जयपुर. वैश्विक कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन को भला कौन भूल सकता है. आमजनता से लेकर खास शख्सियतों को भी इसमें परेशानियों का सामना करना पड़ा था. इस संकटकाल की घड़ी में देश के चौथे स्तंभ माने जाने वाले मीडियाकर्मियों ने भी वॉरियर्स की भूमिका निभाई थी और अब उन्ही के अनूठे स्मरणों को 'आपातकाल' नाम की पुस्तक में शामिल किया गया है.
संपर्क संस्थान के अध्यक्ष अनिल लढा की ओर से लिखित इस पुस्तक में कोविड-19 में मीडियाकर्मियों और साहित्यकारों के संघर्ष करने का जिक्र है. वहीं जयपुर के एक निजी होटल में आयोजित हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के विशेष अधिकारी और वरिष्ठ साहित्यकार फारुख अफरीदी, सूचना आयुक्त नारायण बारेठ और रिटायर्ड संयुक्त निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्यारे मोहन त्रिपाठी ने पुस्तक का विमोचन किया.
इस मौके पर लेखक अनिल लढा ने कहा कि, जिस तरह से कोरोना महामारी ने देश-विदेश से लेकर प्रदेश तक अपना कोहराम मचाया. उस कठिन वक्त में मीडिया ने फ्रंट लाइन में आकर अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया, उसकी जितनी सराहना की जाए कम है. क्योंकि कोरोना काल में सरकार ने कुछ खास मीडियाकर्मियों के लिए किया नहीं ऐसे में उनको अहमियत दिलाते हुए उनका सम्मान होना जरूरी था, जिसको देखते हुए इस पुस्तक में हिंदुस्तान और राजस्थान ही नहीं बल्कि अमेरिका, स्पेन, सिंगापुर सहित देश-दुनिया के हर जगह के बड़े पत्रकार और साहित्यकार के संस्करण लेकर संकलित किया है.