरण :

झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड की बात की जाए तो उसमें कालवाड रोड की तरफ करीब 600 दुकानें हैं. जो इस निर्माण से प्रभावित हो रही हैं. जिन का पुनर्वास किया जाना है. उसके लिए जेडीए ने झोटवाड़ा औद्योगिक क्षेत्र के पास निवारू रोड पर जमीन देखी है. उस पर प्लानिंग की जा चुकी है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट में 600 दुकानें प्रभावित

अधिकतर दुकानदार उसके लिए सहमत भी हैं. जेडीसी ने बताया कि चूंकि ये जमीन जिला प्रशासन के कार्यालयों के लिए आरक्षित थी. ऐसे में जमीन जेडीए के नाम करने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
भूमि अधिग्रहण के लिए सहमति बनाकर की जाती है कार्रवाई

जल्द ही उस जमीन को जेडीए में आवंटित करा कर दुकानदारों के पुनर्वास की जो योजना बनाई गई है. उसके अनुरूप प्रभावित दुकानों की लॉटरी निकलवाई जाएगी.

पढ़ें- न्यू ट्रांसपोर्ट नगर की 40 बीघा जमीन और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को आवंटित जमीन से अतिक्रमण हटाया

नींदड़ आवासीय योजना प्रकरण :

बहुचर्चित नींदड़ आवासीय योजना में दो समितियां बनी हुई हैं. एक संघर्ष समिति है, एक आरक्षण पत्रधारी किसानों की समिति है. जेडीए ने दोनों से वार्ता की है. चूंकि भूमि अधिग्रहण कानून का मूल भाव है कि अधिकतम लोगों के हित में यदि भूमि अधिग्रहण की जानी है. तो जिस खातेदार/काश्तकार की जमीन अधिग्रहण की जा रही है उसे उस जमीन का पर्याप्त मुआवजा मिले.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा करते जेडीसी गौरव गोयल

यदि उसकी रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है, तो उसे पुनर्वासित भी किया जाए. इसे लेकर नींदड़ के किसानों की कुछ मांगे हैं. उनकी मांगों का प्रस्ताव बनाकर नीतिगत निर्णय के लिए राज्य सरकार को भेजा है.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
रिंग रोड प्रोजेक्ट में अधिग्रहण के तहत दी जाती है 25 फीसदी मिश्रित जमीन

जेडीसी गौरव गोयल ने जेडीए एक्ट सेक्शन 44 को प्रोग्रेसिव लॉ बताते हुए कहा कि वर्तमान नीति के तहत काश्तकारी या जमीन मालिक की रुचि को प्राथमिकता दी जाती है. इसी मंशा के साथ हाल ही में लोहा मंडी और वेस्टवे हाइट में जमीन अधिग्रहण से जुड़े विवादों का समाधान करने के लिए एंपावर्ड कमेटी की बैठक में नीतिगत निर्णय लिए गए हैं.

section 44 of JDA Act, JDC Gaurav Goyal, Jaipur Development Authority Projects
आर्थिक कमजोर वर्ग को अफोर्डेबल आवास योजना के तहत दिया जाता है मुआवजा

कई अन्य प्रकरण जो लंबे समय से विवादित हैं. उन्हें भी यूडीएच मंत्री के निर्देश पर समाधान की ओर ले जाया जा रहा है.

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