जयपुर : पूर्ववर्ती सरकार में बने तीन संभाग और 9 जिले खत्म करने के मामले को लेकर अब सियासी रार बढ़ती नजर आ रही है. भजनलाल सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल खड़े किए और पूछा, अगर नए संभाग और जिले बनाना गलत था, तो सरकार ने आते ही इन्हें निरस्त क्यों नहीं किया ? एक साल तक इंतजार क्यों किया ? अगर ये दूरी का तर्क देते हैं तो भरतपुर और डीग की दूरी कम होने के बावजूद डीग को यथावत जिला क्यों रखा गया ?
उन्होंने कहा कि हमारे समय बनाए गए संभाग और जिलों को खत्म कर सरकार 'गिल्टी कॉन्शियस' है, इसलिए सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट्स से जिलों के मामले में बयान दिलवाए जा रहे हैं, ताकि जनता में इस फैसले के प्रति रिएक्शन नहीं हो. इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, मुख्य सचेतक रफीक खान, विधायक अमीन कागजी, पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर और आरटीडीसी के पूर्व चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ भी मौजूद रहे.
राजस्थान में अभी और जिले बनने की संभावना : पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को अपने सरकारी आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्थान सबसे बड़ा प्रदेश है. लिहाजा, प्रदेश में अभी और जिले बनने की संभावना है. वे बोले, अगर मध्यप्रदेश और गुजरात से तुलना की जाए तो यहां जिलों की संख्या कम है. मध्यप्रदेश में 51 जिले थे, अब 53 जिले बना दिए गए. उन्होंने कहा, बजट में कई घोषणाएं होती हैं, जिनकी धरातल पर मॉनिटरिंग जरूरी है. गरीब, मजदूर और किसान अपनी फरियाद लेकर 150 किमी दूर जिला मुख्यालय पर आते हैं. उन्हें कितनी तकलीफ होती है.
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रिपोर्ट देने वाले अधिकारी तो भाजपा जॉइन कर चुके : अशोक गहलोत ने कहा, जिलों को लेकर रिपोर्ट देने वाले अधिकारी (ललित के. पंवार, सेवानिवृत्त आईएएस) तो भाजपा जॉइन कर चुके हैं. इसका सीधा सा मतलब है कि भाजपा सरकार ने जो तय किया, वह उनसे करवाया गया है. उन्होंने कहा, कई ब्यूरोक्रेट्स ने जिलों के मामले में जो टिप्पणी की है, उनकी तरफ से जो कमेंट आए हैं, वो किसी भी प्रकार से उचित नहीं हैं. आज जो हालत हैं, उन्हें देखते हुए यह ठीक नहीं है. दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय, यह प्रदेश के हित में नहीं है.
गहलोत ने कहा कि पहले मुख्य सचिव और फिर मुख्य सूचना आयुक्त रहे डीबी गुप्ता भी उनकी भाषा बोल रहे हैं. यह सब भाजपा का मैनेजमेंट है. जिलों को खत्म करने को लेकर सरकार गिल्टी कॉन्शियस है. अगर ऐसा नहीं है तो रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को आगे करके बात करने की क्या जरूरत थी. सरकार खुद भी यह बात कह सकती है. उनके मंत्री कह सकते हैं. रिटायर्ड अधिकारियों के सहारे की क्या जरूरत थी. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय हुआ है, जो प्रदेश के हित में नहीं है. हमने जल्दबाजी में नहीं बनाए जिले.
भाजपा सरकार के आरोपों पर पलटवार करते हुए गहलोत ने कहा, हमने नए जिले बनाने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया. बल्कि पहले पांच साल तक इसके लिए आधारभूत ढांचा बनाया. हमने नए राजस्व गांव घोषित किए, उप तहसील और तहसील गठित किए. इसके बाद जिले बनाए थे. उन्होंने कहा, 2001 से 2011 तक देश में 46 नए जिले बने थे, जबकि 2011 से 2024 तक 125 नए जिले बने. इससे साफ है कि बड़े जिलों से अधिकारियों पर भार होता है. काम नहीं होता है.
