जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में 2 नवंबर से मुकदमों की नियमित सुनवाई की जाएगी. इस दौरान वकील वीसी और फिजिकल दोनों तरीके से पैरवी कर सकेंगे. हाईकोर्ट प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार 2 नवंबर से हाईकोर्ट में सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक नियमित सुनवाई होगी. इस दौरान दोपहर एक से दो बजे तक लंच रहेगा. केसों में वीसी के जरिए सुनवाई के लिए वकीलों को केस के एक दिन पहले ही सूचना देनी होगी.
हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार कोर्ट परिसर में वकीलों को ई-पास के जरिए ही प्रवेश दिया जाएगा. वीसी से पैरवी करने वाले वकीलों का केस का नंबर भी कॉज लिस्ट के अनुसार ही लिया जाएगा. एक केस में वकील के साथ एक ही पक्षकार को प्रवेश दिया जाएगा. प्रवेश से पहले सभी की थर्मल स्कैनिंग से जांच भी की जाएगी.
पढ़ें- बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों ने एकलपीठ के आदेश के विरुद्ध पेश की अपील
वहीं, कोर्ट में सिर्फ पैरवी करने वाले वकीलों को ही प्रवेश दिया जाएगा. एडवोकेट क्लर्क का प्रवेश भी उनके आईडी कार्ड के जरिए ही हो सकेगा. जबकि नए केसों या अन्य दस्तावेजों को ई-फाइलिंग या मैन्युअली तरीके से पेश किया जा सकेगा. इस दौरान लॉ इंटर्न के प्रवेश पर पाबंदी रहेगी.
हाईकोर्ट प्रशासन ने कोर्ट परिसर में भीड़भाड़ नहीं करने और सदैव मास्क पहने के भी निर्देश जारी किए हैं. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार की कोरोना को लेकर जारी की गई गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना भी जरूरी होगा.
मैसर्स मीडिया वीडियो लि. पर 2 लाख रुपए का हर्जाना
राज्य उपभोक्ता आयोग ने तय समय पर परिसर का कब्जा नहीं देने पर मैसर्स मीडिया वीडियो लि. पर 2 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने परिसर की लीज डीड की तिथि से भविष्य में कब्जा सौंपने तक 2.50 रुपए वर्ग फीट के हिसाब से किराया भी अदा करने को कहा है. वहीं परिवादी से होल्डिंग चार्ज भी वसूल नहीं करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश एससी दीवान और अन्य की परिवाद पर दिए.
परिवाद में कहा गया कि उसने बिल्डर से कोरल भिवाड़ी में 31.56 लाख रुपए में परिसर खरीदा था. शर्त के तहत बिल्डर को 3 साल में परिसर का निर्माण कर कब्जा सौंपना था. ऐसा नहीं करने पर मासिक 2.50 रुपए प्रति वर्ग फीट किराए के तौर पर बिल्डर को अदा करने थे.
पढ़ें- INC के पूर्व सदस्य सहित अन्य के खिलाफ ED ने पेश किया परिवाद
परिवाद में कहा गया कि संपूर्ण राशि जमा कराने के बाद भी बिल्डर ने तय समय पर कब्जा नहीं दिया. दूसरी ओर होल्डिंग चार्ज के नाम पर 3.93 लाख रुपए अतिरिक्त मांग लिए, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बिल्डर पर 2 लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए दो महीने में परिसर का कब्जा सौंपने को कहा है.