जयपुर. राजस्थान में एक महीने से ही कुछ ही ज्यादा समय हुआ है जब सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. अध्यक्ष होने का मतलब साफ है कि प्रमुख पदों पर भी उन्हीं के गुट के नेता कार्यकारणी के प्रमुख पदों पर थे. लेकिन महज एक महीने में ऐसा बदलाव हुआ कि सचिन पायलट समेत पूरी कार्यकारणी भंग कर दी गई. ऐसे में अब नई कार्यकारणी को लेकर प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा जुटे हुए हैं.
लेकिन वापसी के बाद से ही सचिन पायलट पूरी तरह से कांग्रेस में सक्रिय हो चुके हैं, ऐसे में उनके साथ कार्यकारिणी में रहे नेताओं को भी फिर से कार्यकारणी जगह मिलेगी. भले ही सचिन पायलट खुद प्रदेश कांग्रेस में अब कोई पद ना लें लेकिन उनके खेमे ने कार्यकारी अध्यक्ष के पद की मांग की गई है. इसके साथ नई बनने वाली प्रदेश कार्यकारिणी और जिलाध्यक्षों में भी अपने समर्थकों को पायलट एडजस्ट करने का प्रयास करेगें.
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सचिन पायलट की कल हुई नए प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात भी इसी की ओर इशारा कर रही है कि वह सरकार के साथ ही संगठन में भी उन नेताओं की भागीदारी चाहते हैं जो विधानसभा चुनाव में संगठन से जुड़े हुए थे.
सचिन पायलट जब अध्यक्ष बने थे, तब कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी. ऐसे में पायलट की कार्यकारिणी में कुल 143 सदस्य थे और स्थाई आमंत्रित सदस्यों को भी इसमें जोड़ा जाए तो इसकी संख्या 192 थी. लेकिन कांग्रेस पार्टी क्योंकि अब सत्ता में है, ऐसे में जब भी पार्टी सत्ता में होती है तो कार्यकारणी हमेशा छोटी रखी जाती है. कहा जाता है कि जब पार्टी सत्ता में होती है तो 8 उपाध्यक्ष,10 महामंत्री, 18 सचिव, दो प्रवक्ता, एक कोषाध्यक्ष ये पद ही रखे जाते हैं.
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हालांकि वर्तमान स्थिचति को देखा जाए तो इतनी छोटी कार्यकारणी तो नहीं बन सकती है, लेकिन गोविंद सिंह डोटासरा की नई कार्यकारणी 100 के अंदर होगी. वहीं पायलट कैंप की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष की मांग हो रही है, तो वहीं संगठन महामंत्री का पद गोविंद डोटासरा अपने पास रखेंगे. यानि संगठन महामंत्री का पद पायलट खेमे के नेता को नहीं दिया जाएगा. वहीं जिला अध्यक्षों में भी पायलट कैम्प अपने नेताओं को एडजस्ट करने के प्रयास में जुटेंगे.