जयपुर. प्रदेश के सहकारी बैंक में फर्जी डिग्री दिखाकर एक साथ दो-दो वेतन वृद्धि ले चुके कर्मचारियों पर शिकायत विभाग की ओर से गाज गिरना शुरू हो गई है. ऐसे कर्मचारियों से वेतन वृद्धि का लाभ वापस लेने के साथ ही धोखा देने के मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर किया जा रहा है.
सहकारी बैंक में फर्जी डिग्री के सहारे वेतन वृद्धि ले चुके कर्मचारियों से लाभ वापस लेने के मामले में सहकारिता रजिस्टर डॉक्टर नीरज के पवन ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए हैं. साथ ही जिन जिलों से विभाग को प्रकरण भिजवाए गए हैं, उसमें रिकवरी का काम शुरू कर दिया गया है.
अपेक्स बैंक में सर्वाधिक फर्जीवाड़ा का खुलासा...
नागौर, झालावाड़, झुंझुनू, हनुमानगढ़, दौसा, अजमेर और उदयपुर में 46 कर्मचारियों से करीब 72 लाख से अधिक की रिकवरी की जा चुकी है. वहीं श्रीगंगानगर, सीकर, जयपुर, अलवर और बीकानेर में भी बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री से वेतन वृद्धि करवाने के मामले सामने आए हैं. जिनकी विभागीय स्तर पर जांच करवाई जा रही है. विभाग इन जिलों से रिपोर्ट मंगवाकर जांच करवा रहा है, जो जल्द ही पूरा होने के आसार है.
वहीं जयपुर के अपेक्स बैंक में सबसे ज्यादा 44 मामले इस तरह के सामने आए हैं. जिसकी जांच भी बैंक के स्तर पर चल रही है. जांच पूरी होने के बाद करोड़ों रुपए की रिकवरी होने की संभावना है.
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दरअसल, सहकारी बैंकों में 14 वेतन समझौते में यह प्रावधान किया गया था कि यदि कोई कर्मचारी एमएससी, एमटेक, एमसीए या आईटी की डिग्री लेता है तो उसे एकसाथ दो वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाएगा. आदेश जारी करने के पीछे सहकारी बैंकों में कंप्यूटरीकरण को बढ़ावा दिए जाने का मकसद था लेकिन इस आदेश के बाद ही सहकारी बैंकों में कर्मचारियों के पास डिग्रियों की बाढ़ आ गई.
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प्राइवेट यूनिवर्सिटी के एजेंटों के जरिए ऑफिस रहते हुए कई कर्मचारियों ने डिग्रियां हासिल कर ली. जांच में भी सामने आया कि कर्मचारी और अधिकारियों ने डिग्रियां ली लेकिन परीक्षा के दिन भी वे ऑफिस में ही मौजूद थे. जिसके बाद रिकवरी का सिलसिला शुरू हो गया है.