ETV Bharat / city

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सतीश पूनिया का कैसा रहा एक साल का कार्यकाल...यहां जानें

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में डॉ. सतीश पूनिया ने सोमवार को 1 साल पूरा कर लिया है. प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के बाद से अब तक क्या रही उनकी उपलब्धियां और क्या रही खामियां जाने इस खास रिपोर्ट में...

jaipur news  rajasthan news
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल का 1 साल हो गया है
author img

By

Published : Sep 14, 2020, 7:30 PM IST

जयपुर. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में डॉ. सतीश पूनिया का सोमवार को 1 साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. 1 साल के कार्यकाल के दौरान उनके कामकाज का लेखा-जोखा भी उन्होंने अपने समर्थकों ने सामने रखा लेकिन, कुछ अधूरे काम ऐसे भी हैं जो इस दौरान चर्चा का विषय बने रहे. प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के बाद से अब तक क्या रही उपलब्धियां और कौन से वो काम रहे अधूरे जिसे दुरुस्त कर पूनियां को प्रदेश इकाई को देनी है और मजबूती. देखिए इस रिपोर्ट में...

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल का 1 साल हो गया है

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के निधन के बाद कई महीनों तक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली रहा था. लेकिन 14 सितंबर 2019 को सतीश पूनिया के रूप में भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला. पार्टी की कमान संभालने के बाद सतीश पूनिया ने पार्टी की मजबूती के लिए काम किया. लेकिन अपनी नई टीम की घोषणा करने में उनको लंबा वक्त लग गया. हालांकि इस बीच कोरोना संक्रमण फैलने की वजह से उनकी पहली प्राथमिकता जनसेवा रही. प्रदेश की भाजपा इकाई ने लॉकडाउन के दौरान जन सेवा से जुड़े कार्यों में पूरी ताकत झोंक दी थी. इसके लिए उन्हें केंद्रीय इकाई से शाबाशी भी मिली.

उसके बाद अनलॉक का दौर शुरू हुआ. तब लंबे इंतजार के बाद पूनिया ने अपनी प्रदेश टीम का ऐलान कर दिया. टीम में कई नए और पुराने चेहरों को जगह मिली. लेकिन इस 1 साल के कार्यकाल के पूरे होने के बाद भी अब तक न तो पार्टी के अग्रिम मोर्चे का गठन हो पाया है और ना प्रकल्प और विभागों का. वहीं, प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों की घोषणा होना भी बाकी है. मतलब ये वो कमी हैं, जिसको पूरा करने की जिम्मेदारी अभी पूनियां के कंधों पर है.

वरिष्ठ नेताओं को एकजुट रखने में रहे नाकाम...

पूनिया के इस 1 साल के कार्यकाल में बाहरी तौर पर सब एकजुट नजर आए. लेकिन आंतरिक रूप से कई वरिष्ठ नेताओं को एकजुट करने में या पार्टी के साथ एकमुखी दिखाने में डॉ. सतीश पूनिया पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाए. खासतौर पर वसुंधरा राजे की संगठन और पार्टी से जुड़े अभियानों से दूरी इस बात का सबूत है. कोरोना काल के दौरान भी वसुंधरा राजे अधिकतर बैठकों से नदारद रहीं. वहीं जो अभियान पार्टी की ओर से राजस्थान में चलाए गए, उसमें भी वसुंधरा राजे की भागीदारी देखी नहीं गई. मतलब अपने 1 साल के कार्यकाल के दौरान पूनिया तमाम प्रयासों के बावजूद वसुंधरा राजे को खुद से नहीं जोड़ पाए.

ये भी पढ़ेंः गुर्जर आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करे केंद्र सरकार : डोटासरा

कोरोना काल के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की वर्चुअल रैली से जुड़े पोस्टर में पूर्व मंत्री रहे यूनुस खान की तरफ से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सतीश पूनियां की फोटो ना लगाए जाने को लेकर भी विवाद सुर्खियों में रहा था. हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान जब प्रदेश सरकार अपना विश्वास मत सदन में रख रही थी तब पार्टी के 4 विधायकों के बिना सूचना के सदन से गायब होने का मामला भी सुर्खियों में रहा था. ये बातें दर्शा रहीं थी की पार्टी के भीतर फिलहाल सब कुछ ठीक नहीं है. मतलब इन कमी को दूर करना भी अब पूनिया की पहली प्राथमिकता रहेगी. ताकि उनके नेतृत्व में पार्टी प्रदेश में एकमुखी नजर आए.