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सीएम भजनलाल ने खो दिया एक मौका : गहलोत बोले, "आज कितनी योजनाएं आ गई हैं. राज्यों के बजट बढ़ गए हैं. बड़े जिलों के नुकसान बताते हुए वे बोले कि निजी अनुभव कहता है कि आपके पास जिला स्तर पर पूरी मशीनरी नहीं है. मॉनिटरिंग करने वाली मशीनरी नहीं है तो योजनाएं धरातल पर लागू नहीं की जा सकती हैं. वे बोले कि छोटे जिले बनाकर सीएम भजनलाल शर्मा गवर्नेंस दे सकते थे, लेकिन उन्होंने यह मौका खो दिया. हम नहीं चाहते सरकार का परसेप्शन बिगड़े." गहलोत ने आगे कहा कि भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक और सीएम बने. हम नहीं चाहते थे कि सरकार का परसेप्शन बिगड़े, लेकिन एक साल में सरकार का परसेप्शन बिगड़ गया है. राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है. हत्या, दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. ये बिजली को लेकर ढिंढोरा पीटते हैं, लेकिन आज बिजली के मामले में भी हालत खराब है. नई सरकार काम नहीं कर पा रही है. यह बात अब बाहर फैल चुकी है. सरकार काम करने के बजाय नाम बनाने में लग गई है. जनकल्याण के काम रोके, इसलिए बोलना पड़ रहा है.
गहलोत ने कहा कि एक साल में सरकार बेपटरी हो गई है. भाजपा की सरकार बनी. हमने ज्यादा कुछ नहीं कहा, क्योंकि समझने में समय लगता है. अब उन्होंने जनकल्याण के काम रोके हैं, इसलिए मुझे बोलना पड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जयपुर मेट्रो का काम बंद कर दिया गया है. पहले इन्होंने रिफाइनरी का काम पांच साल लटकाया, जिससे उसकी लागत बढ़ गई. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, कांग्रेस ने 50 साल राज किया. उस समय पक्ष-विपक्ष में दुश्मनी नहीं थी. आज सत्ता पक्ष और विपक्ष में दुश्मनी है. यह कैसा माहौल बना दिया. उन्होंने बीते दिनों संसद में हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा, सत्ता पक्ष के सांसद प्रतिपक्ष के सांसदों को सदन में जाने से रोक रहे हैं. उन्होंने कहा, पीएम मोदी खुद कहकर गए कि पेट्रोल-डीजल के दाम कम करेंगे, लेकिन कर नहीं पाए. उन्होंने कहा, यूपीए सरकार ने अधिकार आधारित युग की शुरुआत की थी. जनता को शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा और मनरेगा जैसी योजनाएं कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने दी थी.
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प्रदेश में खींचतान वाली सरकार : एसआई भर्ती परीक्षा से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में यह खींचतान वाली सरकार बन गई है. कोई मंत्री कुछ कहता है तो दूसरा मंत्री कुछ और बयान देता है. बाबा साहेब से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, कांग्रेस ने उन्हें संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया था. उन्होंने सवाल उठाया कि आजादी की लड़ाई में भाजपा वाले कहां थे. आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी है. बोरवेल से होने वाले हादसों को लेकर उन्होंने कहा कि खुले बोरवेल को ढंकने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिए.
वोटों की फसल काटने के लिए बनाए नए जिले - चतुर्वेदी : इधर, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारी की समिति की रिपोर्ट आने से पूर्व ही केवल राजनीतिक दृष्टि से वोटों की फसल काटने के लिए आनन-फानन में 17 नए जिलों की घोषणा की थी. इतना ही नहीं, गहलोत ने जिस दूदू को 3 माह पूर्व नगर पालिका बनाने की घोषणा की. अपने चहेतों को खुश करने के लिए 3 माह के बाद दूदू को जिला बना दिया. उन्होंने रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता में यह बात कही. डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 5 साल तक सत्ता के संघर्ष में लगे रहे. अब एक साल से कांग्रेस लगातार भ्रम फैला रही है और उनकी पार्टी के नेता राजनीती कर रहे हैं.