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Road accidents in Jaipur: लोगों की लापरवाही बन रही सड़क हादसों का कारण, जयपुर में 4 महीने में 227 की गई जान

जयपुर में होने वाले अधिकतर सड़क हादसे देर रात और अलसुबह घटित होते हैं. इनकी वजह नशा कर वाहन चलाना, तेज रफ्तार और नींद की झपकी आना बताया गया है. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 में जनवरी से अप्रैल तक 740 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 227 लोगों की मौत हुई और 697 लोग घायल (Road accidents in Jaipur in 2022) हुए. ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि स्टाफ की कमी के चलते देर रात और अलसुबह पुलिसकर्मियों की ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है.

Reasons of road accidents in Jaipur and timings when maximum incidents occur
लोगों की लापरवाही बन रही सड़क हादसों का कारण, जयपुर में 4 महीने में 227 की गई जान
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Published : Jun 8, 2022, 6:22 PM IST

जयपुर. राजधानी की तमाम सड़कों पर सुबह 8 से लेकर रात 10 बजे तक यातायात दबाव काफी अधिक रहता है. इस दौरान सड़क हादसे बेहद कम होते हैं. लेकिन रात 10 से लेकर सुबह 8 बजे तक जब सड़कों पर यातायात दबाव काफी कम होता है, तब हादसों की संख्या बढ़ जाती (Maximum road accidents time duration in Jaipur) है.

जयपुर ट्रैफिक पुलिस भी बढ़ रहे हादसों को लेकर काफी चिंतित है और लगातार लोगों से समझाइश का प्रयास भी किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. पिछले 3 वर्षों में जयपुर में रात 10 से लेकर सुबह 8 बजे तक सड़क हादसों में कुल 261 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. गंभीर रूप से जख्मी लोगों की तादाद इससे कहीं अधिक है. जयपुर ट्रैफिक पुलिस के जवान सुबह 9 से लेकर रात 10 बजे तक शहर के अलग-अलग मार्गों पर तैनात रहते हैं. वहीं रात 10 से लेकर सुबह 9 बजे तक पुलिसकर्मियों की गैरमौजूदगी में ही सर्वाधिक सड़क हादसे होते हैं.

पढ़ें: सड़क हादसों में घायलों के इलाज में लापरवाही पर सीएम गहलोत सख्त, कहा- ऐसे निजी अस्पताल की मान्यता करनी होगी रद्द

नफरी की कमी से जूझ रही ट्रैफिक पुलिस: राजधानी में 35 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं. जबकि जयपुर ट्रैफिक पुलिस के बेड़े में 1350 पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं. ट्रैफिक पुलिस लंबे समय से नफरी की कमी से जूझ रही है, जिसे लेकर पुलिस मुख्यालय को भी जयपुर के आला अधिकारियों ने अनेक बार अवगत करवाया है. ट्रैफिक पुलिस में तैनात 1350 जवानों में से 150 जवान तो केवल मॉनिटरिंग के काम में ट्रैफिक कंट्रोल रूम, डीसीपी कार्यालय व अन्य कार्यालयों में तैनात हैं.

पढ़ें: Rajasthan High Court: सड़क हादसों को रोकने के लिए सख्ती बरते सरकार, विकसित करे सुरक्षा तंत्र

रात के समय होने वाले सड़क हादसों को लेकर डीसीपी ट्रैफिक श्वेता धनखड़ का कहना है कि नफरी की कमी के चलते रात के वक्त सड़क पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगा पाना संभव नहीं है. हालांकि जिन ब्लैक स्पॉट पर सर्वाधिक सड़क हादसे घटित होते हैं वहां पर नाकाबंदी करके या फिर स्पीड गन व इंटरसेप्टर तैनात कर समय-समय पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है. हालांकि रात के वक्त जितने भी सड़क हादसे घटित होते हैं उनके पीछे का मुख्य कारण तेज रफ्तार होती (Reasons of road accidents in Jaipur) है.

पढ़ें: सड़क हादसे में 35 फीसदी मौत दोपहिया सवार की, हेलमेट नहीं होना सबसे बड़ा कारण

हर साल बढ़ रहा सड़क हादसों का ग्राफ और उनमें होने वाली मौत का आंकड़ा: हर साल बढ़ रहे हादसे और मौतों का आंकड़ा: राजधानी में घटित होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. जहां वर्ष 2020 में जनवरी से अप्रैल तक जयपुर में 681 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 171 लोगों की मौत हुई और 579 लोग घायल हुए. वर्ष 2021 में जनवरी से अप्रैल तक 730 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 193 लोगों की मौत हुई और 614 लोग घायल हुए. इसी प्रकार से वर्ष 2022 में जनवरी से अप्रैल तक 740 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 227 लोगों की मौत हुई और 697 लोग घायल हुए.

पढ़ें: Special : सड़क हादसों में कमी लाएगी जयपुर पुलिस, कर रही ये 'खास' काम

तेज रफ्तार, नशा और नींद बन रही हादसों का कारण: राजधानी में घटित होने वाले सड़क हादसों के पीछे का मुख्य कारण तेज रफ्तार, नशा करके वाहन दौड़ाना और देर रात आने वाली नींद की झपकी है. राजधानी में देर रात घटित होने वाले सड़क हादसों में अमूमन यह देखा गया है युवा सुनी सड़क देखकर काफी तेज गति में वाहन दौड़ाते हैं और फिर जब अचानक किसी चौराहे पर दूसरी ओर से कोई वाहन उनके सामने आता है तो तेज गति में होने के चलते वह वाहन पर से संतुलन खो बैठते हैं व हादसे का शिकार हो जाते हैं. इसी प्रकार देर रात नाइट क्लब या बार में नशे का सेवन करने के बाद युवा गाड़ी से संतुलन खो बैठते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं. वहीं अलसुबह जितने भी हादसे घटित होते हैं, उसके पीछे चालक को नींद की झपकी आ जाने के करण दुर्घटना होती है.

