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वर्तमान सत्र की फीस स्कूल और अभिभावक तय करें : HC - Rajasthan High Court Order

राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में शुक्रवार को अपना आदेश सुनाया. न्यायालय के आदेश के अनुसार वर्तमान सत्र की फीस स्कूल और अभिभावक तय करें.

Private school fees case, Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 18, 2020, 5:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से गत 28 अक्टूबर को जारी आदेश के अनुसार निजी स्कूल संचालक फीस ले सकते हैं. राज्य सरकार के इस आदेश के तहत ऑनलाइन पढ़ाई होने तक स्कूल संचालक ट्यूशन फीस का 60 फीसदी और स्कूल खुलने के बाद सिलेबस के अनुपात में कम की गई फीस वसूल सकते हैं.

स्कूल संचालक के वकील प्रतीक कासलीवाल

इसके साथ ही अदालत ने इसे राज्य का नीतिगत निर्णय बताते हुए दखल से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार व अन्य की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि जिन स्कूलों की इस सत्र की फीस तय नहीं है, वे फीस नियामक कानून के तहत 15 दिन में फीस तय करें.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने RAS मुख्य परीक्षा का परिणाम किया रद्द...

अदालत ने स्कूल और अभिभावकों पर छोड़ा है कि वह वर्तमान सत्र की फीस 28 अक्टूबर के आदेश के आधार पर तय करें या उसमें कमी या बढ़ोतरी कर सकते हैं. इसके अलावा अदालत ने कहा है कि तय फीस से संतुष्ठ नहीं होने पर संभागीय फीस निर्धारण कमेटी के समक्ष मामला रखा जा सकता है.

क्या कहती है 28 अक्टूबर की सिफारिशें...

  • ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अभिभावकों से ट्यूशन फीस का 60 फीसदी वसूला जा सकता है.
  • फीस वही अभिभावक देंगे, जिनका बच्चा ऑनलाइन कक्षा में शामिल हो रहा है.
  • स्कूल खुलने के बाद सिलेबस संबंधित बोर्ड तय करेगा, उसके अनुसार ही फीस ली जाएगी.
  • कोर्स पूरा कराने की जिम्मेदारी स्कूल की होगी.

यह थे राज्य सरकार के तर्क...

  • सरकार ने स्कूल खुलने तक फीस को केवल स्थगित किया है.
  • अदालती आदेश की पालना में कमेटी गठित की गई.
  • कमेटी ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 60 फीसदी ट्यूशन फीस तय की.
  • जबकि स्कूल खुलने के बाद जितना सिलेबस कम किया गया, उसी अनुपात में फीस कम की गई.
  • सीबीएसई ने किया है 30 फीसदी सिलेबस कम, जबकि आरबीएसई ने किया है 40 फीसदी कम.
  • राज्य सरकार को फीस तय करने की शक्ति है.
  • ऑनलाइन पढ़ाई में स्कूल संचालकों का काफी पैसा बचा.

यह थे स्कूल संचालकों के तर्क...

  • फीस तय करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है.
  • डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और महामारी एक्ट के तहत सरकार को फीस कम करने की शक्ति नहीं हैं.
  • सरकार स्कूल फीस के नियम बना सकती है, लेकिन फीस वसूलने का आदेश नहीं दे सकती है.
  • शिक्षा निदेशक के जारी किए आदेश महामारी एक्ट के तहत गठित कमेटी से स्वीकृत नहीं कराए गए.
  • कोरोना काल में भी संसाधनों और स्टाफ को बनाए रखा.
  • देश के 8 हाईकोर्ट 100 फीसदी ट्यूशन फीस वसूली के आदेश दे चुके हैं.

यह थे अभिभावकों के तर्क...

  • ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ नाम मात्र की.
  • स्कूल संचालकों का विभिन्न मदों में बचत हुआ.
  • अधिकतम 30 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलें.

यह माना अदालत ने...

