जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान (Question Hour in Rajasthan Assembly) सवालों के गलत जवाब देने और विधायकों के भी सवालों को सही से नहीं उठाने पर स्पीकर ने नाराजगी जताई. स्पीकर सीपी जोशी ने प्रश्नकाल समाप्त होते ही विधायकों और मंत्रियों को यह नसीहत दी कि वह सवाल से जुड़े ही जवाब दें, तो विधायकों को भी सप्लीमेंट सवाल पूछे गए सवाल के अनुसार ही रखने को कहा.
स्पीकर सीपी जोशी ने कहा विधानसभा में प्रश्नकाल महत्वपूर्ण होता है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ज्यादा से ज्यादा (Speaker CP Joshi in Rajasthan Assembly) सवालों के जवाब आने चाहिए.
दरअसल, हुआ यह कि आज पहले भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी विधानसभा में संवाद एजेंसी को आरटीआई के दायरे में लाने की कार्यवाही से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री अशोक चांदना ने जवाब में बताया कि अभी मामला न्यायालय में निर्णय अधीन है. न्यायालय का निर्णय होने के बाद कार्यवाही की जा सकेगी. वहीं, सवाल के दायरे से बाहर जाकर जब राजवी ने सप्लीमेंट सवाल किया तो स्पीकर ने उन्हें टोका ओर कहा कि आप विधानसभा सचिवालय पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
इस मामले में मुझे अलग से मिल लें, लेकिन यहां नियम से चलें. इस पर विधायक और स्पीकर में (Speaker Joshi Furious at MLA Narpat Singh) तीखी नोकझोंक भी हुई. इसके आगे इसी सवाल में राजवी ने संवाद एजेंसी द्वारा डीआईपीआर के अधिकारी कर्मचारियों को मूल वेतन के अतिरिक्त 10 फीसदी राशि दिए जाने का कारण पूछा तो मंत्री अशोक चांदना को इसके बारे में जानकारी नहीं थी. इस पर नाराज स्पीकर ने मंत्री अशोक चंदना को तैयारी करके आने के लिए कहा और साथ ही उस सवाल को स्थगित भी कर दिया.
इसी तरह सुमेरपुर कृषि उपज मंडी की डीएलसी दरों से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि डीएलसी दरें कम करने को लेकर प्रस्ताव जा चुका है, लेकिन जोराराम कुमावत ने कहा अधिकारी गुमराह कर गलत जवाब दे रहे हैं. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने डीएलसी रेट को लेकर पूछा. इस पर मंत्री मुरारी लाल मीणा ने कहा कि मैं जानकारी प्राप्त कर लूंगा.
सिलिकोसिस से जुड़े सवाल का जवाब दिया दो मंत्रियों ने : विधानसभा में मंगलवार को सिलिकोसिस बीमारी जुड़े सवाल के जवाब मंत्री सुखराम विश्नोई और मंत्री टीकाराम जूली ने दिया.
दरअसल, सवाल मंत्री सुखराम विश्नोई से जुड़ा था कि सिलिकोसिस बीमारी से जुड़े 154 में से 50 को सहायता क्यों मिली. लेकिन उन्होंने कहा कि नोडल एजेंसी समाज कल्याण है तो इसका जवाब देने टीकाराम जूली भी खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि सभी को राहत राशि मिल जाएगी और इस प्रक्रिया में 15 दिन से ज्यादा का समय नहीं लगता है.
वहीं, अकालग्रस्त क्षेत्र हेतु केंद्र से प्राप्त धनराशि से जुड़े सवाल के जवाब में आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने जवाब में बताया कि 2021 में कुल 31.21 लाख हेक्टेयर में सूखे से फसल खराबा हुआ. किसानों को सहायता के लिए भारत सरकार को ज्ञापन भिजवाया हुआ है. अब तक भारत सरकार से कोई राशि प्रप्त नहीं हुई है.
SDRF की राशि में से किसानों को आदान-अनुदान की कार्यवाही की जा रही है. पशु शिविर और चारे के लिए विभाग ने निर्देश जारी कर दिए हैं. पानी के लिए PHED ने निर्देश जारी कर दिए हैं. 1.84 लाख किसानों के लिए 175 करोड़ की स्वीकृति आदान-अनुदान के लिए जारी कर दी गई है और 70.58 लाख किसानों को भुगतान किया जाना शेष है.
जायल विधायक मंजू देवी और झाड़ोल विधायक बाबूलाल झाड़ोल चुने गए इस साल के सर्वश्रेष्ठ विधायक : विधानसभा में आज स्पीकर सीपी जोशी ने एक ओर मंत्रियों- विधायकों को सवाल-जवाब से जुड़ी कुछ नसीहतें दीं तो दूसरी ओर उन्होंने इस साल के सर्वश्रेष्ठ विधायकों की भी घोषणा की.
स्पीकर सीपी जोशी ने जायल से कांग्रेस विधायक मंजू देवी और झाड़ोल से भाजपा विधायक बबूलाल को इस साल का सर्वश्रेष्ठ विधायक चुनते हुए कहा कि इस साल दो विधायकों को सर्वश्रेष्ठ चुना है. इन विधायकों की वरिष्टता, सदन में उपस्थिति और व्यवहार को देखते हुए (Manju Devi and Babulal Became the Best MLA) इन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना है. बाकी विधायकों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए.
राज्य सरकार नहीं हटाएगी बीआरटीएस : राजधानी की सड़कों से नहीं हटेगा BRTS कॉरिडोर. यह जवाब आज BRTS कॉरिडोर को हटाने के सुभाष पूनिया के सवाल के जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने दिया. मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब में कहा कि अभी तक इस पर 508 करोड़ 74 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. इनमें से सीकर रोड पर BRTS निर्माण पर 71 करोड़, अजमेर रोड पर 86.51 करोड़, दुर्गापुरा पुल पर 90 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में यह माना कि यह कॉरिडोर निर्धारित लक्ष्य से संचालित नहीं हो पा रहा है. JCTSL की बसे कोरिडोर से गुजर रही हैं, लेकिन शहर में जाम के लिए BRTS जिम्मेदार नहीं है. 2007 में रैपिड ट्रांसपोर्ट के लिए शुरू की गई, तब MRTS की जरूरत बताई गई थी. पीडिकोर इसका काम दिया था. इसमें 138 किलोमीटर का काम था, जिसमें से 46 किमी का JNNURM में काम हुआ.
50 फिसदी खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया. 30 फिसदी खर्च राज्य सरकार ने वहन किया और 30 फिसदी खर्च JDA ने किया. लेकिन BRTS लक्ष्य पर खरा नहीं उतर पाया. यही कारण था कि 2008 में सरकार ने इस योजना की DPR में बदलाव किए और इसे हटाने की सरकार केंद्र से मांग भी कर चुकी. केंद्र के अधिकारियों से इस मामले में दो बार बैठक भी हो चुकी है, लेकिन केंद्र ने BRTS को हटाने से इनकार यह कहते हुए कहा है कि अभी 2 पैकेज और बनाने हैं.
धारीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी तो ये तक कह चुके हैं कि अगर इस कॉरिडोर को हटाओगे तो मय ब्याज के केंद्र का पैसा चुकाना पड़ेगा और आगे की योजनाओं पर भी इसका असर पड़ेगा.