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सत्ता और संगठन में टकराव के हालात, बीते एक माह की वो घटनाएं जिनमें पायलट और गहलोत हुए आमने-सामने - हाइब्रिड चुनाव

राजस्थान में कांग्रेस संगठन के मुखिया के तौर पर सचिन पायलट और सरकार के मुखिया के तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. इस बात को शुक्रवार के दिन हुए घटानक्रम ने भी हवा दे दी है. एक बार फिर ये देखने को मिला है जब सत्ता और सगंठन के बीच किसी मसले को लेकर विरोधाभास देखा गया...

sachin pilot vs ashok gehlot, सचिन पायलट वर्सेज अशोक गहलोत
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Published : Oct 18, 2019, 11:02 PM IST

जयपुर. प्रदेश सरकार के निकाय चुनाव को लेकर हाईब्रिड सिस्टम के फैसले को राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने गलत करार दिया है. इससे अब ये बिल्कूल साफ हो चुका है कि जो बाते चल रही हैं वो केवल बातें नहीं है. उनमें सच्चाई भी है. हर कोई जानता है कि प्रदेश में किस तरह से पायलट और गहलोत के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हुई थी. लेकिन आखिर में अशोक गहलोत ही प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस की कमान भी सौंपी गई.

...बीते एक माह की वो घटनाएं जिनमें पायलट और गहलोत हुए आमने-सामने

राजस्थान में सरकार बने 9 महीने से अधिक समय हो चुका है. लेकिन इस दौरान कई ऐसे वाकये सामने आए हैं जहां पायलट और गहलोत के बीच जारी ये शीत युद्ध सामने आया है. दोनों ही नेताओं के बीच कई बार सियासी टकराव देखने को मिला है. जिस तरह से कांग्रेस में इन दोनो नेताओं के बीच राजनितीक शह और मात का शीत युद्ध चल रहा है उससे लगता है कि आने वाले समय में भी भाजपा को और मौके मिल सकती हैं, जब वो इसका फायदा उठा सके.

पढ़ेंः PCC में जन सुनवाई के दौरान आपस में भिड़े कांग्रेस के मंत्री और सचिव, गर्ग पर कार्यकर्ताओं का काम नहीं करने का आरोप

इस सियासी टकराव की पहली स्थिति तब सामने आई जब पायलट के प्रदेश के लॉ एण्ड आर्डर व्यवस्था पर सवाल उठाए. इसके बाद चाहे बीएसपी विधायकों का पार्टी में शामिल होना हो चाहे, सीएम पुत्र की राजस्थान क्रिकेट में ताजपोशी हो. कई मोर्चों पर पायलट ने इशारों में विरोध जताया.

अब हाईब्रिड तरीके से नगर निकाय चुनाव करवाने को सचिन पायलट ने लोकतंत्र को कमजोर करने की बात कही है. लेकिन इस बार पायलट ने ये विरोधाभास तब जाहिर किए जब दोनों ही नेता एक ही मौके पर थे. पायलट ने खुलेआम ये कहा कि संगठन और कैबिनेट के सदस्यों को इस बारे में बिल्कूल जानकारी नहीं थी कि सरकार इस तरह का फैसला लेने जा रही हैं. चलिए आपको बतातें है कि कब-कब दोनों दिग्गज नेताओं में टकराव सामने आया.

पढ़ेंः दिल्ली की तर्ज पर अब जयपुर, जोधपुर, कोटा में भी होंगे दो-दो नगर निगम, 6 महीने बाद होंगे चुनाव

1. जब पायलट ने उठाये प्रदेश की लॉ एण्ड आर्डर पर सवाल
11 सितम्बर को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने ये कहकर सबकों चौका दिया कि प्रदेश में लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिती पर ध्यान देना चाहिए पायलट ने कहा कि बीते दिनों से धोलपुर, बहरोड़ और अलवर मे जो घटनांए हुई उससे प्रदेश का लॉ एण्ड ऑर्डर प्रदेश का बिगड़ा है. इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

