ETV Bharat / city

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित, मंत्री शांति धारीवाल ने दिया ये जवाब - shanti dhariwal news

राजस्थान विधानसभा में केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक सोमवार को पारित किए गए. विधानसभा में हुई चर्चा पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के बनाए हुए इन 3 कानूनों के विरोध में पूरा देश आंदोलित है. यह उस तरीके से आंदोलित है, जिस तरीके से 2014 में लैंड एक्विजिशन एक्ट के समय हुआ था और उस विरोध के बाद उसे विड्रॉ करना पड़ा था.

shanti dhariwal,  shanti dhariwal news
शांति धारीवाल ने केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध किया
author img

By

Published : Nov 2, 2020, 10:08 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 10:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित किए गए. विधानसभा में लंबी चर्चा के बाद कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) 2020, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 ओर आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 राजस्थान विधानसभा में पारित हो गया.

शांति धारीवाल पार्ट -1

अब यह तीनों विधायक राज्यपाल के पास जाएंगे जो वहां से राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए जाएंगे. उसके बाद ही यह संशोधन कानून प्रदेश में लागू होंगे. इन विधेयकों के पारित होने से पहले भाजपा ने इसका विरोध करते हुए वॉक आउट किया. विधानसभा में हुई चर्चा पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के बनाए हुए इन 3 कानूनों के विरोध में पूरा देश आंदोलित है. यह उस तरीके से आंदोलित है, जिस तरीके से 2014 में लैंड एक्विजिशन एक्ट के समय हुआ था और उस विरोध के बाद उसे विड्रॉ करना पड़ा था.

शांति धारीवाल पार्ट -2

पढे़ं: फिर 'फ्रंट' पर आए पायलट...विधानसभा में बदली गई सीट

धारीवाल ने कहा कि दावे के साथ कहता हूं कि इन तीनों कानूनों को आपको वापस लेना पड़ेगा. देश का किसान मिट्टी और अपनी जमीन को अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार करता है. इस बात को समझने की आवश्यकता है. यह बिल किसान की मौत का सामान है जो किसानों को उनकी कब्र तक और उन्हें श्मशान तक पहुंचा कर रहेगा. केंद्र सुधार की बात करता है लेकिन यह रिफॉर्म नहीं करता है.

मोदी का अगला जन्मदिन किसानों के मरण दिन के रूप में मनाया जाएगा

कोरोना के दौरान सारे व्यवसायियों की जीडीपी गिर गई लेकिन एक किसान था जिसने इस देश की जीडीपी को 3.4 प्रतिशत बढ़ा कर दी. आज उस किसान की यह हालत केंद्र यह करना चाहते हैं कि उसे पूंजीपतियों के दरवाजे पर बांध दिया जाए. प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन पर जो किसानों को तोहफा दिया वह मौत का सामान था और 17 सितंबर को जब प्रधानमंत्री का अगला जन्मदिन मनाया जाएगा, वह जन्मदिन किसानों के मरण दिवस के तौर पर मनाया जाएगा.

पूंजीपतियों के जंजीरों में बंध जाएगा किसान

धारीवाल ने कहा कि जब लोकसभा में इन कानूनों को लेकर बहस चल रही थी तो केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह शब्द कहे थे कि किसान अपना उत्पाद बेचने के लिए जो मंडी की जंजीरों से बंधा हुआ था हमने उसे आजाद कर दिया. जबकि वास्तविकता यह है कि इस कानून के लागू होने पर वह पूंजीपतियों के दरवाजे से बांध दिया है. किसान को अब पूंजीपतियों के दरवाजे पर जाकर दस्तक देनी पड़ेगी. सरकार कह रही है कि किसानों को उनका सामान बेचने की आजादी दे दी लेकिन क्या यह आजादी पहले नहीं थी. हमारा जीरा, ईसबगोल गुजरात जाकर पहले नहीं बिकता था. कोटा की फसल मंदसौर, पिपलिया में नहीं बिकती थी.

