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पायलट ने दोहराई 'खिलाड़ी' की बात...जिन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया, अब लौटाने का समय उनका

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Published : Sep 1, 2022, 7:08 PM IST

खिलाड़ी लाल बैरवा के बयान का सचिन पायलट ने भी समर्थन किया है. हालांकि, पायलट बात तो गुलाम नबी आजाद की कर रहे थे, लेकिन यह बात भी दोहराई कि जिन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया है अब लौटाने का समय उनका है.

Gehlot and Pilot
अशोक गहलोत और सचिन पायलट

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा के उस बयान को सचिन पायलट का समर्थन मिला है, जिसमें उन्होंने (Pilot Politics in Rajasthan) सोनिया गांधी का हवाला देते हुए सालों से पार्टी से पद लेने वाले नेताओं को अब पार्टी को लौटाने का वक्त होने की बात कही थी.

भले ही पायलट ने इसके लिए गुलाम नबी आजाद का उदाहरण दिया हो, लेकिन उनके कहने का भावार्थ यही था कि जिन बड़े नेताओं को 40-50 साल से पार्टी ने बड़े-बड़े पद-ओहदे देकर सम्मानित किया है, अब पार्टी के लिए कुछ करने की बारी उन नेताओं की है. हालांकि, खिलाड़ी लाल बैरवा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कहा था कि वह 40 साल से कांग्रेस में बड़े पदों पर हैं और पिछले 20 साल से तो राजस्थान के मुख्यमंत्री और सबसे प्रमुख पदों पर रहे हैं. ऐसे में उन्हें अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसा सम्मानित पद स्वीकार करना चाहिए.

सचिन और बैरवा ने क्या कहा, सुनिए

हालांकि, पायलट ने बात वही 40 साल से पदों पर बैठे नेताओं को वापस लौटाने की बात तो कही, लेकिन यह बात कहने के लिए उन्होंने गुलाम नबी आजाद के नाम का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी जब स्वयं यह कह चुकी हैं कि जिन बड़े नेताओं को पिछले 40-50 सालों में पार्टी ने बहुत कुछ दिया है, अब उन नेताओं की बारी है कि वह पार्टी को लौटाएं. लेकिन गुलाम नबी आजाद ने ऐसा करने की बजाय ऐसे समय पार्टी छोड़ी, जब कांग्रेस महंगाई के खिलाफ जन आंदोलन करने जा रही है.

पढ़ें : MLA खिलाड़ी लाल बैरवा की खरी खरी, पायलट बनें सीएम, गहलोत को पार्टी से बहुत कुछ मिला, अब लौटाने का वक्त

पायलट ने भले ही खिलाड़ी लाल बैरवा की तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम नहीं लिया, लेकिन गुलाम नबी आजाद का नाम लेकर (Pilot Politics in Rajasthan) इशारा तो कर ही दिया. इतना ही नहीं, पायलट यह भी कह चुके हैं कि राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं और जो दिखता है वह होता नहीं और आगे यह भी कह दिया कि राजस्थान का नेता भले ही सचिन पायलट हो या कोई और, आलाकमान उसे जो निर्देश देगा वह उस निर्देश को मानेगा.

पढ़ें : Congress President Row: सीएम के करीबी मलिंगा बातों बातों में कर बैठे 'खिलाड़ी' की बातों का समर्थन!

इसके साथ ही सचिन पायलट ने गहलोत सरकार से अन्य प्रदेशों की तरह राजस्थान के लिए एससी आयोग को संवैधानिक पद देने की मांग की है. मतलब साफ है कि उन्होंने सीधे तौर पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा के लिए (Sachin Pilot Supported Khiladi Lal Statement) सरकार से संवैधानिक दर्जा मांगा है.

पढ़ें : 'खिलाड़ी' के बयान पर बवाल, आंजना बोले- लोकप्रियता पाने के चक्कर में बैरवा ने किया पार्टी का नुकसान

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात कहने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा के उस बयान को सचिन पायलट का समर्थन मिला है, जिसमें उन्होंने (Pilot Politics in Rajasthan) सोनिया गांधी का हवाला देते हुए सालों से पार्टी से पद लेने वाले नेताओं को अब पार्टी को लौटाने का वक्त होने की बात कही थी.

भले ही पायलट ने इसके लिए गुलाम नबी आजाद का उदाहरण दिया हो, लेकिन उनके कहने का भावार्थ यही था कि जिन बड़े नेताओं को 40-50 साल से पार्टी ने बड़े-बड़े पद-ओहदे देकर सम्मानित किया है, अब पार्टी के लिए कुछ करने की बारी उन नेताओं की है. हालांकि, खिलाड़ी लाल बैरवा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कहा था कि वह 40 साल से कांग्रेस में बड़े पदों पर हैं और पिछले 20 साल से तो राजस्थान के मुख्यमंत्री और सबसे प्रमुख पदों पर रहे हैं. ऐसे में उन्हें अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसा सम्मानित पद स्वीकार करना चाहिए.

सचिन और बैरवा ने क्या कहा, सुनिए

हालांकि, पायलट ने बात वही 40 साल से पदों पर बैठे नेताओं को वापस लौटाने की बात तो कही, लेकिन यह बात कहने के लिए उन्होंने गुलाम नबी आजाद के नाम का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी जब स्वयं यह कह चुकी हैं कि जिन बड़े नेताओं को पिछले 40-50 सालों में पार्टी ने बहुत कुछ दिया है, अब उन नेताओं की बारी है कि वह पार्टी को लौटाएं. लेकिन गुलाम नबी आजाद ने ऐसा करने की बजाय ऐसे समय पार्टी छोड़ी, जब कांग्रेस महंगाई के खिलाफ जन आंदोलन करने जा रही है.

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पायलट ने भले ही खिलाड़ी लाल बैरवा की तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम नहीं लिया, लेकिन गुलाम नबी आजाद का नाम लेकर (Pilot Politics in Rajasthan) इशारा तो कर ही दिया. इतना ही नहीं, पायलट यह भी कह चुके हैं कि राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं और जो दिखता है वह होता नहीं और आगे यह भी कह दिया कि राजस्थान का नेता भले ही सचिन पायलट हो या कोई और, आलाकमान उसे जो निर्देश देगा वह उस निर्देश को मानेगा.

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इसके साथ ही सचिन पायलट ने गहलोत सरकार से अन्य प्रदेशों की तरह राजस्थान के लिए एससी आयोग को संवैधानिक पद देने की मांग की है. मतलब साफ है कि उन्होंने सीधे तौर पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा के लिए (Sachin Pilot Supported Khiladi Lal Statement) सरकार से संवैधानिक दर्जा मांगा है.

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