2.बसपा के विधायकों का कांग्रेस में शामिल होना
16 सितम्बर को रात को जब अचानक 6 बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हुए तो इसकी जानकारी खुद प्रदेश सगंठन के मुखिया पायलट को भी नहीं थी. और पायलट ने खुद ये बयान दिया था कि उनसे इस बारे में न कोई सलाह ली गई और ना ही उन्हें बताया गया. इसके बाद पायलट ने भी अपने तेवर दिखाए और ये संदेश दिया कि जो भी नेता कांग्रेस में आए हैं उन्हें पार्टी में कोई भी पद नहीं दिया जाएगा. पायलट ने नाराजगी के सवाल पर ये भी कहा था कि मेरे मन में क्या चल रहा है, उसे मत देखिये.

पढ़ेंः हरियाणा में राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग

3. अटकी राजनितीक नियुक्तियां
उपुचनाव और निकाय चुनावों के देखते हुए कहा जा रहा था कि राजस्थान में किसी भी समय राजनितीक नियुक्तियां की जा सकती हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री ने लिस्ट भी तैयार कर ली है. लेकिन इस बात पर पायलट ने कह दिया कि राजनितीक नियुक्तियां उन्ही कार्यकर्ताओं को दी जाएंगी, जिन्होने पांच साल तक पार्टी की सेवा में खून-पसीना बहाया है. पायलट का ये इशारा भी गहलोत की ओर ही था. उनके इस बयान के मीडिया में आने के बाद से ही अभी तक एक भी सियासी नियुक्ति संगठन में नहीं हो पाई है.

4. जब गहलोत बोले-मुझे बोलने के लिए 10 मिनट दिये....
1 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस की ओर से बिरला आडिटोरियम में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन आयोजित हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाषण में कहा कि मुझ बोलने के लिए लिए केवल 10 मिनट दिये गये हैं. तो जब पायलट ने माइक थामा तो जवाब में मंच से कहा कि जब तक मैं कांग्रेस का अध्यक्ष हुं तब तक आपकों बोलने से कोई नही रोकेगा. इस दौरान पायलट ने मुख्यमंत्री पर कई तंज भी कसे थे.

पढ़ेंः हाइब्रिड फॉर्मूले पर गहलोत बनाम पायलट, मीणा-खाचरियावास के बाद सचिन भी असहमत

5. वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी के आरसीए रण पर पायलट का तंज
4 अक्टूबर को महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती को लेकर हुए कार्यक्रम में पायलट ने आरसीए विवाद पर चिंता जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी दोनो ही कांग्रेस के बड़े नेता हैं. आरसीए में मिल बैठकर सबको फैसला करना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. पायलट ने साफ तौर पर इसे उपचुनावों में जाटों के नाराज होने की चिंता जताई थी.

6. अब निकाय में हाइब्रिड चुनाव पर पायलट का जवाब
18 अक्टूबर यानि आज के दिन तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने सरकार के हाइब्रिड मेयर सभापति के चुनावों पर सीधा ही सवाल खड़ा कर दिया. पायलट ने कहा कि हाइब्रिड मेयर सभापति चुनने की केबिनेट मे चर्चा नहीं हुई है. हमने पहले सीधे अध्यक्ष चुनने की बात कही थी. लेकिन उसको बाद में बदल दिया गया, वहां तक तो ठीक था. लेकिन हाइब्रिड नाम दिया जा रहा है, मैं समझता हूं कि यह निर्णय सही नहीं है. पायलट ने गहलोत सरकार के इस निर्णय को अव्यवहारिक बताया है.

पढ़ेंः जब वित्त मंत्री के पति ही कह रहे हैं कि सरकार को आर्थिक नीतियों की समझ नहीं है तो आप समझ सकते हैं की देश कहां जा रहा हैः गहलोत

ये वो मामले हैं जो बीते एक माह में देखने को मिले. बीते एक माह में ये आधा दर्जन वाकये ये साफ कर रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी के मुखिया और सरकार के बीच में सब सही नहीं चल रहा. क्योकि अब संगठन के मुखिया और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सीधे सरकार के निर्णयों पर उंगली उठाना शुरू कर कर दी है और कहीं ना कहीं सरकार को असहज स्थिति में ला दिया है.

