जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट आवंटियों के अधिकार को सर्वोपरि मानते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को सही माना है, जिसमें रैरा एक्ट और बैंक के वसूली कानून में विरोधाभास होने पर रैरा एक्ट के प्रावधानों को प्रभावी माना था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले में बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दायर एसएलपी को खारिज (SC rejects Bank Of India SLP) कर दिया है.
फ्लैट आवंटियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि प्रकरण अशोक मार्ग स्थित आवासीय परिसर सनराइजर्स से जुड़ा हुआ है. प्रोजेक्ट के डेवलपर ने वर्ष 2016 में संपूर्ण इमारत को गिरवी रखकर तत्कालीन आंध्रा बैंक, जो कि अब यूनियन बैंक में विलय हो चुका है, से 15 करोड़ रुपए का लोन लिया था. जबकि कई लोगों से रुपए लेकर परिसर में कई फ्लैट की बुकिंग ले ली गई थी.
पढ़ें: Rajasthan HC Order: ऑफलाइन क्लास वाले स्कूलों को आरटीई एक्ट के तहत पुनर्भुगतान दावों की छूट
जब डेवलपर लोन चुकाने में असमर्थ रहा, तो बैंक ने बिल्डिंग को कब्जे में ले लिया. बैंक की ओर से फ्लैट्स नीलामी की तैयारी करने पर आवंटियों ने रैरा में शिकायत की थी. इस पर रैरा ने नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगाकर बिल्डिंग का कब्जा रैरा को सुपुर्द करने के आदेश दिए. रैरा के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. बैंक का कहना था कि रैरा को बैंक के खिलाफ आदेश देने का अधिकार नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट ने बैंक की याचिका को खारिज कर दिया. इस आदेश के खिलाफ बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी.