जयपुर. विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन से भाजपा के वाकआउट से अलग रहने वाले वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने कुछ भी साफ नहीं किया है. हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया इस मामले में भी एक ही डायलॉग वापस दोहरा रहे हैं, कि ट्रेलर देखा है, पिक्चर तो अभी बाकी है.
पूनिया ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अनुशासनात्मक रूप से पूर्व विधायक विजय बंसल के निलंबन के रूप में एक ही बड़ी कार्रवाई की है लेकिन कैलाश मेघवाल के मामले में पार्टी नेतृत्व किसी भी कार्रवाई के मूड में नहीं है. पार्टी अपनी ही सांसद के खिलाफ विवादित बयान देने वाले राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को लेकर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने के संकेत दिए हैं. ऐसे में जब पूनिया से इस बारे में जब भी कोई सवाल किया जाता है तो वो फिल्मी डायलॉग मारकर जबाब टाल देते हैं.
यह भी पढ़ें. भारत बंद को लेकर ज्ञानदेव आहूजा की खरी-खरी, 'जोर जबरदस्ती से नहीं होगा बंद'
वहीं भाजपा नेता अपनी मनमर्जी से अब कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन जनसभा नहीं कर पाएंगे. प्रदेश भाजपा ने इस बारे में सभी जिला इकाइयों को आग्रह किया है कि वह अपने स्तर पर किए जाने वाले बड़े कार्यक्रम को पहले प्रदेश नेतृत्व के संज्ञान में लाए और फिर अनुमति के बाद कार्यक्रम करें. इसी तरह जिले में जिला अध्यक्ष को इसकी जानकारी देगा और जिला अध्यक्ष फिर प्रदेश नेतृव के संज्ञान में ये कार्यक्रम लेकर अनुमति सहमति लेगा.
यह भी पढ़ें. Special : पिता की ठुकराई बच्ची को पुलिस ने लिया गोद, पढ़ा-लिखाकर बनाएंगे कलेक्टर
यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि पिछले कुछ माह से राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा अपने स्तर पर ही कई बड़े कार्यक्रम कर चुके हैं. जबकि प्रदेश नेतृत्व को इसकी जानकारी तक नहीं थी. वहीं कुछ प्रोग्राम तो इसमें पार्टी नेतृत्व के समांतर भी चले थे.
पार्टी ने कदम इसलिए उठाया है जिससे विरोध प्रदर्शन से जुड़े कार्यक्रमों को लेकर पार्टी के भीतर ही किसी प्रकार का मतभेद ना हो. साथ ही हर बड़े कार्यक्रम की जानकारी प्रदेश नेतृत्व को भी हो. हालांकि, पार्टी का इस निर्णय की पार्टी के ही भीतर नेता कितनी पालना करते हैं, ये देखना लाजमी होगा.