जयपुर. ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के मनरेगा कार्यों में अनियमितता के आरोपों से नाराज सरपंचों का महापड़ाव (Sarpanch Mahapadav postponed) रविवार को स्थगित हो गया, हालांकि आंदोलन अभी जारी रहेगा. दरअसल सरपंचों के एक गुट ने महापड़ाव स्थगित करने का एलान कर दिया है लेकिन इसी में शामिल कुछ सरपंच इस फैसले से नाराज हैं और वे सड़क पर ही धरने पर बैठ गए हैं. हालांकि सरकार से वार्ता के बाद कई मांगें मान ली गईं हैं और जो अधूरी हैं उसे पूरी करने की मांग को लेकर संघ से जुड़े पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और कार्यसमिति के सदस्य आंदोलन जारी रखंगे. वहीं देर शाम को सरकार की ओर से मांगों पर सहमति का लिखित आदेश जारी कर दिया गया जिले सरपंच ने धरने पर बैठे सरपंचों को पढ़कर सुनाया.
दरअसल पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा को पद से हटाने सहित सरपंच संघ की 35 सूत्री मांग थी से लेकर राजधानी में महापड़ाव डाला गया था. इनमें अधिकतर मांगें अब मान ली गईं हैं. हालांकि मांग पत्र में जो मांग केंद्र सरकार से जुड़ी थीं उसके लिए राज्य सरकार ने प्रोसेस और प्रक्रिया अपनाने पर आश्वासन दिया है. वहीं सरपंच एनजीओ की ओर से जांच करवाए जाने के खिलाफ थे. सरकार ने यह शर्त भी मानते हुए आश्वासन दिया कि अब एनजीओ के बजाय पुराने तरीके से ही जांच कराई जाएगी. हालांकि बीएसआर रेट पर पूर्व की तरह होने वाले टेंडर की प्रक्रिया वर्तमान में भी यथावत जारी रखने की मांग अब तक अधूरी है.
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इसी तरह कुछ और मांग भी अब तक सरकार के समक्ष अधूरी पड़ी है. हालांकि जो मांग पूरी हुई है उनके आदेश लिखित में सरपंच संघ मांग रहा है. रविवार को सरपंच संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने आपस में बैठक कर यह तय किया कि महापड़ाव स्थगित कर दिया जाए और 24 अगस्त को वापस जयपुर में एक बड़ा महापड़ाव डाला जाए लेकिन कुछ पदाधिकारी इस फैसले से नाराज होकर कुछ सरपंच बैठक स्थल कर बाहर ही सड़क पर धरने पर बैठ गए.
इनका आंदोलन रहेगा जारी, कार्य बहिष्कार रहेगा जारी
राजस्थान सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बैठक कर आंदोलनरत सरपंचों ने तय किया कि आगामी 17 अगस्त को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक रखी जाएगी, जिसमें आगामी आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी. वहीं 24 अगस्त को वापस जयपुर में फिर महापड़ाव का निर्णय लिया गया. 24 अगस्त को होने वाले महापड़ाव में सरपंचों के साथ ही मनरेगा के कर्मचारी और मेट तक शामिल होंगे. वहीं सरपंच पूर्व की तरह अपना कार्य बहिष्कार जारी रखेंगे. हालांकि वर्तमान में मौजूदा प्रदेश पदाधिकारी और कार्यसमिति सदस्य कहां धरना देंगे अभी यह तय नहीं किया गया है क्योंकि प्रशासन की ओर से उसकी स्वीकृति नहीं मिली है.
आपसी सहमति के दौरान नागौर से जुड़े सरपंच नाराज
आंदोलनरत सरपंच संघ पदाधिकारियों की जब बैठक चल रही थी उसमें कुछ बिंदुओं को लेकर नागौर जिले के कुछ सरपंच नाराज हो गए और बैठक बीच में ही छोड़ कर बाहर चले गए. हालांकि सरपंच संघ के पदाधिकारियों का कहना था कि नागौर से जुड़े सरपंच चाहते थे कि उनके क्षेत्र में एक बीडीओ को हटा दिया गया था जिसे बहाल किया जाए लेकिन यह मामला कोर्ट में चल रहा है. सरपंच संघ पदाधिकारियों का कहना है कि सभी सरपंच अपनी मांग पत्र को लेकर एकजुट हैं. वहीं नाराज सरपंच बैठक स्थल के बाहर आकर सड़क पर भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे और धरने पर बैठ गए.
मंत्री रमेश मीणा ने लगाए थे यह आरोप...
इससे पहले पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने 7 जिलों में हुए मनरेगा कार्यों की जांच के लिए कमेटी गठित की थी. इसकी रिपोर्ट आने के बाद मंत्री ने इन 7 जिलों में अनियमितता का आरोप लगाया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि बाड़मेर, नागौर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बीकानेर, झालावाड़ और उदयपुर में 150 करोड़ रुपए से 500 करोड़ रुपए तक की राशि का काम दिखाया गया जबकि उतना काम धरातल पर हुआ ही नहीं है. मीणा ने यह भी कहा कि मनरेगा में जिस काम का श्रमिकों को पैसा दिया गया वह काम धरातल पर नहीं है सर्वाधिक अनियमितता नागौर और बाड़मेर में हुई. मंत्री के इसी आरोपों और बयान के विरोध में सरपंचों ने जयपुर में महापड़ाव डाला था जो सरकार से वार्ता के बाद अब स्थगित कर दिया गया है.
देर शाम जारी हुए लिखित आदेश
आंदोलनकारी सरपंचों और सरकार के बीच हुई वार्ताओं के दौरान जिन मांगों पर सहमति बनी उसके लिखित आदेश रविवार देर शाम सरकार ने जारी किए. लिखित आदेश सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने धरने पर बैठे सरपंचों को पढ़कर सुनाया. आदेश में यह साफ कर दिया गया कि पंचायतों की एनजीओ के माध्यम से कोई जांच नहीं होगी. मनरेगा में व्यक्तिगत लाभ के कार्य पंचायत कर सकेगी. व
हीं मनरेगा में 5 लाख के कार्य की स्वीकृति पंचायत देगी. इसी तरह 10 लाख रुपए तक के कार्यों की स्वीकृति पंचायत समिति देगी वहीं जिन पंचायतों में जांच हो चुकी है वहां मनरेगा का पैसा रिलीज होगा. इसी तरह सामग्री खरीद के लिए दूसरे फॉर्म का विकल्प भी खुला रहेगा। लिखित समझौता आदेश जारी होने के बाद केके पैराडाइज के बाहर धरने पर बैठे सरपंचों ने अपना धरना उठा लिया. हालांकि 24 अगस्त को जयपुर में बड़े महापड़ाव का कार्यक्रम अब भी यथावत रहेगा.