जयपुर. राजस्थान की राजनीति (Rajasthan politics) में शुक्रवार को सियासी पारा जमकर उफान मारता रहा. दिन में जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अचानक राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात करने पहुंच गए. वहीं देर शाम राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में राहुल गांधी के निवास (Sachin Pilot met Rahul and Priyanka in Delhi) पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल से भी हुई. इन मुलाकातों के बाद एक बार फिर सोशल मीडिया पर राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन से लेकर पायलट के प्रदेश अध्यक्ष बनने और राजस्थान के संभावित कैबिनेट फेरबदल तक कयास लगने शुरू हो गए.
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के साथ ही प्रियंका गांधी और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के साथ सचिन पायलट की करीब 45 मिनट तक यह मुलाकात चली है. जानकारों की मानें तो पांच राज्यों के चुनाव में जिस तरह से सचिन पायलट ने जमकर प्रचार किया. उसके बाद अब प्रियंका गांधी चाहती हैं कि सचिन पायलट को कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख भूमिका सौंपी जाए. कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सचिन पायलट राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बड़ा पद लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने का काम करें.
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साथ ही हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव में स्टार प्रचारक से आगे बढ़कर प्रमुख भूमिका निभाएं. हालांकि सचिन पायलट पहले भी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को यह गुजारिश कर चुके हैं कि वह पार्टी के लिए बिना पद हर काम करने को तैयार हैं. बस उन्हें राजस्थान छोड़ने को न कहा जाए. ऐसे में अब जब एक बार फिर सचिन पायलट को राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय करने की बात चल रही है तो पायलट ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को क्या जवाब दिया है? इसी पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
गहलोत की राज्यपाल से मुलाकात के पीछे भी माना जा रहा कुछ बिलों को लेकर चर्चाः राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राज्यपाल कलराज मिश्र से हुई मुलाकात पर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. हालांकि आपको बता दें कि राज्यपाल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुलाकात के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण राजभवन में संभावित अटके हुए बिलों को लेकर चर्चा को माना जा रहा है.
माना जा रहा है कि इस बार विधानसभा से जो विश्वविद्यालयों के बिल पास किए गए हैं, उन्हें अभी राजभवन रोक सकता है. क्योंकि इस बार राजस्थान में गुरुकुल विश्वविद्यालय से जुड़े बिल को सरकार को इसलिए वापस लेना पड़ा, क्योंकि उसकी जांच रिपोर्ट सही नहीं पाई गई थी. ऐसे में बाकी विश्वविद्यालयों के विधेयकों ओर नकल रोकने से जुड़े कानून को लेकर भी राजभवन आपत्ति कर सकता है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से मिलकर विधेयक जल्द पास करने को लेकर चर्चा करने गए थे.