जयपुर. राजस्थान में सुजानगढ़, सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा सीटों पर आगामी 17 अप्रैल को चुनाव है. उससे ठीक पहले सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं. प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान तीनों ही स्थानों पर बड़ी चुनावी सभा और रैलिया हुईं, जिसमें कोविड-19 की गाइडलाइन टूटी और संक्रमण का खतरा बढ़ता नजर आया. ऐसे में प्रचार के विकल्पों पर अमल जरूरी है. देखिये यह रिपोर्ट
राजनीतिक दलों के नेता और पदाधिकारियों को भी इस बात की जानकारी है कि चुनाव प्रचार की नैया कोविड-19 की इस महामारी के बीच तेज रफ्तार से आगे नहीं बढ़ाई जा सकती. लिहाजा वैकल्पिक रूप से सोशल मीडिया को चुनाव प्रचार के लिए भाजपा ने अपना हथियार बनाया है. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कुछ दिन पहले ही हुआ है. लेकिन भाजपा सोशल मीडिया विभाग ने सभी उपचुनाव क्षेत्रों में अपना प्रचार अभियान कुछ महीने पहले ही शुरू कर दिया था.
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प्रदेश सरकार और कांग्रेस को किन मुद्दों पर घेरा जाए, इससे जुड़ी पोस्ट तो लगातार ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक पेज के जरिए भाजपा नेता और कार्यकर्ता जारी कर ही रहे हैं. लेकिन चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद वीडियो मैसेज पर भी जोर दिया जा रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ही भाजपा केंद्र की मोदी सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों को गिना कर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में जनता से वोट भी मांग रही है. अब चुनावी सभाओं में भले ही जनता जनार्दन न आए, लेकिन नेताओं के वीडियो मैसेज जारी कर आम जनता तक पहुंचाए जा रहे हैं ताकि प्रचार का काम यथावत चलता रहे.
सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा एक्टिव भाजपा है. भाजपा ने बकायदा सोशल मीडिया विभाग भी बना रखा है. जो बूथ से लेकर मंडल और जिले से प्रदेश स्तर तक अपनी कार्यकारिणी भी बना चुका है. साथ ही उपचुनाव क्षेत्रों में सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप के साथ ही फेसबुक ट्विटर आदि का भी बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए अलग से टीम भी तैनात की गई है.
सरकार के खिलाफ भाजपा का सोशल वॉर
प्रदेश भाजपा सोशल मीडिया की टीम विधानसभा उपचुनाव क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दों पर पोस्ट जारी कर प्रदेश सरकार को घेर रही है. जिसमें खासतौर पर प्रदेश में हो रही अपराधिक घटनाएं, महिला अपराध, किसानों की कर्ज माफी, बेरोजगारी भत्ता, विभिन्न विभागों में अटकी भर्तियां, बेरोजगार संघ, कर्मचारियों की मांग पर विभिन्न समाजों के आंदोलन और कांग्रेस नेताओं के विवादित बयान शामिल हैं.
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इसके अलावा बीजेपी सोशल मीडिया विंग केंद्र के मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी पोस्ट भी लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी कर रही है. जिससे आम जनता तक भाजपा सरकार का काम पहुंच सकें और उसके आधार पर वोट मिल सकें.
बहराल कोविड-19 के इस दौर में सोशल मीडिया राजनीतिक दलों के लिए प्रचार प्रसार का एक सशक्त माध्यम तो साबित होगा ही. साथ ही एक दूसरे पर सियासी हमले करने का राजनीतिक हथियार के रूप में भी इसका इस्तेमाल बखूबी किया जा रहा है. हालांकि यह बात और है कि शत प्रतिशत जनता सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करती केवल युवा वर्ग और शिक्षित वर्ग की सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं.
लेकिन वोटरों का यह वर्ग भी काफी बड़ा है जो किसी भी राजनीतिक दल की जीत और हार में अपनी अहम भूमिका निभाता है. अब सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वोटरों को कौन कितना लुभा पाता है, ये 2 मई को जब चुनाव परिणाम आएगा तभी सामने आ सकेगा.