जयपुर. प्रदेश सरकार के निकाय चुनाव को लेकर हाईब्रिड सिस्टम के फैसले को राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने गलत करार दिया है. इससे अब ये बिल्कूल साफ हो चुका है कि जो बाते चल रही हैं वो केवल बातें नहीं है. उनमें सच्चाई भी है. हर कोई जानता है कि प्रदेश में किस तरह से पायलट और गहलोत के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हुई थी. लेकिन आखिर में अशोक गहलोत ही प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस की कमान भी सौंपी गई.

...बीते एक माह की वो घटनाएं जिनमें पायलट और गहलोत हुए आमने-सामने

राजस्थान में सरकार बने 9 महीने से अधिक समय हो चुका है. लेकिन इस दौरान कई ऐसे वाकये सामने आए हैं जहां पायलट और गहलोत के बीच जारी ये शीत युद्ध सामने आया है. दोनों ही नेताओं के बीच कई बार सियासी टकराव देखने को मिला है. जिस तरह से कांग्रेस में इन दोनो नेताओं के बीच राजनितीक शह और मात का शीत युद्ध चल रहा है उससे लगता है कि आने वाले समय में भी भाजपा को और मौके मिल सकती हैं, जब वो इसका फायदा उठा सके.

पढ़ेंः PCC में जन सुनवाई के दौरान आपस में भिड़े कांग्रेस के मंत्री और सचिव, गर्ग पर कार्यकर्ताओं का काम नहीं करने का आरोप

इस सियासी टकराव की पहली स्थिति तब सामने आई जब पायलट के प्रदेश के लॉ एण्ड आर्डर व्यवस्था पर सवाल उठाए. इसके बाद चाहे बीएसपी विधायकों का पार्टी में शामिल होना हो चाहे, सीएम पुत्र की राजस्थान क्रिकेट में ताजपोशी हो. कई मोर्चों पर पायलट ने इशारों में विरोध जताया.

अब हाईब्रिड तरीके से नगर निकाय चुनाव करवाने को सचिन पायलट ने लोकतंत्र को कमजोर करने की बात कही है. लेकिन इस बार पायलट ने ये विरोधाभास तब जाहिर किए जब दोनों ही नेता एक ही मौके पर थे. पायलट ने खुलेआम ये कहा कि संगठन और कैबिनेट के सदस्यों को इस बारे में बिल्कूल जानकारी नहीं थी कि सरकार इस तरह का फैसला लेने जा रही हैं. चलिए आपको बतातें है कि कब-कब दोनों दिग्गज नेताओं में टकराव सामने आया.

पढ़ेंः दिल्ली की तर्ज पर अब जयपुर, जोधपुर, कोटा में भी होंगे दो-दो नगर निगम, 6 महीने बाद होंगे चुनाव

1. जब पायलट ने उठाये प्रदेश की लॉ एण्ड आर्डर पर सवाल
11 सितम्बर को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने ये कहकर सबकों चौका दिया कि प्रदेश में लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिती पर ध्यान देना चाहिए पायलट ने कहा कि बीते दिनों से धोलपुर, बहरोड़ और अलवर मे जो घटनांए हुई उससे प्रदेश का लॉ एण्ड ऑर्डर प्रदेश का बिगड़ा है. इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए.

2.बसपा के विधायकों का कांग्रेस में शामिल होना
16 सितम्बर को रात को जब अचानक 6 बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हुए तो इसकी जानकारी खुद प्रदेश सगंठन के मुखिया पायलट को भी नहीं थी. और पायलट ने खुद ये बयान दिया था कि उनसे इस बारे में न कोई सलाह ली गई और ना ही उन्हें बताया गया. इसके बाद पायलट ने भी अपने तेवर दिखाए और ये संदेश दिया कि जो भी नेता कांग्रेस में आए हैं उन्हें पार्टी में कोई भी पद नहीं दिया जाएगा. पायलट ने नाराजगी के सवाल पर ये भी कहा था कि मेरे मन में क्या चल रहा है, उसे मत देखिये.

