जयपुर. राजस्थान में पिछले कुछ महीनों में हुई दंगों की घटनाओं को लेकर प्रबुद्धजनों में चिंता (Scholars Worries On Riots) है. अपनी उसी चिंता को ज्ञापन के तौर पर राज्यपाल कलराज मिश्र को सौंप दिया. इन स्कॉलर्स ने राजस्थान की तुलना कश्मीर से की है. इनके मुताबिक 30-40 साल पहले कश्मीर में भी इसी तरह हिंसा की शुरुआत हुई थी. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कश्मीर जैसे हालात बने (Communal Tensions In Rajasthan) उससे पहले प्रदेश की गहलोत सरकार को इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए.
सरकार की एक तरफा कार्रवाई: अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन रहे जसवीर सिंह ने कहा कि राजस्थान में जिस तरह से पिछले कुछ महीनों में एक के बाद एक सांप्रदायिक दंगों जैसी घटनाएं हुई. उन घटनाओं ने प्रदेश में असुरक्षा का माहौल खड़ा कर दिया है लेकिन उससे बड़ी चिंता की बात यह है कि सरकार इस तरह की घटनाओं पर एकतरफा कार्रवाई कर रही है. दंगों के बाद सरकार जिस तरह के स्टेटमेंट जारी कर रही है, इससे निष्पक्ष जांच होना असंभव है. सरकार इन दंगों को सामान्य घटना करार दे रही है उसके बाद पुलिस भी उसी दिशा में कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास गृह मंत्रालय भी है. उन्हें इस बात की चिंता होनी चाहिए कि प्रदेश में जो माहौल बन रहा है वो ठीक नहीं है और उससे ज्यादा गंभीर चिंता की सरकार जिस तरह से एक वर्ग विशेष को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है , उससे और ज्यादा असुरक्षित माहौल बन रहा है. उन्होंने कहा कि इन्हीं चिंताओं को लेकर प्रबुद्ध जन वर्ग राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला और अपनी चिंता व्यक्त करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है.
'कश्मीर न बन जाए': रिटायर्ड कर्नल देवानंद ने कहा कि जिस तरह से राजस्थान में पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएं हो रही है वह ठीक उसी तरह के हालातों को बयां कर रहे हैं जैसे हालात आज से 30 से 40 साल पहले कश्मीर में थे. पत्थरबाजी की घटनाएं 1 वर्ग कीओर से किया जाना बड़ी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात पर चिंतित होना चाहिे कि राजस्थान के कई जिले सीमावर्ती जिले हैं. ऐसे में कश्मीर जैसे हालात राजस्थान में न बने इसके लिए कठोर कार्रवाई की जरूरत है. रिटार्यड कर्नल ने सरकार के रवैए पर भी आपत्ति जताई. कहा- जिस तरह के कार्रवाई का माहौल बन रहा हैं वह कहीं ना कहीं एक वर्ग को प्रोत्साहित करने वाले लग रहा है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. सरकार को चाहिए कि वो दंगों के आरोपियों पर चाहें वो किसी भी वर्ग का हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ताकि आम जनमानस में असुरक्षा का माहौल उत्पन्न न हो.
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प्रबुद्धजन मंडल: राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी मोहनलाल छीपा भी इस प्रबुद्धजन मंडल में शामिल थे. उन्होंने भी राज्यपाल से मुलाकात की. छीपा ने कहा कि मौजूदा वक्त में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं और आखिर क्या कारण है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर पा रही है? इन्हीं सब चिंताओं को लेकर प्रबुद्ध जन वर्ग ने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल में राजस्थान हालातों को बदलने की जरूरत है. राजस्थान एक शांत और भाईचारे वाला प्रदेश रहा है, यहां पर इस तरह की घटनाएं कभी नहीं हुई है. पिछले कुछ महीनों में लगातार बढ़ी घटनाओं पर सरकार को गंभीरता से काम करना चाहिए.इस मंडल में पूर्व आईएएस, पूर्व आईपीएस, पूर्व कर्नल , पूर्व हाई कोर्ट के जज, पूर्व वाइस चांसलर , पूर्व आयोग , निगम बोर्ड के अध्यक्ष सहित तमाम प्रबुद्ध जन वर्ग थे.
सरकार से अपील: पूर्व आईपीएस कन्हैयालाल बेरवाल के अनुसार दंगों में सरकार की भूमिका संशय से परे नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी वर्ग को एक चश्मे से देखना चाहिए. राजस्थान का सौहार्द पूर्ण माहौल रहा है उसके बिगड़ने की जिम्मेदारी किसकी है , यह विचारणीय विषय है. सरकार किसी वर्ग विशेष की नहीं होती है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप भी लगाया. सरकार को ये देखना चाहिए कि गुनहगार कौन है. आरोप लगाया कि जिस तरह से करौली में जो घटना हुई और उस घटना पर जो थाना अधिकारी की ओर से पहली एफआईआर दर्ज की गई और बाद में उसी को उच्च अधिकारी ने बदल दिया यह बहुत गंभीर है. पुलिस जांच में लीपापोती की गई वह साफ दर्शाती है कि सरकार का इरादा सही नहीं है.