जयपुर. अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर महिला एवं बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी से ईटीवी भारत ने खास संवाद किया. इस अवसर पर मनन ने कहा कि हमारी बेटियां बहुत मजबूत हुई हैं, महत्वपूर्ण पदों तक पहुंची हैं, उनके लिए एक ही दिन बात क्यों होनी चाहिए, हर दिन उनके बारे में बात की जानी चाहिए.
मनन चतुर्वेदी ने कहा कि बेटियां बहुत सक्षम है, वे बहुत मजबूत हुई हैं और हर क्षेत्र में बहुत आगे जा रही हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारों की बात होना अलग बात है और अधिकार मिलना अलग बात है. हर बेटी को वह अधिकार मिलना चाहिए जिसकी वो हकदार है. मनन ने कहा कि राजस्थान में बाल विवाह के मामले घट रहे हैं, साथ ही कन्या भ्रूण हत्या को लेकर भी जागरुकता आई है. ये अच्छे संकेत हैं. उन्होंने कहा कि बेटियां खुद सजग हो रही हैं, शिक्षा और करियर के क्षेत्र में लड़कियां आगे बढ़ रही हैं.
खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ दें..
मनन ने कहा कि माता पिता की सोच भी बदली है. अब वे बेटी के विवाह से ज्यादा उसके भविष्य को लेकर चिंता करते हैं. पिछले कुछ समय से आईएएस आईपीएस जैसी स्पर्धाओं में बेटियों की मौजूदगी बढ़ी है. जिस तरह बेटियां अंतरिक्ष तक पहुंच रही हैं, उन्हें खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ देना चाहिए.
18 साल में 400 ज्यादा बच्चों को दिया आश्रय
मनन की संस्था में 60 से ज्यादा बच्चियां रहती हैं. मनन बिना किसी सरकारी सहायता के पिछले 18 साल से आश्रम चला रही हैं. अब तक उनके संस्थान में 400 से ज्यादा बच्चे-बच्चियां पहुंचे हैं. कई बच्चे पढ़ लिख कर अच्छा काम कर रहे हैं. यहां से निकली बच्चियों ने डिजाइनिंग और ब्यूटी पार्लर के क्षेत्र में अच्छा करियर बनाया है. निजी संस्थाओं के साथ कई लड़कियां सरकारी नौकरी हासिल करने में भी कामयाब हुई हैं. मनन का कहना है कि वे इन बच्चों का खर्च वहन करने के लिए पेंटिंग करती हैं और 72 घंटे तक लगातार पेंटिंग कर विश्व रिकॉर्ड भी बना चुकी हैं.
क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
दुनियाभर में आज बालिका दिवस मनाया जा रहा है. वैश्विक समुदाय में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने यह दिवस मनाने का एलान किया था. अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं की भागीदारी और बराबरी को बढ़ावा देना है.
इसके साथ ही महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों को लेकर समाज में जागरूकता लाना है. इस दिन महिलाओं के प्रति हो रहे लिंग आधारित भेदभाव और चुनौतियों के प्रति भी जागरूक किया जाता है. 21वीं सदी में दुनियाभर में हर दिन बच्चियों, युवतियों और महिलाओं को बाल विवाह, भेदभाव और हिंसा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.