पढे़ं: PM मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, लेकिन किसानों को ताकत नहीं देते : हरीश चौधरी

मंडी खत्म करने का पहला स्टेप है यह कानून

धारीवाल ने कहा कि मंडी शुल्क की बात हो रही है लेकिन यह नहीं कहा जा रहा कि किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं कहां से चल रही हैं. कृषक कल्याण कोष, राजीव गांधी कृषक साथी योजना, महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना, किसान कलेवा जिसका नाम आपने बदला था. इस बिल से केवल अन्नदाता किसान ही नहीं धममाल, पल्लेदार, छोटा व्यापारी, कमीशन एजेंट, ट्रांसपोर्ट, मुनीम, सफाई कर्मचारी यह सब बेरोजगार हो जाएंगे. यह कहना बहुत आसान है कि हम मंडी खत्म नहीं कर रहे लेकिन यह मंडी खत्म करने का पहला स्टेप है.

कानून में एमएसपी का प्रावधान करे केंद्र

मंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार अपने कानून में यह कहती कि एमएसपी से कम कीमत पर करार नहीं किया जाएगा तो हमें कोई एतराज नहीं होता. अगर ऐसा होता तो हम उसे सहमति देते. वहीं, भाजपा नेताओं के इन आरोपों की राज्य सरकार खुद अपने स्तर पर एमएसपी पर खरीद करें इस पर जवाब देते हुए धारीवाल ने कहा कि एमएसपी पर किसी भी राज्य सरकार को कभी खरीदते हुए देखा है. उन्होंने कहा कि हमने प्रावधान किया है कि अगर एमएसपी से कम रेट पर सामान बेचने का दबाव कोई बनाएगा तो उसे किसान का शोषण माना जाएगा और 3 साल से लेकर 7 साल तक सजा का प्रावधान किया जाएगा.

स्टॉक लिमिट का अधिकार राज्य के पास हो

केंद्र सरकार शांता कुमार की उस रिपोर्ट लागू करना चाहती है जो कहती है कि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करनी ही नहीं चाहिए क्योंकि इससे सालाना एक लाख करोड़ का नुकसान होता है और अब तक एफसीआई को चार लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है. देश में कहीं अकाल और बाढ़ नहीं आई केवल राजस्थान में अकाल पड़ गया तो क्या हम केंद्र सरकार को लिखते रहेंगे क्या यह अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं रहना चाहिए कि स्टॉक लिमिट कितनी करनी है यह अधिकार अगर राज्य सरकार के पास नहीं रहेगा तो राज्य सरकार क्या करेगी.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पारित किए गए. विधानसभा में लंबी चर्चा के बाद कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) 2020, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 ओर आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 राजस्थान विधानसभा में पारित हो गया.

शांति धारीवाल पार्ट -1

अब यह तीनों विधायक राज्यपाल के पास जाएंगे जो वहां से राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए जाएंगे. उसके बाद ही यह संशोधन कानून प्रदेश में लागू होंगे. इन विधेयकों के पारित होने से पहले भाजपा ने इसका विरोध करते हुए वॉक आउट किया. विधानसभा में हुई चर्चा पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के बनाए हुए इन 3 कानूनों के विरोध में पूरा देश आंदोलित है. यह उस तरीके से आंदोलित है, जिस तरीके से 2014 में लैंड एक्विजिशन एक्ट के समय हुआ था और उस विरोध के बाद उसे विड्रॉ करना पड़ा था.

शांति धारीवाल पार्ट -2

पढे़ं: फिर 'फ्रंट' पर आए पायलट...विधानसभा में बदली गई सीट

धारीवाल ने कहा कि दावे के साथ कहता हूं कि इन तीनों कानूनों को आपको वापस लेना पड़ेगा. देश का किसान मिट्टी और अपनी जमीन को अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार करता है. इस बात को समझने की आवश्यकता है. यह बिल किसान की मौत का सामान है जो किसानों को उनकी कब्र तक और उन्हें श्मशान तक पहुंचा कर रहेगा. केंद्र सुधार की बात करता है लेकिन यह रिफॉर्म नहीं करता है.

