जयपुर. राजस्थान में बीते साल जब सियासी संकट आया था, उसके बाद से लगातार भाजपा के नेता अक्सर यह बयान देते नजर आ रहे हैं कि राजस्थान की गहलोत सरकार कभी भी गिर सकती है. दरअसल, 2 दिन पहले राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कहा कि जो 6 महीने का समय इनकी पार्टी के नेता दे रहे थे वह पूरा हो गया है, अब भाजपा के नेता क्या कहना चाहते हैं?
इस बयान के जवाब में आज राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि हमारे नेताओं के सरकार गिरने के जो बयान आए थे उनका आधार सरकार में अंतर्कलह, सरकार की कमजोरी और हर मोर्चे पर उसका विफल रहना था, ऐसी कमजोर सरकार अपने बोझ से कभी भी गिर सकती है. उन्होंने कहा कि खासतौर पर उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की जो दुर्दशा हुई है और इस उपचुनाव में मिलने वाली हार कांग्रेस पार्टी के गिरने का सबसे बड़ा कारण बनेगी.
वहीं, मध्यावधि चुनाव की संभावना को लेकर सतीश पूनिया ने कहा कि उन्हें मध्यावधि चुनाव के साथ ही कई और संभावनाएं भी दिखाई दे रही हैं और आने वाले दिनों में सियासी उठापटक की वर्षगांठ मनाई जाएगी या फिर बरसी यह तो आने वाला समय ही बताएगा. उन्होंने विधानसभा में कांग्रेस के दलित विधायकों की बात उठाने और सचिन पायलट का उस बात का समर्थन करने पर कहा कि यह तो साफ दिखता है कि अंतर्विरोध दूर करने के लिए जो सियासी फॉर्मूला तय किया गया था वह अमल में नहीं लाया गया. इस बात की चर्चा पार्टी के अंदर भी हो रही है और सड़कों पर भी चल रही है, इन चर्चाओं से उनकी पार्टी तो कमजोर हुई ही है, लेकिन सरकार भी कमजोर हुई है. सरकार कमजोर होने से राजस्थान की जनता का नुकसान हुआ, इसलिए राजस्थान में किसी वर्ग विशेष की उपेक्षा का यही कारण है कि सरकार वंचितों की रक्षा करने में नाकामयाब रही.
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से अपराध की घटनाएं महिलाओं के खिलाफ हुई हैं और वह भी ज्यादातर वंचित वर्ग की महिलाओं के खिलाफ, वह साफ दिखाता है कि वंचित वर्ग के साथ सरकार की तरफ से भी उपेक्षा हो रही है और संगठन की तरफ से भी.