जयपुर. एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद सिंह ने बताया कि राजस्थान वित्त निगम ने 1990 में पेंशन लागू की और 2004 तक कर्मचारियों और अधिकारियों को पेंशन मिलती रही. 2004 से पहले जो अधिकारी और कर्मचारी रिटायर हुए हैं उन्हें आज भी पेंशन दी जा रही है. 2004 में बोर्ड ने गलत तरीके से एक निर्णय लिया, जिसके कारण 2004 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों की पेंशन रोक दी गई. राजस्थान वित्त निगम के उस निर्णय के विरोध में सभी कर्मचारी और अधिकारी हाईकोर्ट चले गए और हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय किया.
गोविंद सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सरकार और राज्य वित्त निगम सुप्रीम कोर्ट चले गए और एसएलपी दायर कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने एसएसपी खारिज कर राजस्थान वित्त निगम को कर्मचारियों और अधिकारियों की पेंशन देने के आदेश दिए. गोविंद सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य वित्त निगम की 5 एसएलपी खारिज हो चुकी है. इसके बाद राज्य वित्त निगम ने बैक डेट में नोटिफिकेशन निकाला और यह नोटिफिकेशन दो बार निकल चुका है दोनों बार ही हम लोग हाईकोर्ट गए और इसके लिए हाईकोर्ट ने राज्य वित्त निगम को फटकार भी लगाई.
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राज्य वित्त निगम इस तरह से अपना समय व्यतीत कर रहा है. हाईकोर्ट कई बार कह चुका है कि कर्मचारियों और अधिकारियों की पेंशन आपको देनी ही पड़ेगी. इसके बावजूद भी कर्मचारियों और अधिकारियों को वित्त निगम की ओर से कोई राहत नहीं दी जा रही है. राजस्थान वित्त निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी और अधिकारी चाहते हैं कि सरकार इस मामले में दखल दे और कर्मचारियों अधिकारियों की पेंशन शुरू करे. कर्मचारियों ने कहा कि राज्य वित्त निगम सरकार को भी गुमराह कर रहा है.