पढ़ेंः हरियाणा में राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग

3. अटकी राजनितीक नियुक्तियां
उपुचनाव और निकाय चुनावों के देखते हुए कहा जा रहा था कि राजस्थान में किसी भी समय राजनितीक नियुक्तियां की जा सकती हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री ने लिस्ट भी तैयार कर ली है. लेकिन इस बात पर पायलट ने कह दिया कि राजनितीक नियुक्तियां उन्ही कार्यकर्ताओं को दी जाएंगी, जिन्होने पांच साल तक पार्टी की सेवा में खून-पसीना बहाया है. पायलट का ये इशारा भी गहलोत की ओर ही था. उनके इस बयान के मीडिया में आने के बाद से ही अभी तक एक भी सियासी नियुक्ति संगठन में नहीं हो पाई है.

4. जब गहलोत बोले-मुझे बोलने के लिए 10 मिनट दिये....
1 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस की ओर से बिरला आडिटोरियम में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन आयोजित हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाषण में कहा कि मुझ बोलने के लिए लिए केवल 10 मिनट दिये गये हैं. तो जब पायलट ने माइक थामा तो जवाब में मंच से कहा कि जब तक मैं कांग्रेस का अध्यक्ष हुं तब तक आपकों बोलने से कोई नही रोकेगा. इस दौरान पायलट ने मुख्यमंत्री पर कई तंज भी कसे थे.

पढ़ेंः हाइब्रिड फॉर्मूले पर गहलोत बनाम पायलट, मीणा-खाचरियावास के बाद सचिन भी असहमत

5. वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी के आरसीए रण पर पायलट का तंज
4 अक्टूबर को महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती को लेकर हुए कार्यक्रम में पायलट ने आरसीए विवाद पर चिंता जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी दोनो ही कांग्रेस के बड़े नेता हैं. आरसीए में मिल बैठकर सबको फैसला करना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. पायलट ने साफ तौर पर इसे उपचुनावों में जाटों के नाराज होने की चिंता जताई थी.

6. अब निकाय में हाइब्रिड चुनाव पर पायलट का जवाब
18 अक्टूबर यानि आज के दिन तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने सरकार के हाइब्रिड मेयर सभापति के चुनावों पर सीधा ही सवाल खड़ा कर दिया. पायलट ने कहा कि हाइब्रिड मेयर सभापति चुनने की केबिनेट मे चर्चा नहीं हुई है. हमने पहले सीधे अध्यक्ष चुनने की बात कही थी. लेकिन उसको बाद में बदल दिया गया, वहां तक तो ठीक था. लेकिन हाइब्रिड नाम दिया जा रहा है, मैं समझता हूं कि यह निर्णय सही नहीं है. पायलट ने गहलोत सरकार के इस निर्णय को अव्यवहारिक बताया है.

पढ़ेंः जब वित्त मंत्री के पति ही कह रहे हैं कि सरकार को आर्थिक नीतियों की समझ नहीं है तो आप समझ सकते हैं की देश कहां जा रहा हैः गहलोत

ये वो मामले हैं जो बीते एक माह में देखने को मिले. बीते एक माह में ये आधा दर्जन वाकये ये साफ कर रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी के मुखिया और सरकार के बीच में सब सही नहीं चल रहा. क्योकि अब संगठन के मुखिया और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सीधे सरकार के निर्णयों पर उंगली उठाना शुरू कर कर दी है और कहीं ना कहीं सरकार को असहज स्थिति में ला दिया है.

