जयपुरः राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और सरकार में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज हो गया है. सचिन पायलट राजस्थान में एक बार में सबसे लंबे समय तक पीसीसी चीफ पद पर रहने वाले कांग्रेस नेता बनने जा रहे हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड परसराम मदेरणा के नाम था जो 5 साल 11 महीने और 17 दिन तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे.
मंगलवार 7 जनवरी को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने परसराम मदेरणा की बराबरी कर ली है और बुधवार 8 जनवरी को वह एक बार में सबसे ज्यादा समय तक अध्यक्ष रहने वाले राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष बन जायेंगे. इतना ही नहीं 20 जनवरी को सचिन पायलट बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपने 6 साल का कार्यकाल भी पूरा कर लेंगे.
अब तक यह रिकॉर्ड परसराम मदेरणा के नाम था-
अभी तक राजस्थान में कांग्रेस के 71 साल के इतिहास में प्रदेश अध्यक्ष पद पर लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड परसराम मदेरणा के नाम था. लेकिन अब सचिन पायलट ऐसे नेता बन गए हैं, जिनका अध्यक्ष के तौर पर एक ही पारी में सबसे लंबा कार्यकाल होगा. 20 जनवरी को जब सचिन पायलट अध्यक्ष के तौर पर अपना 6 साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, वह भी अपने आप में रिकॉर्ड होगा. वहीं पायलट ने अपने इस लंबे कार्यकाल के लिए प्रदेश की जनता को और पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं का आभार व्यक्त किया है.
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यह रहा अब तक के अध्यक्षों का कार्यकाल-
- गोकुलभाई भट्ट 26 जून 1948 से 11 जून 1949 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- जय नारायण व्यास 12 जून 1949 से 10 मई 1951 तक अध्यक्ष रहे.
- माणिक्य लाल वर्मा 11 मई 1951 से 22 अप्रैल 1952 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- मास्टर आदित्येंद्र 23 अप्रैल 1952 से अगस्त 1956 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- जय नारायण व्यास 1956 से 1957 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, उस समय क्षेत्रीय प्रदेश कांग्रेस के वह अध्यक्ष बने.
- शोभाराम 1956 से 1957 तक अध्यक्ष रहे, उस समय संयुक्त प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- मथुरादास माथुर 1957 से 2 जनवरी 1958 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- सरदार हरलाल सिंह 3 जनवरी 1958 से 1959 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- मथुरादास माथुर 1960 से 11 मई 1962 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- हरिदेव जोशी 12 मई 1962 से 21 मई 1966 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- राम किशोर व्यास 22 मई 1966 से 23 सितंबर 1967 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- नाथूराम मिर्धा 24 सितंबर 1967 से 23 सितंबर 1971 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- लक्ष्मी कुमारी चुंडावत 24 सितंबर 1971 से 20 अप्रैल 1972 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रही.
- गिरधारी लाल व्यास 21 अप्रैल 1972 से 6 अगस्त 1977 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- नाथूराम मिर्धा 7 अगस्त 1977 से दिसंबर 1977 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
- राम किशोर व्यास जनवरी 1978 से सितंबर 1980 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- रामनारायण चौधरी अक्टूबर 1980 से 16 जुलाई 1982 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- नवल किशोर शर्मा 17 जुलाई 1982 से 17 सितंबर 1985 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- अशोक गहलोत 18 सितंबर 1985 से 8 जून 1989 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- हीरालाल देवपुरा 8 जून 1989 से 7 दिसंबर 1989 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- परसराम मदेरणा 8 दिसंबर 1989 से 25 नवंबर 1995 तक अध्यक्ष रहे.
- अशोक गहलोत 1 दिसंबर 1995 से 14 अप्रैल 1999 तक अध्यक्ष रहे.
- डॉ गिरिजा व्यास 15 अप्रैल 1999 से 16 जनवरी 2004 तक राजस्थान कांग्रेस की अध्यक्ष रही.
- नारायण सिंह 17 जनवरी 2004 से 12 अप्रैल 2005 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- डॉक्टर बी डी कल्ला 13 अप्रैल 2005 से 24 सितंबर 2007 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- डॉक्टर सीपी जोशी 25 सितंबर 2007 से 16 जून 2011 तक अध्यक्ष रहे.
- डॉक्टर चंद्रभान 17 जून 2011 से 20 जनवरी 2014 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- सचिन पायलट 21 जनवरी 2014 से तत्काल 2020 तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.
धूप-छांव भरा रहा पायलट का कार्यकाल-
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भले ही अपना एक बार में सबसे लंबा अध्यक्ष होने का रिकॉर्ड बना लिया हो, लेकिन उनका यह सफर इतना आसान नहीं रहा. जब वह अध्यक्ष बनकर आए तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 21 सीटों पर सिमट चुकी थी. उसके बाद जब लोकसभा चुनाव आए तो पायलट को एक तरीके से कांटों का ताज विरासत में मिला और यह सही भी हुआ क्योंकि सभी 25 लोकसभा सीटों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
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खुद सचिन पायलट भी अपनी सीट अजमेर लोकसभा नहीं बचा सके. इसके बाद वह लगातार सड़क पर 163 के बहुमत वाली भाजपा से मुकाबला करते रहे और विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस को जीत दिलवाई. विधानसभा चुनाव 2018 आते-आते उन्होंने अपने आप को एक बड़े नेता के तौर पर ही स्थापित नहीं किया बल्कि मुख्यमंत्री का भी प्रबल दावेदार बना दिया.
उपमुख्यमंत्री बनाया गया-
साल 2018 का विधानसभा चुनाव उनकी अध्यक्षता में लड़ा गया तो कांग्रेस को विधानसभा में बहुमत भी मिला. हालांकि उन्हें मुख्यमंत्री तो नहीं लेकिन राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री जरूर बनाया गया. इसके बाद एक बार फिर मई 2019 के लोकसभा चुनाव सचिन पायलट के लिए बुरा सपना साबित हुआ.
सचिन पायलट ऐसे नेता भी बन गए, जिनके अध्यक्ष रहते हुए लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. विधानसभा चुनाव से पहले हुए दो लोकसभा उपचुनाव अजमेर और अलवर में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन वह जीत महज 6 महीने की ही रही.
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राजस्थान में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस को 49 में से 37 निकाय और निगमों में जीत मिली. गाहे-बगाहे कई बार राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की चर्चाएं भी एक पद एक व्यक्ति सिद्धांत के आधार पर चलती रही. हालांकि अभी यह सब मुद्दे शांत है. ऐसे में देखना होगा कि सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के अपने कार्यकाल को और कितना लंबा खींचते हैं.