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सावन का दूसरा सोमवार : भगवान शिव को बिल्कुल भी प्रिय नहीं है यह चीजें, जानें कैसे करें शिव की अराधना - सोमवार व्रत विधि

सावन माह भगवान शिव का सबसे पसंदीदा महीना होता है. कहा जाता है कि इस माह के सोमवार (Sawan somvar) को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. आइए जानते है सावन के दूसरे सोमवार को भगवान शिव की पूजा किस तरह करें और किन बातों का विशेष ध्यान रखें...

second sawan somvar 2021
second sawan somvar 2021
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Published : Aug 2, 2021, 7:08 AM IST

जयपुर. सोमवार के व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है. सावन मास में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. ये व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. आइए आपको बताते हैं सावन मास में शिव की पूजा और व्रत कैसे करें.

सोमवार व्रत विधि और नियम: सोमवार का व्रत साधारणतय दिन के तीसरे पहर तक होता है. व्रत में फलाहार कोई खास नियम नहीं है. दिन रात में केवल एक समय मीठा भोजन करें. इस व्रत में शिवजी और पार्वती का पूजन होता है. इस दिन जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. मंदिर नहीं जा सकें तो घर में शिवलिंग पर जलाभिषेक करें. माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं. शिव को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग अत्यंत प्रिय है. शिवलिंग पर पुष्पों के साथ इन वस्तुओं को चढ़ाएं.

ऐसे होंगे शिवजी प्रसन्न

गंगाजल, दूध और गुड से स्नान कराने से शिव प्रसन्न होते हैं.

शिवलिंग पर लाल या सफेद फूल चढ़ाने से शिव शांति प्रदान करते हैं.

शिवलिंग पर भांग धतुरा चढ़ाने से शिवजी सारे कष्ट दूर करते हैं.

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

बिल्व के पत्तों पर चंदन से ॐ लिखकर चढ़ाने से शिव बहुत प्रसन्न होते हैं.

प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं.

धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें.

आखिर में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद बांटें

पूजा करते समय बरतें ये सावधानियां

पूजा में केतकी के फुल न चढ़ाएं- भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल बिल्कुल भी प्रिय नहीं हैं, शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं.

भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाएं- तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है. नारियल का पानी न चढ़ाएं शिवलिंग की पूजा करते समय कभी भी शिवलिंग पर नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.

हल्‍दी खानपान का स्‍वाद तो बढ़ाती है साथ ही धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती.

जयपुर. सोमवार के व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है. सावन मास में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. ये व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. आइए आपको बताते हैं सावन मास में शिव की पूजा और व्रत कैसे करें.

सोमवार व्रत विधि और नियम: सोमवार का व्रत साधारणतय दिन के तीसरे पहर तक होता है. व्रत में फलाहार कोई खास नियम नहीं है. दिन रात में केवल एक समय मीठा भोजन करें. इस व्रत में शिवजी और पार्वती का पूजन होता है. इस दिन जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. मंदिर नहीं जा सकें तो घर में शिवलिंग पर जलाभिषेक करें. माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं. शिव को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग अत्यंत प्रिय है. शिवलिंग पर पुष्पों के साथ इन वस्तुओं को चढ़ाएं.

ऐसे होंगे शिवजी प्रसन्न

गंगाजल, दूध और गुड से स्नान कराने से शिव प्रसन्न होते हैं.

शिवलिंग पर लाल या सफेद फूल चढ़ाने से शिव शांति प्रदान करते हैं.

शिवलिंग पर भांग धतुरा चढ़ाने से शिवजी सारे कष्ट दूर करते हैं.

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

बिल्व के पत्तों पर चंदन से ॐ लिखकर चढ़ाने से शिव बहुत प्रसन्न होते हैं.

प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं.

धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें.

आखिर में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद बांटें

पूजा करते समय बरतें ये सावधानियां

पूजा में केतकी के फुल न चढ़ाएं- भगवान शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल बिल्कुल भी प्रिय नहीं हैं, शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं.

भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाएं- तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है. नारियल का पानी न चढ़ाएं शिवलिंग की पूजा करते समय कभी भी शिवलिंग पर नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.

हल्‍दी खानपान का स्‍वाद तो बढ़ाती है साथ ही धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती.

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