Intro:राजस्थान में कांग्रेस के सत्ता और संगठन में टकराव के हालात,बीते एक महीने में ही आधा दर्जन ऐसे वाकये जिनमें कांग्रेस संगठन के मुखिया सचिन पायलट और सरकार हुए आमने-सामने Body:राजस्थान में कांग्रेस संगठन के मुखिया के तौर पर सचिन पायलट और सरकार के मुखिया के तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में सब कुछ ठीक नही चल रहा है और आज एक बार फिर जब प्रदेशअध्यक्ष सचिन पायलट ने सरकार के हाईब्रिड सिस्टम से चुनाव करवाने के निर्णय को गलत बताया उससे अब ये बिल्कूल साफ हो चुका है कि जो बाते चल रही है वो केवल बाते नही है उनमें सच्चाई भी है।हर कोई जानता है कि प्रदेश में किस तरह से पायलट और गहलोत के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हुई थी लेकिन आखिर अशोक गहलोत ही प्रदेश के मुख्यमंत्री बने सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बनाये गये तो लगा कि अब सब ठीक हो जायेगा लेकिन बीते 9 महीने में जिस तरह से कांग्रेस में इन दोनो नेताओं के बीच राजनितीक शह और मात का शीत युद्ध चल रहा है उससे लगता है कि ये आने वाले समय में भी भाजपा को मौके देगा और बीते एक महीने में तो ये शीत युद्ध अपने चरम पर है।जिसकी शुरूआत हुई थी पायलट के प्रदेश के लॉ एण्ड आर्डर व्यवस्था पर सवाल उठाने के बाद जो बीएसपी के नेताओं के पार्टी में शामिल होने की जानकारी नही होने से होते हुए वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी के आरसीए विवाद के उपचुनावों पर असर से होता हुआ अब हाईब्रिड तरीके से चुनावों करवाने को लोकतंत्र को कमजोर करने की बात तक जारी है खास बात ये है कि आज तो पायलट ने बिल्कूल खूले में कह दिया है कि संगठन और कैबिनेट के सदस्यों को इस बारे में बिल्कूल जानकारी नही थी कि सरकार इस तरह का फैसला लेने जा रही हैं आईये हम आपको बतातें है कि प्रदेश में बीते एक महीने में पायलट ने सरकार के निर्णयों पर क्या क्या अटैक किये है
1.पायलट ने उठाये प्रदेश की लॉ एण्ड आर्डर पर सवाल
11 सितम्बर को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने ये कहकर सबकों चौका दिया कि प्रदेश में लॉ एण्ड आॅर्डर की स्थिती पर ध्यान देना चाहिए पायलट ने कहा कि बीते दिनों से धोलपुर ,बहरोड और अलवर मे जो घटनांए हुई उससे लॉ एण्ड आॅर्डर प्रदेश का खराब हुआ है इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
2.बसपा के विधायकों के शामिल होने की जानकारी नही होने से पायलट हुए नाराज अब तक नही हो सकी है विधायकों की कांग्रेस में सदस्यता
16 सितम्बर को रात को अचानक ये खबर आयी कि बसपा के सभी 6 विधायकों ने अपने विधायक दल का विलय कांग्रेस के साथ कर लिया है इसके बाद कहा जा रहा था कि इन सभी को कांग्रेस कोई पद दे सकती है लेकिन इसके अगले दिन सचिन पायलट ने ये कह दिया कि उनके इसबारे में पहले कोई जानकारी नही थी और ये सभी विधायक जनता के हित को देखते हुए पार्टी में शामिल हुए है ना कि किसी मंत्री पद के लिए ।हालात ये है कि आज तक इन 6 मेें से एक भी विधायक पार्टी दफतर नही गया है ना ही उन्होने आधिकारीक तौर पर पार्टी के सदस्य बने है।पायलट ने इन बसपा विधायको के सवाल पर नाराजगी पर कहा कि मेरे मन में क्या चल रहा है उसे मत देखिये
3.अटकी राजनितीक नियूक्तियां
