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बिजली उपभोक्ताओं से ना हो फ्यूल चार्ज के नाम पर वसूली, राठौड़ और पूनिया ने CM से की मांग

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बिजली उपभोक्ताओं से फ्यूल चार्ज के नाम पर सरकार वसूली नहीं करें. उन्होंने गहलोत सरकार से बिलों को माफ कर आमजन को राहत देने की मांग की है.

Satish poonia,  Rajasthan BJP News
राठौड़ और पूनिया ने CM से की मांग
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Published : Mar 24, 2021, 10:04 PM IST

जयपुर. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने बिजली उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर एक बार फिर 112 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार लादते हुए 7 पैसे प्रति यूनिट की वसूली के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण और आम आदमी की कमर तोड़ने वाला बताया है. राठौड़ ने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर से दिसंबर तक उपभोग की गई बिजली यूनिट के अनुसार 7 पैसे प्रति यूनिट की फ्यूल सरचार्ज की राशि अगले महीने अप्रैल में जारी होने वाले बिल में जुड़कर आएगी.

पढ़ें- विधानसभा सत्र के बाद लगेगा बिजली उपभोक्ताओं को फ्यूल चार्जेस, 112 करोड़ रुपए वसूलने की तैयारी

राठौड़ ने कहा कि जनघोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल में विद्युत दरों को नहीं बढ़ाने के वायदे पर यू-टर्न लेते हुए 26 महीने के कार्यकाल में दर्जनों बार कई कारण बताते हुए आम आदमी की जेब ढीली करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विद्युत दरों में बार-बार बढ़ोतरी कर वैश्विक महामारी कोरोना के कारण से आम आदमी की लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है.

सरकार ने टैरिफ, फ्यूल चार्ज, फिक्स चार्ज, एडिशनल सिक्योरिटी लगाकर कुल 3 बार विद्युत दरों में बढ़ोतरी कर राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं की जेब पर 5200 करोड़ रुपए का डाका डाला है. अब एक बार फिर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर विद्युत उपभोक्ताओं को 112 करोड़ रुपए का झटका देने की तैयारी में है, जबकि बिजली तारों से गायब है.

राठौड़ ने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के शासन में फ्यूल सरचार्ज के नाम पर अब तक उपभोक्ताओं पर औसतन 35 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार आ चुका है. अगर पिछले वर्ष फरवरी में हुई विद्युत दरों में बढ़ोतरी की राशि को भी इसमें जोड़ा जाए तो कांग्रेस के शासन में आम उपभोक्ता को औसतन 1.50 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा राशि चुकानी पड़ रही है.

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 24,996 MW विद्युत क्षमता अर्जित कर बिजली की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनने का दावा करने वाली गहलोत सरकार ने पिछले 2 वर्ष में औसतन 18,266 मिलियन यूनिट बिजली प्राइवेट कम्पनी से 2.71 रुपए से लेकर 4.70 रुपए अलग-अलग समय में खरीद कर चांदी कूटने का काम किया है.

राठौड़ ने कहा कि आज आम उपभोक्ता प्रतिमाह 100 यूनिट से ज्यादा उपभोग करता है. 100 यूनिट से ज्यादा उपभोग करने वाले बिजली उपभोक्ताओं से राजस्थान महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक विद्युत दर वसूल कर रहा है.

राठौड़ ने कहा कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीदने का खामियाजा आम उपभोक्ता को वहन करना पड़ रहा है. महंगी दरों पर बिजली खरीदना हो या बिजली चोरी व छीजत रोकने में नाकामी इससे उत्पन्न घाटे की भरपाई का वित्तीय भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर लादने की कार्यशैली दुर्भाग्यपूर्ण व गलत है.

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों की फ्यूल सरचार्ज की वसूली की तैयारी पहले से ही चल रही थी, लेकिन डिस्कॉम ने जानबूझकर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद फ्यूल सरचार्ज की वसूली के आदेश जारी किए हैं ताकि कार्यवाही के दौरान विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को न घेर लें. जबकि विपक्षी पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

96 फीसदी बिजली का उत्पादन: पूनिया

सतीश पूनिया ने कहा कि प्रदेश में 96 फीसदी बिजली का उत्पादन होने के बावजूद भी प्रदेश सरकार की ओर से 3 बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की है. साथ ही टैरिफ, फ्यूल सरचार्ज, फिक्स चार्ज, सेस आदि में बढ़ोतरी कर कोरोना काल में आम उपभोक्ता और किसानों पर आर्थिक बोझ डालकर उनकी परेशानियों को ओर बढ़ा दिया है.

पूनिया ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के मुकाबले सबसे महंगी बिजली राजस्थान में उपभोक्ताओं को दी जा रही है, जिससे आम उपभोक्ताओं एवं किसानों के हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है. पूनिया ने मांग की है कि कोरोना काल के दौरान तीन महीने के बिजली के बिलों को राज्य सरकार ने स्थगित किया था. उन बिलों को माफ कर आमजन को राहत प्रदान की जाए.

जयपुर. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने बिजली उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर एक बार फिर 112 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार लादते हुए 7 पैसे प्रति यूनिट की वसूली के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण और आम आदमी की कमर तोड़ने वाला बताया है. राठौड़ ने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर से दिसंबर तक उपभोग की गई बिजली यूनिट के अनुसार 7 पैसे प्रति यूनिट की फ्यूल सरचार्ज की राशि अगले महीने अप्रैल में जारी होने वाले बिल में जुड़कर आएगी.

पढ़ें- विधानसभा सत्र के बाद लगेगा बिजली उपभोक्ताओं को फ्यूल चार्जेस, 112 करोड़ रुपए वसूलने की तैयारी

राठौड़ ने कहा कि जनघोषणा पत्र में कांग्रेस सरकार ने अपने शासनकाल में विद्युत दरों को नहीं बढ़ाने के वायदे पर यू-टर्न लेते हुए 26 महीने के कार्यकाल में दर्जनों बार कई कारण बताते हुए आम आदमी की जेब ढीली करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विद्युत दरों में बार-बार बढ़ोतरी कर वैश्विक महामारी कोरोना के कारण से आम आदमी की लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है.

सरकार ने टैरिफ, फ्यूल चार्ज, फिक्स चार्ज, एडिशनल सिक्योरिटी लगाकर कुल 3 बार विद्युत दरों में बढ़ोतरी कर राज्य के 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं की जेब पर 5200 करोड़ रुपए का डाका डाला है. अब एक बार फिर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर विद्युत उपभोक्ताओं को 112 करोड़ रुपए का झटका देने की तैयारी में है, जबकि बिजली तारों से गायब है.

राठौड़ ने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के शासन में फ्यूल सरचार्ज के नाम पर अब तक उपभोक्ताओं पर औसतन 35 पैसे प्रति यूनिट का अतिरिक्त भार आ चुका है. अगर पिछले वर्ष फरवरी में हुई विद्युत दरों में बढ़ोतरी की राशि को भी इसमें जोड़ा जाए तो कांग्रेस के शासन में आम उपभोक्ता को औसतन 1.50 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा राशि चुकानी पड़ रही है.

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 24,996 MW विद्युत क्षमता अर्जित कर बिजली की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनने का दावा करने वाली गहलोत सरकार ने पिछले 2 वर्ष में औसतन 18,266 मिलियन यूनिट बिजली प्राइवेट कम्पनी से 2.71 रुपए से लेकर 4.70 रुपए अलग-अलग समय में खरीद कर चांदी कूटने का काम किया है.

राठौड़ ने कहा कि आज आम उपभोक्ता प्रतिमाह 100 यूनिट से ज्यादा उपभोग करता है. 100 यूनिट से ज्यादा उपभोग करने वाले बिजली उपभोक्ताओं से राजस्थान महाराष्ट्र के बाद देश में दूसरे नंबर पर सर्वाधिक विद्युत दर वसूल कर रहा है.

राठौड़ ने कहा कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों से महंगी दरों पर बिजली खरीदने का खामियाजा आम उपभोक्ता को वहन करना पड़ रहा है. महंगी दरों पर बिजली खरीदना हो या बिजली चोरी व छीजत रोकने में नाकामी इससे उत्पन्न घाटे की भरपाई का वित्तीय भार ईमानदार उपभोक्ताओं पर लादने की कार्यशैली दुर्भाग्यपूर्ण व गलत है.

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों की फ्यूल सरचार्ज की वसूली की तैयारी पहले से ही चल रही थी, लेकिन डिस्कॉम ने जानबूझकर विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद फ्यूल सरचार्ज की वसूली के आदेश जारी किए हैं ताकि कार्यवाही के दौरान विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को न घेर लें. जबकि विपक्षी पार्टी होने के नाते भारतीय जनता पार्टी बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

96 फीसदी बिजली का उत्पादन: पूनिया

सतीश पूनिया ने कहा कि प्रदेश में 96 फीसदी बिजली का उत्पादन होने के बावजूद भी प्रदेश सरकार की ओर से 3 बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की है. साथ ही टैरिफ, फ्यूल सरचार्ज, फिक्स चार्ज, सेस आदि में बढ़ोतरी कर कोरोना काल में आम उपभोक्ता और किसानों पर आर्थिक बोझ डालकर उनकी परेशानियों को ओर बढ़ा दिया है.

पूनिया ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के मुकाबले सबसे महंगी बिजली राजस्थान में उपभोक्ताओं को दी जा रही है, जिससे आम उपभोक्ताओं एवं किसानों के हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है. पूनिया ने मांग की है कि कोरोना काल के दौरान तीन महीने के बिजली के बिलों को राज्य सरकार ने स्थगित किया था. उन बिलों को माफ कर आमजन को राहत प्रदान की जाए.

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