  • सरकार के नीतिगत निर्णय में दखल नहीं, जब तक कि मनमानी ना हो.
  • राज्य सरकार को फीस तय करने का अधिकार है.
  • राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दोनों पक्षों के हितों का संतुलन रखा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से गत 28 अक्टूबर को जारी आदेश के अनुसार निजी स्कूल संचालक फीस ले सकते हैं. राज्य सरकार के इस आदेश के तहत ऑनलाइन पढ़ाई होने तक स्कूल संचालक ट्यूशन फीस का 60 फीसदी और स्कूल खुलने के बाद सिलेबस के अनुपात में कम की गई फीस वसूल सकते हैं.

स्कूल संचालक के वकील प्रतीक कासलीवाल

इसके साथ ही अदालत ने इसे राज्य का नीतिगत निर्णय बताते हुए दखल से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार व अन्य की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि जिन स्कूलों की इस सत्र की फीस तय नहीं है, वे फीस नियामक कानून के तहत 15 दिन में फीस तय करें.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने RAS मुख्य परीक्षा का परिणाम किया रद्द...

अदालत ने स्कूल और अभिभावकों पर छोड़ा है कि वह वर्तमान सत्र की फीस 28 अक्टूबर के आदेश के आधार पर तय करें या उसमें कमी या बढ़ोतरी कर सकते हैं. इसके अलावा अदालत ने कहा है कि तय फीस से संतुष्ठ नहीं होने पर संभागीय फीस निर्धारण कमेटी के समक्ष मामला रखा जा सकता है.

क्या कहती है 28 अक्टूबर की सिफारिशें...

  • ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अभिभावकों से ट्यूशन फीस का 60 फीसदी वसूला जा सकता है.
  • फीस वही अभिभावक देंगे, जिनका बच्चा ऑनलाइन कक्षा में शामिल हो रहा है.
  • स्कूल खुलने के बाद सिलेबस संबंधित बोर्ड तय करेगा, उसके अनुसार ही फीस ली जाएगी.
  • कोर्स पूरा कराने की जिम्मेदारी स्कूल की होगी.

यह थे राज्य सरकार के तर्क...

  • सरकार ने स्कूल खुलने तक फीस को केवल स्थगित किया है.
  • अदालती आदेश की पालना में कमेटी गठित की गई.
  • कमेटी ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 60 फीसदी ट्यूशन फीस तय की.
  • जबकि स्कूल खुलने के बाद जितना सिलेबस कम किया गया, उसी अनुपात में फीस कम की गई.
  • सीबीएसई ने किया है 30 फीसदी सिलेबस कम, जबकि आरबीएसई ने किया है 40 फीसदी कम.
  • राज्य सरकार को फीस तय करने की शक्ति है.
  • ऑनलाइन पढ़ाई में स्कूल संचालकों का काफी पैसा बचा.

यह थे स्कूल संचालकों के तर्क...

  • फीस तय करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है.
  • डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट और महामारी एक्ट के तहत सरकार को फीस कम करने की शक्ति नहीं हैं.
  • सरकार स्कूल फीस के नियम बना सकती है, लेकिन फीस वसूलने का आदेश नहीं दे सकती है.
  • शिक्षा निदेशक के जारी किए आदेश महामारी एक्ट के तहत गठित कमेटी से स्वीकृत नहीं कराए गए.
  • कोरोना काल में भी संसाधनों और स्टाफ को बनाए रखा.
  • देश के 8 हाईकोर्ट 100 फीसदी ट्यूशन फीस वसूली के आदेश दे चुके हैं.

यह थे अभिभावकों के तर्क...

  • ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ नाम मात्र की.
  • स्कूल संचालकों का विभिन्न मदों में बचत हुआ.
  • अधिकतम 30 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलें.

यह माना अदालत ने...

  • सरकार के नीतिगत निर्णय में दखल नहीं, जब तक कि मनमानी ना हो.
  • राज्य सरकार को फीस तय करने का अधिकार है.
  • राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दोनों पक्षों के हितों का संतुलन रखा है.
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