उपुचनाव और निकाय चुनावों के देखते हुए कहा जा रहा था कि राजस्थान में किसी भी समय राजनितीक नियुक्तियां की जा सकती है उसके लिए मुख्यमंत्री ने लिस्ट भी तैयार कर ली है लेकिन इस बात पर पायलट ने कह दिया कि राजनितीक नियुक्तियां उन्ही कार्यकर्ताओं को दी जायेगी जिन्होने पांच साल तक पार्टी की सेवा खुन पसीना बहाकर की है।इस बयान के बाद राजस्थान में होने वाली राजनितीक नियूक्तियां अटक गयी और अब तक इन नियुक्तियों का इंतजार चल रहा है।
4.गहलोत बोले मुझे बोलने के लिए 10 मिनट दिये तो पायलट बोले जबतक मै अध्यक्ष आपकों कोई बोलने से नही रोकेगा
1 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस की और से बिरला आडिटोरियम में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन आयोजित हुआ जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाषण के दौरान कहा कि मुझ बोलने के लिए लिए केवल 10 मिनट दिये गये है तो पायलट ने भी अपने जवाब में मंच से कहा कि कि जब तक मैं कांग्रेस का अध्यक्ष हुं तब तक आपकों बोलने से कोई नही रोकेगां
5.वैभव गहलोत ओर रामेश्वर डूडी के आरसीए रण पर पायलट ने कहा कि दोनो कांग्रेस के नेता जो हुआ वो गलत उम्मीद है कि इसका असर उपचुनाव पर नही होगा
4 अक्टूबर को महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती को लेकर हुए कार्यक्रम में पायलट ने आरसीए विवाद पर चिंता जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी दोनो ही कांग्रेस के बडे नेता है आरसीए में मिल बैठकर सबको फैसला करना चाहिए था लेकिन ऐसा नही हुआ ये दुर्भाग्यपूर्ण है पायलट ने साफ तौर पर इसे उपचुनावों में जाटों के नाराज होने की चिंता जताते हुए कहा कि उम्मीद है कि इस घटना का नाकारात्मक असर उपचुनावों पर नही होगा।
6.निकाय चुनावों में हाइब्रिक मेयर सभापति के चुनाव केा लेकर बोले ये निर्णय सही नही,इसकी खबर ना संगठन को थी ना ही कैबिनेट या विधायकों को इससे लोकतंत्र को मजबूती नही मिलेगी
18 अक्टूबर यानि आज के दिन तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने सरकार के हाइब्रिड मेयर सभापति के चुनावों पर सीधा ही सवाल खडा कर दिया पायलट ने कहा कि
हाइब्रिड मेयर सभापति चुनने की केबिनेट मे चर्चा नहीं हुई है। हमने पहले सीधे अध्यक्ष चुनने की बात कही थी लेकिन उसको बाद में बदल दिया गया, वहां तक तो ठीक था लेकिन हाइब्रिड नाम दिया जा रहा है, मैं समझता हूं कि यह निर्णय सही नहीं है। मैं तो महाराष्ट चुनाव मे प्रचार में लगा हुआ था, हमें तो यह जानकारी अखबारों से मिली। जो पार्षद का चुनाव नहीं जीत सकता, उसको सीधा मेयर बनाना गलत है। हो तो इसका एक मैसेज हो कि चुनाव हो रहे हैं, अपने प्रतिनिधि चुन रहे हैं।इस निर्णय की ना ही विधायक दल में और ना ही सदन में, ना ही केबिनेट में चर्चा हुई है, मंत्री यदि नगरपालिका एक्ट के तहत यह निर्णय लेना चाहते हैं तो यह व्यवहारिक नहीं है, राजनीतिक दृष्टिकोण से सही नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि हिन्दूस्तान के किसी भी राज्य में ऐसा नहीं है और इस निर्णय में बदलाव करने की जरूरत है। इसमें बैकडोर एन्टी होगी। इसमें लोकतंत्र को मजबूत करने वाली बात नहीं होगी। कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि सीधा चुनाव हो, जनता से सीधा जुडाव हो।
एक महीने में ये आधा दर्जन घटनांए साफ कर रही है कि कांग्रेस पार्टी के मुखिया ओर सरकार के बीच में सब सही नही चल रहा है क्योकि अब संगठन के मुखिया और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सीधे सरकार के निर्णयों पर उंगली उठाना शुरू कर चुके है।Conclusion:
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