जयपुर. महुआ में पुजारी की मौत मामले में भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और स्थानीय लोग शव को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. जब पुजारी का शव लेकर किरोड़ी लाल मीणा जयपुर पहुंचे तो सरकार की ओर से भी राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने प्रदर्शनकारियों को वार्ता के लिए बुलाया. लेकिन यह वार्ता असफल रही. जिसके बाद राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि दौसा के महुआ में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद आज इतने दिन बीत जाने के बाद भी उसका दाह संस्कार नहीं किया जाना सबसे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है.
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मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि हम सभी को मानवता रखनी चाहिए और पहले शव का धार्मिक नीति के आधार पर दाह संस्कार किया जाना चाहिए. वही जांच की बात पर मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि सरकार निष्पक्षता के साथ जांच करवाने को तैयार है और इस मामले में रजिस्ट्री को लेकर जिस तहसीलदार पर आरोप लग रहे हैं और निर्माण करने पर जिन नगरपालिका के ईओ पर आरोप लग रहे हैं, उन्हें भी सरकार ने जांच पूरी होने तक एपीओ करने का फैसला किया है. लेकिन अगर कोई यह कहे कि जिसको वह चाहे उसे पद से हटवा दें यह संभव नहीं है.
शव के सहारे राजनीतिक इच्छा पूरी करना अनैतिक
हरीश चौधरी ने कहा कि सरकार इस मामले में निष्पक्षता से जांच करवा रही है और जो भी इस मामले में दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी. एक शव का भी मानवाधिकार होता है और जिसका कोई परिवार नहीं है उसका तो और भी ज्यादा अधिकार है और हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है की शव का विधिवत दाह संस्कार हो. ऐसे में अगर शव के माध्यम से कोई अपनी राजनीतिक इच्छा पूरी करना चाहता है तो यह जनता तय करे कि गलती किसकी है.
चौधरी ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और वह निश्चित तौर पर इस मामले में जांच भी करवा रही है. लेकिन हठधर्मिता करके अगर किसी भी अधिकारी को बिना जांच के हटाने की बात कही जाएगी तो वह सरकार को स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि आज पुजारी के शव को जयपुर लेकर आया गया यह कोई इंटेलिजेंस फेलियर नहीं है. क्योंकि इससे पहले भी शव का स्थान बदला गया था. आज आए प्रतिनिधिमंडल की जो मांग थी उन पर कार्रवाई की जा रही है और जहां तक पूरे प्रदेश की मंदिर माफी की जमीनों को लेकर बात है तो उसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. कोर्ट के आदेशों के अनुसार जो कुछ नियम कायदे बनाए जा सकते हैं वह नियम कायदे सरकार बनाने को तैयार है.
आनंदपाल मामले में आ चुका है शव के अधिकार पर फैसला
राजस्थान में शव को लेकर प्रदर्शन करने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मर्तबा मांगे मनवाने को लेकर इसी तरीके से प्रदर्शन हो चुके हैं. लेकिन शव को लेकर प्रदर्शन करने पर राजस्थान में पिछली सरकार के समय मानवाधिकार आयोग ने यह फैसला दिया था कि किसी शव के भी मानवाधिकार होते हैं और उसका विधिवत अंतिम संस्कार नहीं करना और मानवाधिकारों का उल्लंघन है. यह बात मानवाधिकार आयोग ने गैंगस्टर आनंदपाल मामले में दी थी.
जब प्रदर्शनकारी आनंदपाल एनकाउंटर को फर्जी ठहराते हुए सीबीआई की जांच की मांग कर रहे थे और अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए जबरदस्त हंगामा भी आनंदपाल के गांव सांवराद में हुआ था. इसके बाद मानवाधिकार आयोग ने यह निर्णय दिया था तो उस निर्णय के बाद पुलिस ने आनंदपाल के परिवार की इच्छा के विरुद्ध उसके शव का दाह संस्कार 19 दिन बाद किया था.