जयपुर. सरकारी अस्पतालों व अन्य स्थानों पर संचालित सहकारी भंडार के दवा केंद्र इन दिनों अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम यानी RGHS में निजी मेडिकल स्टोर से दवा लेने की छूट के बाद सहकारी दवा भंडार मुफलिसी के दौर से गुजर रहा है.
इन दवा केंद्रों की बिक्री भी 50 फीसदी से अधिक गिर गई (Sales of RGHS Cooperative drug stores down) है, तो वहीं सरकार के स्तर पर भी 1 अरब 5 करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है. हालात यह है कि सहकारी दवा केंद्रों पर कार्यरत फार्मासिस्ट व हेल्पर्स तक के वेतन निकाल पाने के लाले पड़ रहे हैं. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने आरजीएचएस योजना में निजी मेडिकल स्टोर से दवा लेने की छूट दे दी. ऐसे में जो पेंशनर या सरकारी कर्मचारी सहकार दवा केंद्रों से दवाइयां लेने आते थे, वे निजी दवा केंद्रों की ओर रुख कर रहे हैं.
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सहकारी दवा केंद्रों से एनओसी लेने के बाद बिगड़ी स्थिति: राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में किए गए बदलाव में जहां निजी दवा केंद्रों को अधिकृत किया (RGHS changed rules) गया, वहीं सहकारी दवा केंद्रों पर जो दवाइयां उपलब्ध नहीं होती थीं, उनके लिए अन्य दुकानों से खरीदने की एनओसी देने की बाध्यता भी खत्म कर दी गई. पूर्व में पेंशनर या अन्य सरकारी कर्मचारी सहकारी दवा केंद्रों पर डॉक्टर की लिखी दवाइयों की पर्ची लेकर जाता था और दवा केंद्रों पर इनमें से जो दवा उपलब्ध होती थी, वो मरीज को मिल जाती थी. बची हुई दवाई निजी मेडिकल स्टोर से खरीदने के लिए सहकार दवा केंद्र संचालक संबंधित कर्मचारी को एनओसी जारी कर देता था. जिसके आधार पर पेंशनर या कर्मचारी को उसका भुगतान मिल जाता था. लेकिन अब ये बाध्यता खत्म हो गई है. ऐसे में सरकारी कर्मचारी या पेंशनर्स सीधे मेडिकल स्टोर से ही समस्त दवाइयां ले लेते हैं.
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जयपुर की दुकानों में हर माह 4 करोड़ की बिक्री कम: पूरे प्रदेश में दवा भंडारों की यदि बात की जाए तो 1782 दुकानें प्राइवेट हैं. जबकि 60 दवा केंद्र कॉनफैड द्वारा संचालित होती हैं. अकेले जयपुर में कॉनफैड द्वारा संचालित 60 दुकानें हैं. राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में इन दुकानों में होने वाली बिक्री में प्रतिमाह 4 करोड़ रुपए तक की कमी आई है. जयपुर में पहले इन दवा केंद्रों पर हर महीने 6 करोड़ रुपए की बिक्री होती थी, जो अब घटकर महज 2 करोड़ भी बमुश्किल हो पाती है.
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जून तक सरकार पर 105 करोड़ बकाया जिसमें 10 करोड़ कॉनफैड की: 30 जून तक इन दवा केंद्रों को दिए जाने वाले 105 करोड़ की राशि सरकार पर बकाया है. इसमें से 10 करोड़ रुपये कॉन्फेड को देना बकाया है. मंदी के इस दौर में अधिकतर सहकारी दवा केंद्रों पर तैनात फार्मासिस्ट और हेल्पर के वेतन के लाले पड़ रहे हैं. जिसके चलते वे नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं. राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ अधिकारियों की मानें तो सहकारी दवा केंद्रों की मौजूदा स्थिति से सहकारिता विभाग और सरकार दोनों को अवगत करा दिया गया है. ऐसे में अब कुछ अन्य नवाचार के जरिए फिर दवा केंद्रों को आर्थिक मजबूती दिए जाने का प्रयास किया जाएगा. हालांकि यह प्रयास अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं.