जयपुर. राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राज्य अनुसूचित जाति जनजाति विकास निधि विधेयक 2022 पारित हुआ. भाजपा के विधायक एससी-एसटी वर्ग के विकास के लिए लाए इस विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ और मजबूत बनाने के पक्ष में थे. जिसके चलते उन्होंने इसे जनमत जानने के लिए भेजने की मांग की, लेकिन बीजेपी के ही वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल इस विधेयक के समर्थन में नजर (Kailash Meghwal supported SC ST Development Fund Bill) आए.
दरअसल, यह विधेयक अनुसूचित जाति व जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में बजट का प्रावधान किए जाने के लिए लाया गया था, ताकि इस वर्ग के लोगों का सर्वांगीण विकास हो सके. ऐसे में भाजपा हो या कांग्रेस सभी के विधायक इस बिल के समर्थन में थे. विपक्ष के नाते बीजेपी ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में इसी प्रकार से लाए गए विधेयकों का हवाला दिया और कहा कि उनकी तुलना में यहां लाया गया विधेयक काफी कमजोर है. विधेयक पर बहस के दौरान भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़, अशोक लाहोटी, अनिता भदेल, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया समेत लगभग सभी विधायकों ने इसी बात पर जोर दिया.
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इतने वर्षों के बाद प्रदेश सरकार एससी-एसटी के विकास के लिए यह प्लान लेकर आई है, लेकिन यहां तो केवल मैसेज की राजनीति करना चाहते हैं. वास्तव में क्या इस वर्ग का विकास करने की मंशा है. राठौड़ ने कहा कि यदि इस वर्ग की जनसंख्या देखें, तो मौजूदा बजट में उतना प्रावधान है ही नहीं. राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस ने अनुसूचित जाति व जनजाति को केवल वोट बैंक माना है, लेकिन जिस दिन कांग्रेस के चेहरे से नकाब हटेगा, तब पता चल जाएगा.
वहीं विधायक अशोक लाहोटी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि साल 2020-21 में मुख्यमंत्री ने इस वर्ग के लिए 100 करोड़ रुपए का बजट से अलग प्रावधान रखा था, जिसे इस बार बढ़ाकर 500 करोड़ कर लिया गया. लेकिन मार्च 2021 तक 100 करोड़ में से केवल 10 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं. कटारिया ने कहा अब जनसंख्या के अनुपात पर बजट रखना है, तो 500 करोड़ को बढ़ाकर करीब एक लाख करोड़ करना होगा.
एससी-एसटी वर्ग पर बढ़ रहे अत्याचारों : विधेयक पर बहस के दौरान भाजपा विधायकों ने प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर बढ़ रहे अत्याचारों को गिनाया. भाजपा विधायकों ने कहा आज अनुसूचित जाति-जनजाति पर अत्याचार के मामले में राजस्थान देश में तीसरे नंबर पर है. विधायक जोराराम कुमावत ने तो यह तक कह दिया कि इस विधेयक को लाने से पहले अच्छा होता कि सरकार इस वर्ग पर हो रहे अत्याचारों को खत्म करने पर ध्यान देती.
स्टेट काउंसिल का कैसे होगा गठन, मुख्यमंत्री तो खुद इस वर्ग के विरोधी-दिलावर: बहस में शामिल होते हुए भाजपा विधायक मदन दिलावर ने कहा कि इस विधेयक में स्टेट काउंसिल के गठन की भी जानकारी दी गई है. लेकिन यह गठन कैसा होगा, इसका कोई उल्लेख नहीं है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इस स्टेट काउंसिल की बैठक होगी. दिलावर ने कहा आज जब इस विधेयक पर सदन में चर्चा हो रही है, तब खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यहां पर मौजूद नहीं हैं. क्योंकि उन्हें इस वर्ग की चिंता नहीं है और वह इसके विरोधी भी हैं. दिलावर ने कहा कि प्रदेश सरकार एक तरीके से यह लंगड़ा—लुला बिल लेकर आई है. वहीं विधायक अनिता भदेल ने भी इस विधेयक में खामियां गिनाकर सुझाव दिए ताकि इसे और सशक्त बनाया जाए.
गर्ग बोले-सरकार लाई है लूला-लंगड़ा बिल, छगन सिंह ने कहा-जिला स्तर पर हो बजट आवंटन: वहीं बहस में शामिल होते हुए भाजपा सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि यह सरकार लूला-लंगड़ा बिल लेकर आई है जिसके जरिए अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग का विकास नहीं हो सकता. गर्ग ने इस विधेयक में कुछ खामियां गिनाते हुए सुझाव दिए और इसे जनमत जानने के लिए भेजने की बात कही. वहीं भाजपा विधायक छगन सिंह ने कहा अनुसूचित जाति और जनजाति की जनसंख्या के आधार पर राज्य स्तर ना होकर संभाग और जिला स्तर होना चाहिए. क्योंकि जिस जिले में इस वर्ग के प्रशासनिक अधिकारी होंगे, वहीं ये पूरा बजट खर्च कर दिया जाएगा. ऐसे में जरूरी है कि जिला स्तर पर आबादी के हिसाब से इसका अनुपात तय किया जाए.
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भाजपा विधायकों से अलग मेघवाल ने किया समर्थन: उधर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल इस विधेयक के समर्थन में सरकार के साथ नजर आए. मेघवाल ने कहा कि देश में आज भी यह वर्ग छुआछूत जैसी परिस्थितियों से गुजर रहा है. जबकि कई महापुरुषों व संतो ने इसे खत्म करने के लिए प्रयास किया. मेघवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार इस वर्ग के विकास के लिए यह विधेयक लेकर आई है, जो स्वागत योग्य है. यह विधेयक पारित भी होगा. इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं, लेकिन स्पीकर साहब आपसे एक प्रार्थना है कि अनुसूचित जाति—जनजाति वर्ग की समस्याओं और उनके उत्थान के लिए एक सेशन अलग से रखें.