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सायन मकर सक्रांति को लेकर जंतर-मंतर पर संगोष्ठी का आयोजन - विश्व धरोहर स्मारक

विश्व धरोहर स्मारक जंतर-मंतर पर सायन मकर सक्रांति के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने अयन संक्रांति के महत्व को समझाया है.

Seminar organized at Jantar Mantar
सायन मकर सक्रांति को लेकर जंतर-मंतर पर संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Dec 23, 2020, 12:06 AM IST

जयपुर. विश्व धरोहर स्मारक जंतर-मंतर पर सायन मकर सक्रांति के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने अयन संक्रांति के महत्व को समझाया. साथ ही जंतर मंतर के विभिन्न यंत्रों की कार्य शैली में अयन परिवर्तन के कारण आने वाले अंतर को स्पष्ट किया.

सायन मकर सक्रांति को लेकर जंतर-मंतर पर संगोष्ठी का आयोजन

दरअसल 21 दिसंबर को अपराह्न 3.32 बजे पर सायन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर गया. इसके साथ ही उत्तरायण सूर्य प्रारंभ हो गई. इसी दिन से शिशिर ऋतु प्रारंभ हो चुका है और राक्षसों की मध्यान्ह और देवताओं की अर्धरात्रि हो जाती है. ऐसे में उत्तरायण सूर्य का ज्योतिष शास्त्र और धर्म शास्त्र में बड़ा महत्व होता है. इसको लेकर विद्वज्जन और ज्योतिषाचार्य ने मंथन किया है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान में कोरोना के 807 नए मामले, 8 की मौत...संक्रमितों की कुल संख्या 3 लाख के पार

इसमें निष्कर्ष निकला कि सूर्य की परमा क्रांति 23 डिग्री 26 कला होती है, जिसे लघु सम्राट यंत्र, क्रांति यंत्र एंव अन्य यंत्रों पर वेध करके भी देखा गया. जिससे ज्ञात हुआ कि जंतर मंतर के 300 वर्ष पुराने यंत्र आज भी सटीक गणना प्रस्तुत करते हैं. इस संगोष्ठी में जगतगुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पंडित विनोद शास्त्री, प्रोफेसर डॉ कैलाश चन्द्र शर्मा, जंतर मंतर अधीक्षक मोहम्मद आरिफ सहित कई विद्वज्जन और ज्योतिषाचार्य मौजूद रहे.

जयपुर. विश्व धरोहर स्मारक जंतर-मंतर पर सायन मकर सक्रांति के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने अयन संक्रांति के महत्व को समझाया. साथ ही जंतर मंतर के विभिन्न यंत्रों की कार्य शैली में अयन परिवर्तन के कारण आने वाले अंतर को स्पष्ट किया.

सायन मकर सक्रांति को लेकर जंतर-मंतर पर संगोष्ठी का आयोजन

दरअसल 21 दिसंबर को अपराह्न 3.32 बजे पर सायन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर गया. इसके साथ ही उत्तरायण सूर्य प्रारंभ हो गई. इसी दिन से शिशिर ऋतु प्रारंभ हो चुका है और राक्षसों की मध्यान्ह और देवताओं की अर्धरात्रि हो जाती है. ऐसे में उत्तरायण सूर्य का ज्योतिष शास्त्र और धर्म शास्त्र में बड़ा महत्व होता है. इसको लेकर विद्वज्जन और ज्योतिषाचार्य ने मंथन किया है.

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इसमें निष्कर्ष निकला कि सूर्य की परमा क्रांति 23 डिग्री 26 कला होती है, जिसे लघु सम्राट यंत्र, क्रांति यंत्र एंव अन्य यंत्रों पर वेध करके भी देखा गया. जिससे ज्ञात हुआ कि जंतर मंतर के 300 वर्ष पुराने यंत्र आज भी सटीक गणना प्रस्तुत करते हैं. इस संगोष्ठी में जगतगुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पंडित विनोद शास्त्री, प्रोफेसर डॉ कैलाश चन्द्र शर्मा, जंतर मंतर अधीक्षक मोहम्मद आरिफ सहित कई विद्वज्जन और ज्योतिषाचार्य मौजूद रहे.

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