जयपुर. कलेक्ट्रेट में संविदा पर लगे कर्मचारियों ने एनएचएआई की चेकों पर एडीएम तृतीय के फर्जी हस्ताक्षर कर भुगतान उठा लिया. बनीपार्क थाने के एसएचओ नरेश कुमार और एसआई नरेंद्र सिंह इस मामले की जांच कर रहे हैं. कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम इकबाल खान के नेतृत्व में 6 सदस्यों की एक जांच कमेटी भी गठित की है. अतिरिक्त जिला कलेक्टर तृतीय राजेंद्र कविया ने बताया कि जल्द ही इसकी रिपोर्ट भी कलेक्टर को दी जाएगी. जिस कमरे में इस मामले का रिकॉर्ड रखा हुआ है, वह कमरा नंबर 115 को भी सील कर दिया गया है.
वरिष्ठ सहायक एपीओ
अतिरिक्त जिला कलेक्टर तृतीय के कार्यालय में लगे वरिष्ठ सहायक कपिल शर्मा को इस मामले में एपीओ कर दिया गया है. भूमि के मुआवजे के भुगतान की जिम्मेदारी कपिल शर्मा की थी. उनके साथ दो संविदाकर्मी जयनारायण और दुष्यन्त कुमार लगे हुए थे. जो फिलहाल फरार बताए जा रहे हैं. उनका फोन भी बंद आ रहा है.
तकनीक का उपयोग कर की हेरफेर
राजेन्द्र कविया ने बताया कि पत्रावली और चेक पर हस्ताक्षर करवाने के बाद चेक से नाम और राशि को बदला गया है. राजेंद्र कविया ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए चेकों आरटीजीएस में हेरफेर कर यह घोटाला किया गया है. बैंक के अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. राजेंद्र कविया ने बताया जब चेक पर साइन किए गए, उस समय वास्तविक राशि ही भरी हुई थी. पेन की स्याही में हेरफेर कर और किसी अन्य तकनीक का उपयोग कर यह घोटाला किया गया है.
90 चेकों में मिली गड़बड़ी
राजेंद्र कविया ने बताया कि जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि मामले में दोषी कौन है लेकिन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. करोड़ों रुपए की का घोटाला सामने आने के बाद मुआवजे की करीब तीन हजार से ज्यादा फाइलों को खंगालने पर घोटाले की परत खुलती जा रही है. साथ में मुआवजा राशि के लिए जारी चेकों का बैंक के स्टेटमेंट से मिलान किया जा रहा है और अब तक 90 चेक में गड़बड़ी मिली है.
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जयपुर स्थित कोटक महिंद्रा बैंक में एडीएम जयपुर तृतीय और एनएचएआई जयपुर महुआ और जयपुर-रींगस नाम से दो खाते हैं. हाईवे की चौड़ाई बढ़ाने के लिए भूमि अवाप्ति के मुआवजे के भुगतान की जिम्मेदारी कपिल शर्मा है. कपिल शर्मा एडीएम तृतीय को पत्रावली और चेक हस्ताक्षर के लिए देते थे. पत्रावली पर स्वीकृति के बाद उस राशि के चेक जारी किए जाते थे, फिलहाल इस मामले में दो करोड़ का घोटाला सामने आ रहा है.
2011 से चल रहा है हेरफेर
कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा का कहना है कि मामले के लिए एडीएम प्रथम इकबाल खान के नेतृत्व में 6 सदस्यों की प्रशासनिक जांच टीम का गठन कर दिया गया है. मुआवजा राशि भारत सरकार की ओर से एनएचएआई को भुगतान के लिए दी गई थी. मामले की जांच की जा रही है कि किस तकनीक से और किस स्तर पर हेरफेर किया गया है. सामने आया कि 300 से अधिक खाताधारकों को मुआवजा भुगतान की राशि दी गई है यह भी बताया जा रहा है कि जयपुर सीकर हाईवे की चौड़ाई बढ़ाने में अवाप्त हुई भूमि के समय 2011 से मुआवजा राशि में हेरफेर किया जा रहा है.