मोदी का अगला जन्मदिन किसानों के मरण दिन के रूप में मनाया जाएगा

कोरोना के दौरान सारे व्यवसायियों की जीडीपी गिर गई लेकिन एक किसान था जिसने इस देश की जीडीपी को 3.4 प्रतिशत बढ़ा कर दी. आज उस किसान की यह हालत केंद्र यह करना चाहते हैं कि उसे पूंजीपतियों के दरवाजे पर बांध दिया जाए. प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन पर जो किसानों को तोहफा दिया वह मौत का सामान था और 17 सितंबर को जब प्रधानमंत्री का अगला जन्मदिन मनाया जाएगा, वह जन्मदिन किसानों के मरण दिवस के तौर पर मनाया जाएगा.

पूंजीपतियों के जंजीरों में बंध जाएगा किसान

धारीवाल ने कहा कि जब लोकसभा में इन कानूनों को लेकर बहस चल रही थी तो केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह शब्द कहे थे कि किसान अपना उत्पाद बेचने के लिए जो मंडी की जंजीरों से बंधा हुआ था हमने उसे आजाद कर दिया. जबकि वास्तविकता यह है कि इस कानून के लागू होने पर वह पूंजीपतियों के दरवाजे से बांध दिया है. किसान को अब पूंजीपतियों के दरवाजे पर जाकर दस्तक देनी पड़ेगी. सरकार कह रही है कि किसानों को उनका सामान बेचने की आजादी दे दी लेकिन क्या यह आजादी पहले नहीं थी. हमारा जीरा, ईसबगोल गुजरात जाकर पहले नहीं बिकता था. कोटा की फसल मंदसौर, पिपलिया में नहीं बिकती थी.

पढे़ं: PM मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, लेकिन किसानों को ताकत नहीं देते : हरीश चौधरी

मंडी खत्म करने का पहला स्टेप है यह कानून

धारीवाल ने कहा कि मंडी शुल्क की बात हो रही है लेकिन यह नहीं कहा जा रहा कि किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं कहां से चल रही हैं. कृषक कल्याण कोष, राजीव गांधी कृषक साथी योजना, महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना, किसान कलेवा जिसका नाम आपने बदला था. इस बिल से केवल अन्नदाता किसान ही नहीं धममाल, पल्लेदार, छोटा व्यापारी, कमीशन एजेंट, ट्रांसपोर्ट, मुनीम, सफाई कर्मचारी यह सब बेरोजगार हो जाएंगे. यह कहना बहुत आसान है कि हम मंडी खत्म नहीं कर रहे लेकिन यह मंडी खत्म करने का पहला स्टेप है.

कानून में एमएसपी का प्रावधान करे केंद्र

मंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार अपने कानून में यह कहती कि एमएसपी से कम कीमत पर करार नहीं किया जाएगा तो हमें कोई एतराज नहीं होता. अगर ऐसा होता तो हम उसे सहमति देते. वहीं, भाजपा नेताओं के इन आरोपों की राज्य सरकार खुद अपने स्तर पर एमएसपी पर खरीद करें इस पर जवाब देते हुए धारीवाल ने कहा कि एमएसपी पर किसी भी राज्य सरकार को कभी खरीदते हुए देखा है. उन्होंने कहा कि हमने प्रावधान किया है कि अगर एमएसपी से कम रेट पर सामान बेचने का दबाव कोई बनाएगा तो उसे किसान का शोषण माना जाएगा और 3 साल से लेकर 7 साल तक सजा का प्रावधान किया जाएगा.

स्टॉक लिमिट का अधिकार राज्य के पास हो

केंद्र सरकार शांता कुमार की उस रिपोर्ट लागू करना चाहती है जो कहती है कि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करनी ही नहीं चाहिए क्योंकि इससे सालाना एक लाख करोड़ का नुकसान होता है और अब तक एफसीआई को चार लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है. देश में कहीं अकाल और बाढ़ नहीं आई केवल राजस्थान में अकाल पड़ गया तो क्या हम केंद्र सरकार को लिखते रहेंगे क्या यह अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं रहना चाहिए कि स्टॉक लिमिट कितनी करनी है यह अधिकार अगर राज्य सरकार के पास नहीं रहेगा तो राज्य सरकार क्या करेगी.

Last Updated : Nov 2, 2020, 10:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.