जयपुर. प्रदेश भर में एक बार फिर से चिकित्सकीय सेवाएं ठप हो सकती हैं. इसका कारण है सरकार की ओर से रेजिडेंट चिकित्सकों के लिए जारी की गई बॉन्ड नीति. रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि इस बॉन्ड नीति के कारण चिकित्सक पशोपेश में पड़ गए हैं. यहां तक की उनकी डिग्री तक रोक ली गई है. ऐसे में गलत बॉन्ड नीति इन चिकित्सकों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है. सरकार ने इनकी मांगें नहीं मानी, तो अब रेजिडेंट चिकित्सक हड़ताल पर जाने की बात कह रहे हैं.
प्रदेशभर के रेजिडेंट और पीजी कंप्लीट कर चुके चिकित्सक सरकार की बॉन्ड नीति से नाराज हैं. वर्ष 2013-14 में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने रेजिडेंट चिकित्सकों को लेकर एक बॉन्ड नीति जारी की थी. इस बॉन्ड नीति के तहत पीजी होने के पश्चात चिकित्सकों को कुछ वर्ष सरकारी सेवा देनी होगी या फिर 25 लाख का बॉन्ड भरना होगा. लेकिन प्रदेशभर के रेजिडेंट चिकित्सक अब इस नीति के विरोध में उतर गए हैं.
जार्ड के पूर्व उपाध्यक्ष डॉक्टर प्रशांत पाराशर का कहना है कि जहां एक तरफ राज्य के तकरीबन 5 हजार से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर्स, चिकित्सा अधिकारी की भर्ती निकालने तथा पद संख्या बढ़ाने के लिए आंदोलनरत हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार उनकी मांगों को दरकिनार कर रही है. डॉक्टर पाराशर का कहना है कि हम सरकार की इस बॉन्ड नीति के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इस नीति में कुछ खामियां हैं, जिसे दुरुस्त किया जाए और उसके बाद ही हम बॉन्ड साइन करने को तैयार होंगे.
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बॉन्ड नीति के अनुसार हमें आज सरकारी सेवा में होना चाहिए था, लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी पीजी कंप्लीट कर चुके चिकित्सकों के पास नौकरी नहीं है. यहां तक कि बॉन्ड साइन नहीं करने पर उनकी डिग्री भी रोक ली गई है. ऐसे में अब अन्य जगह भी काम नहीं कर पा रहे हैं जिसके कारण आर्थिक परेशानियां चिकित्सकों के सामने खड़ी हो गई हैं. जिसके बाद इन चिकित्सकों ने बॉन्ड नीति की विसंगति दूर करने, योग्यता के विपरित पदों पर रेजीडेंट्स की नियुक्ति को रोकने, सरकार के साथ पूर्व में हुए समझौते को लागू करने समेत समेत विभिन्न मांगों को लेकर एकबार फिर आंदोलन का बिगुल बजा दिया है.
दो दिन तक काली पट्टी बांधने के बाद जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट्स डॉक्टर्स यानी जार्ड के आह्वान पर रेजिडेंट चिकित्सकों ने दो घंटे का कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया (Resident doctors protest against bond policy) है. जिसका सीधा असर ओपीडी से लेकर आईपीडी में देखने को मिल रहा है. आंदोलन को लेकर जार्ड प्रतिनिधियों ने कहा है कि यदि जल्द ही मांगों पर सुनवाई नहीं होती है तो वे आंदोलन को बड़ा रूप देंगे. फिलहाल आंदोलन की राह पर चल रहे प्रभावित रेजीडेंटस का कहना है कि वे बॉण्ड की शर्तों के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देने को तैयार हैं, लेकिन उनका कहना है कि बॉण्ड के तहत पोस्टिंग देने में जो देरी हुई, उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.