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चना खरीद शुरू नहीं करने से किसानों में आक्रोश, सरकार द्वारा किसानों के साथ किए गए 10 अन्यायों का प्रस्ताव पास

सरकार की ओर से चना खरीद शुरू नहीं करने के कारण किसानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. इस मुद्दे को लेकर रविवार को किसान महापंचायत की एक बैठक की गई. जिसमें सरकार के खिलाफ अन्याय को लेकर एक प्रस्ताव भी पास किया गया और सरकार से आग्रह किया गया कि सरकार जल्द से जल्द चने की खरीद शुरू करे, ताकि किसानों को न्याय मिल सके.

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किसान महापंचायत की हुई बैठक
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Published : Aug 10, 2020, 5:48 AM IST

जयपुर. सरकार की ओर से चना खरीद शुरू नहीं करने के कारण किसानों में रोष बढ़ता ही जा रहा है. चना खरीद शुरू नहीं करने के संबंध में जयपुर के दूदू में किसान महापंचायत की एक बैठक रविवार को हुई. इस बैठक में सरकार के खिलाफ अन्याय को लेकर एक प्रस्ताव भी पास किया गया और सरकार से आग्रह किया गया कि सरकार जल्द से जल्द चने की खरीद शुरू करें ताकि किसानों को न्याय मिल सके. जयपुर के दूदू में हुई किसान महापंचायत की बैठक में सरकार की ओर से किए जा रहे अन्याय के संबंध में चर्चा की गई और सर्वसम्मति से 10 अन्याय का प्रस्ताव पास किया गया.

किसान महापंचायत की हुई बैठक

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि भारत सरकार की ओर से कुल उत्पादन में से 75 फीसदी चना की उपज को खरीद की परिधि से बाहर करना अन्याय है. फिर 25 फीसदी की सीमा तक भी 55,250 मीट्रिक टन चना की खरीद नहीं करना दूसरा अन्याय है. 25 फीसदी सीमा की काल्पनिक और निराधार तथ्यों पर गणना करना तीसरा अन्याय है. इस अन्याय पूर्ण गणना के आधार पर 10,620 क्विंटल चना खरीदे बिना ही तुलाई बंद करना चौथा अन्याय है. चना खरीद की उक्त मात्रा शेष होते हुए भी खरीद शुरू नहीं कर 10 जुलाई की वार्ता का उल्लंघन करना पांचवा अन्याय है.

जाट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं में वितरण किए जाने वाला चना किसानों से नहीं लेकर ने नेफेड से खरीदना छठा अन्याय है. किसान कल्याण कोष का उपयोग कृषि उपज मंडी अधिनियम 361 के प्रावधानों के विपरीत किया जाना और उस कोष का उपयोग उस कानून के अनुसार चना खेत में नहीं करना सातवां अन्याय है. चना खरीद का भुगतान 3 दिन में करने का भारत सरकार की मार्गदर्शिका में प्रावधान होते हुए भी 30 दिन तक भुगतान के लिए किसानों को परेशान करना आठवां अन्याय है. विलंब से भुगतान होने पर भी किसानों को उसका ब्याज नहीं देना नौवा और तुलाई की अवधि 90 दिन होने के उपरांत भी 63 दिन में तुलाई कार्य बंद करना दसवां अन्याय है.

जाट ने कहा कि इन सब अन्यायों भाग्य समझने के कारण सरकारे अन्याय करने से चूकती नही है. दूदू में आयोजित किसान महापंचायत मानना है कि अन्याय को भाग्य समझकर सहने के कारण सरकार बारंबार अन्याय करती है. कोरोना काल में किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई की ओर धकेलना जन कल्याणकारी सरकार की विफलता है.

