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फीस संबंधी कारणों से किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाए - संगीता बेनीवाल

बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने निर्देश दिए हैं कि फीस संबंधी कारणों से किसी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाए. इसको लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की भी गाइडलाइन आ चुकी है. अगर कोई भी स्कूल इस तरह से बच्चों को शिक्षा से वंचित करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

Child Protection Commission school fees case
स्कूल फीस मामला संगीता बेनीवाल
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Published : May 25, 2021, 9:15 PM IST

जयपुर. बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा है कि फीस की वजह से किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश के समस्त विद्यालय बन्द हैं. बच्चों को शिक्षा से जुड़ा रखने के लिए सरकारी और निजी विद्यालयों की ओर से ऑनलाइन शिक्षण दिया जा रहा है.

इस बीच स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के मध्य फीस संबंधी विवाद सामने आ रहे हैं. कई अभिभावक ऑनलाइन शिक्षा के दौरान स्कूलों को फीस नहीं देने की मांग कर रहे हैं. वहीं स्कूल प्रशासन का कहना है कि स्कूलों के खर्च चलाने के लिए फीस देना जरूरी है. फीस संबंधी विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों से सालाना 15 फीसदी कम फीस लें. किन्तु फीस का भुगतान न होने पर किसी भी छात्र को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाए.

न ही छात्र का रिजल्ट रोका जाए. बाल आयोग में भी विगत लगभग एक वर्ष से इस संबंध में अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं. इसी को मद्देनजर रखते हुए राजस्थान में निजी स्कूलों और अभिभावकों के मध्य ऑनलाइन शिक्षा और फीस संबंधी विवादों के समाधान के लिए एक वेबीनार का आयोजन राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की अध्यक्षता में किया गया. जिसमें विभिन्न प्रदेश स्तरीय अभिभावक संघों और निजी स्कूल संघों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए.

पढ़ें- Special: कोरोना की दूसरी लहर ने बिगाड़ा टूर एंड ट्रेवल्स उद्योग का गणित

आयोग अध्यक्ष बेनीवाल ने बताया कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर पड़ा है. स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुई तो इसके साथ ही फीस का विवाद भी खड़ा हो गया. इन सबको देखते हुए आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की स्कूलों द्वारा की जा रही पालना तथा राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) अधिनियम, 2016 पर चर्चा करने, निजी स्कूलों द्वारा फीस संबंधी कारणों से विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षाओं, शिक्षा व परीक्षा से वंचित करने की शिकायतों के निवारण हेतु ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया है.

वेबीनार को संबोधित करते हुए बेनीवाल ने कहा कि किसी भी बच्चे को फीस या अन्य किसी कारण से शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. कई लोगों के सामने रोजगार का संकट है. निजी विद्यालयों को अभिभावक की आर्थिक परिस्थिति के अनुसार फीस में राहत देनी चाहिए. बेनीवाल ने कहा कि फीस के बारे में स्कूल सिर्फ अभिभावकों से बात करें, बच्चों से नहीं. किसी भी बच्चे को ऑनलाइन क्लास से भी वंचित न किया जाए. अगर ऐसा हुआ तो कार्रवाई की जाएगी.

संगीता बेनीवाल ने स्कूल संघों से अपील की कि कोरोना महामारी के कारण जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के कमाऊ सदस्य का निधन हो गया है और शिक्षा प्राप्ति में मुश्किल आ रही है. उनके सहयोग के लिए विद्यालय की ओर से निःशुल्क शिक्षा एवं आवास सुविधा उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है. बेनीवाल की अपील का सभी संघों ने पुरजोर समर्थन किया और लगभग 20 विद्यालयों में कोरोना से निराश्रित बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा एवं आवास उपलब्ध करवाने की मौके पर ही घोषणा की गई.

जयपुर. बाल आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा है कि फीस की वजह से किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश के समस्त विद्यालय बन्द हैं. बच्चों को शिक्षा से जुड़ा रखने के लिए सरकारी और निजी विद्यालयों की ओर से ऑनलाइन शिक्षण दिया जा रहा है.

इस बीच स्कूल प्रशासन और अभिभावकों के मध्य फीस संबंधी विवाद सामने आ रहे हैं. कई अभिभावक ऑनलाइन शिक्षा के दौरान स्कूलों को फीस नहीं देने की मांग कर रहे हैं. वहीं स्कूल प्रशासन का कहना है कि स्कूलों के खर्च चलाने के लिए फीस देना जरूरी है. फीस संबंधी विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों से सालाना 15 फीसदी कम फीस लें. किन्तु फीस का भुगतान न होने पर किसी भी छात्र को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाए.

न ही छात्र का रिजल्ट रोका जाए. बाल आयोग में भी विगत लगभग एक वर्ष से इस संबंध में अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं. इसी को मद्देनजर रखते हुए राजस्थान में निजी स्कूलों और अभिभावकों के मध्य ऑनलाइन शिक्षा और फीस संबंधी विवादों के समाधान के लिए एक वेबीनार का आयोजन राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की अध्यक्षता में किया गया. जिसमें विभिन्न प्रदेश स्तरीय अभिभावक संघों और निजी स्कूल संघों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए.

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आयोग अध्यक्ष बेनीवाल ने बताया कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर पड़ा है. स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुई तो इसके साथ ही फीस का विवाद भी खड़ा हो गया. इन सबको देखते हुए आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की स्कूलों द्वारा की जा रही पालना तथा राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) अधिनियम, 2016 पर चर्चा करने, निजी स्कूलों द्वारा फीस संबंधी कारणों से विद्यार्थियों को ऑनलाइन कक्षाओं, शिक्षा व परीक्षा से वंचित करने की शिकायतों के निवारण हेतु ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया है.

वेबीनार को संबोधित करते हुए बेनीवाल ने कहा कि किसी भी बच्चे को फीस या अन्य किसी कारण से शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. कई लोगों के सामने रोजगार का संकट है. निजी विद्यालयों को अभिभावक की आर्थिक परिस्थिति के अनुसार फीस में राहत देनी चाहिए. बेनीवाल ने कहा कि फीस के बारे में स्कूल सिर्फ अभिभावकों से बात करें, बच्चों से नहीं. किसी भी बच्चे को ऑनलाइन क्लास से भी वंचित न किया जाए. अगर ऐसा हुआ तो कार्रवाई की जाएगी.

संगीता बेनीवाल ने स्कूल संघों से अपील की कि कोरोना महामारी के कारण जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के कमाऊ सदस्य का निधन हो गया है और शिक्षा प्राप्ति में मुश्किल आ रही है. उनके सहयोग के लिए विद्यालय की ओर से निःशुल्क शिक्षा एवं आवास सुविधा उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है. बेनीवाल की अपील का सभी संघों ने पुरजोर समर्थन किया और लगभग 20 विद्यालयों में कोरोना से निराश्रित बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा एवं आवास उपलब्ध करवाने की मौके पर ही घोषणा की गई.

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