जयपुर. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में डॉ. सतीश पूनिया का सोमवार को 1 साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. 1 साल के कार्यकाल के दौरान उनके कामकाज का लेखा-जोखा भी उन्होंने अपने समर्थकों ने सामने रखा लेकिन, कुछ अधूरे काम ऐसे भी हैं जो इस दौरान चर्चा का विषय बने रहे. प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के बाद से अब तक क्या रही उपलब्धियां और कौन से वो काम रहे अधूरे जिसे दुरुस्त कर पूनियां को प्रदेश इकाई को देनी है और मजबूती. देखिए इस रिपोर्ट में...

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल का 1 साल हो गया है

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के निधन के बाद कई महीनों तक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली रहा था. लेकिन 14 सितंबर 2019 को सतीश पूनिया के रूप में भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला. पार्टी की कमान संभालने के बाद सतीश पूनिया ने पार्टी की मजबूती के लिए काम किया. लेकिन अपनी नई टीम की घोषणा करने में उनको लंबा वक्त लग गया. हालांकि इस बीच कोरोना संक्रमण फैलने की वजह से उनकी पहली प्राथमिकता जनसेवा रही. प्रदेश की भाजपा इकाई ने लॉकडाउन के दौरान जन सेवा से जुड़े कार्यों में पूरी ताकत झोंक दी थी. इसके लिए उन्हें केंद्रीय इकाई से शाबाशी भी मिली.

उसके बाद अनलॉक का दौर शुरू हुआ. तब लंबे इंतजार के बाद पूनिया ने अपनी प्रदेश टीम का ऐलान कर दिया. टीम में कई नए और पुराने चेहरों को जगह मिली. लेकिन इस 1 साल के कार्यकाल के पूरे होने के बाद भी अब तक न तो पार्टी के अग्रिम मोर्चे का गठन हो पाया है और ना प्रकल्प और विभागों का. वहीं, प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों की घोषणा होना भी बाकी है. मतलब ये वो कमी हैं, जिसको पूरा करने की जिम्मेदारी अभी पूनियां के कंधों पर है.

वरिष्ठ नेताओं को एकजुट रखने में रहे नाकाम...

पूनिया के इस 1 साल के कार्यकाल में बाहरी तौर पर सब एकजुट नजर आए. लेकिन आंतरिक रूप से कई वरिष्ठ नेताओं को एकजुट करने में या पार्टी के साथ एकमुखी दिखाने में डॉ. सतीश पूनिया पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाए. खासतौर पर वसुंधरा राजे की संगठन और पार्टी से जुड़े अभियानों से दूरी इस बात का सबूत है. कोरोना काल के दौरान भी वसुंधरा राजे अधिकतर बैठकों से नदारद रहीं. वहीं जो अभियान पार्टी की ओर से राजस्थान में चलाए गए, उसमें भी वसुंधरा राजे की भागीदारी देखी नहीं गई. मतलब अपने 1 साल के कार्यकाल के दौरान पूनिया तमाम प्रयासों के बावजूद वसुंधरा राजे को खुद से नहीं जोड़ पाए.

ये भी पढ़ेंः गुर्जर आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करे केंद्र सरकार : डोटासरा

कोरोना काल के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की वर्चुअल रैली से जुड़े पोस्टर में पूर्व मंत्री रहे यूनुस खान की तरफ से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सतीश पूनियां की फोटो ना लगाए जाने को लेकर भी विवाद सुर्खियों में रहा था. हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान जब प्रदेश सरकार अपना विश्वास मत सदन में रख रही थी तब पार्टी के 4 विधायकों के बिना सूचना के सदन से गायब होने का मामला भी सुर्खियों में रहा था. ये बातें दर्शा रहीं थी की पार्टी के भीतर फिलहाल सब कुछ ठीक नहीं है. मतलब इन कमी को दूर करना भी अब पूनिया की पहली प्राथमिकता रहेगी. ताकि उनके नेतृत्व में पार्टी प्रदेश में एकमुखी नजर आए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.