पढ़ें- जयपुर: भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर कांग्रेस ने किया स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान

रामपाल जाट ने बताया कि प्रदेश में किसानों ने कृषि कार्य छोड़ कर कोरोना काल का संकट झेलते हुए भी सरकारों से निरंतर आग्रह किया गया. चने से भरे ट्रैक्टर को लेकर दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर कूच भी किया फिर भी किसानों को अन्याय से छुटकारा नहीं मिला. रामपाल जाट ने सरकारों से आग्रह है कि वे चने की खरीद शुरू करने का मार्ग प्रशस्त करें ताकि किसानों को न्याय मिल सके.

जयपुर. सरकार की ओर से चना खरीद शुरू नहीं करने के कारण किसानों में रोष बढ़ता ही जा रहा है. चना खरीद शुरू नहीं करने के संबंध में जयपुर के दूदू में किसान महापंचायत की एक बैठक रविवार को हुई. इस बैठक में सरकार के खिलाफ अन्याय को लेकर एक प्रस्ताव भी पास किया गया और सरकार से आग्रह किया गया कि सरकार जल्द से जल्द चने की खरीद शुरू करें ताकि किसानों को न्याय मिल सके. जयपुर के दूदू में हुई किसान महापंचायत की बैठक में सरकार की ओर से किए जा रहे अन्याय के संबंध में चर्चा की गई और सर्वसम्मति से 10 अन्याय का प्रस्ताव पास किया गया.

किसान महापंचायत की हुई बैठक

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि भारत सरकार की ओर से कुल उत्पादन में से 75 फीसदी चना की उपज को खरीद की परिधि से बाहर करना अन्याय है. फिर 25 फीसदी की सीमा तक भी 55,250 मीट्रिक टन चना की खरीद नहीं करना दूसरा अन्याय है. 25 फीसदी सीमा की काल्पनिक और निराधार तथ्यों पर गणना करना तीसरा अन्याय है. इस अन्याय पूर्ण गणना के आधार पर 10,620 क्विंटल चना खरीदे बिना ही तुलाई बंद करना चौथा अन्याय है. चना खरीद की उक्त मात्रा शेष होते हुए भी खरीद शुरू नहीं कर 10 जुलाई की वार्ता का उल्लंघन करना पांचवा अन्याय है.

जाट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं में वितरण किए जाने वाला चना किसानों से नहीं लेकर ने नेफेड से खरीदना छठा अन्याय है. किसान कल्याण कोष का उपयोग कृषि उपज मंडी अधिनियम 361 के प्रावधानों के विपरीत किया जाना और उस कोष का उपयोग उस कानून के अनुसार चना खेत में नहीं करना सातवां अन्याय है. चना खरीद का भुगतान 3 दिन में करने का भारत सरकार की मार्गदर्शिका में प्रावधान होते हुए भी 30 दिन तक भुगतान के लिए किसानों को परेशान करना आठवां अन्याय है. विलंब से भुगतान होने पर भी किसानों को उसका ब्याज नहीं देना नौवा और तुलाई की अवधि 90 दिन होने के उपरांत भी 63 दिन में तुलाई कार्य बंद करना दसवां अन्याय है.

जाट ने कहा कि इन सब अन्यायों भाग्य समझने के कारण सरकारे अन्याय करने से चूकती नही है. दूदू में आयोजित किसान महापंचायत मानना है कि अन्याय को भाग्य समझकर सहने के कारण सरकार बारंबार अन्याय करती है. कोरोना काल में किसानों को कमाई छोड़कर लड़ाई की ओर धकेलना जन कल्याणकारी सरकार की विफलता है.

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रामपाल जाट ने बताया कि प्रदेश में किसानों ने कृषि कार्य छोड़ कर कोरोना काल का संकट झेलते हुए भी सरकारों से निरंतर आग्रह किया गया. चने से भरे ट्रैक्टर को लेकर दिल्ली के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर कूच भी किया फिर भी किसानों को अन्याय से छुटकारा नहीं मिला. रामपाल जाट ने सरकारों से आग्रह है कि वे चने की खरीद शुरू करने का मार्ग प्रशस्त करें ताकि किसानों को न्याय मिल सके.

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