पढ़ें: प्रदेश में सड़क हादसों में वृद्धि को लेकर सरकार गंभीर, तमिलनाडु की तर्ज पर सड़क सुरक्षा रोड भी तैयार

राजधानी में हाल में घटित हुए कुछ सड़क हादसे:

  • 5 जून की सुबह 6 बजे आदर्श नगर थाना इलाके में दो सगी बहनें स्कूटी पर सवार होकर जैन मंदिर से दर्शन कर वापस घर लौट रही थीं. तभी परनामी मंदिर के पास देर रात तक अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर घर लौट रहे एक युवक ने स्कूटी को जोरदार टक्कर मारी. हादसे में दोनों बहनों की मौके पर ही मौत हो गई. इस दौरान एक बाइक सवार युवक भी कार की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया. गाड़ी तेज रफ्तार में होने और चालक को नींद की झपकी आ जाने के चलते हादसा घटित हुआ.
  • राजधानी के भांकरोटा थाना इलाके में 31 मई को एक तेज रफ्तार ट्रक ने सड़क किनारे चल रही बाइक को अपनी चपेट में ले लिया. जिसके चलते बाइक सवार दंपती सहित तीन लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई. ट्रक ओवर लोडेड था और तेज रफ्तार में होने के चलते चालक उस पर नियंत्रण खो बैठा, जिसके चलते यह हादसा घटित हुआ.
  • 19 मई को राजधानी के मुहाना थाना इलाके में रात को 5 दिन के नवजात की तबीयत खराब होने पर जब उसे उसके मां-बाप अस्पताल ले जा रहे थे, तभी शराब के नशे में धुत एक कार चालक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी. हादसे में बाइक सवार दंपती उछलकर सड़क पर जा गिरे, जिससे नवजात की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई तो वहीं दंपती गंभीर रूप से घायल हो गए.

जयपुर. राजधानी की तमाम सड़कों पर सुबह 8 से लेकर रात 10 बजे तक यातायात दबाव काफी अधिक रहता है. इस दौरान सड़क हादसे बेहद कम होते हैं. लेकिन रात 10 से लेकर सुबह 8 बजे तक जब सड़कों पर यातायात दबाव काफी कम होता है, तब हादसों की संख्या बढ़ जाती (Maximum road accidents time duration in Jaipur) है.

जयपुर ट्रैफिक पुलिस भी बढ़ रहे हादसों को लेकर काफी चिंतित है और लगातार लोगों से समझाइश का प्रयास भी किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. पिछले 3 वर्षों में जयपुर में रात 10 से लेकर सुबह 8 बजे तक सड़क हादसों में कुल 261 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. गंभीर रूप से जख्मी लोगों की तादाद इससे कहीं अधिक है. जयपुर ट्रैफिक पुलिस के जवान सुबह 9 से लेकर रात 10 बजे तक शहर के अलग-अलग मार्गों पर तैनात रहते हैं. वहीं रात 10 से लेकर सुबह 9 बजे तक पुलिसकर्मियों की गैरमौजूदगी में ही सर्वाधिक सड़क हादसे होते हैं.

पढ़ें: सड़क हादसों में घायलों के इलाज में लापरवाही पर सीएम गहलोत सख्त, कहा- ऐसे निजी अस्पताल की मान्यता करनी होगी रद्द

नफरी की कमी से जूझ रही ट्रैफिक पुलिस: राजधानी में 35 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं. जबकि जयपुर ट्रैफिक पुलिस के बेड़े में 1350 पुलिसकर्मी ही मौजूद हैं. ट्रैफिक पुलिस लंबे समय से नफरी की कमी से जूझ रही है, जिसे लेकर पुलिस मुख्यालय को भी जयपुर के आला अधिकारियों ने अनेक बार अवगत करवाया है. ट्रैफिक पुलिस में तैनात 1350 जवानों में से 150 जवान तो केवल मॉनिटरिंग के काम में ट्रैफिक कंट्रोल रूम, डीसीपी कार्यालय व अन्य कार्यालयों में तैनात हैं.

पढ़ें: Rajasthan High Court: सड़क हादसों को रोकने के लिए सख्ती बरते सरकार, विकसित करे सुरक्षा तंत्र

रात के समय होने वाले सड़क हादसों को लेकर डीसीपी ट्रैफिक श्वेता धनखड़ का कहना है कि नफरी की कमी के चलते रात के वक्त सड़क पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगा पाना संभव नहीं है. हालांकि जिन ब्लैक स्पॉट पर सर्वाधिक सड़क हादसे घटित होते हैं वहां पर नाकाबंदी करके या फिर स्पीड गन व इंटरसेप्टर तैनात कर समय-समय पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है. हालांकि रात के वक्त जितने भी सड़क हादसे घटित होते हैं उनके पीछे का मुख्य कारण तेज रफ्तार होती (Reasons of road accidents in Jaipur) है.

पढ़ें: सड़क हादसे में 35 फीसदी मौत दोपहिया सवार की, हेलमेट नहीं होना सबसे बड़ा कारण

हर साल बढ़ रहा सड़क हादसों का ग्राफ और उनमें होने वाली मौत का आंकड़ा: हर साल बढ़ रहे हादसे और मौतों का आंकड़ा: राजधानी में घटित होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. जहां वर्ष 2020 में जनवरी से अप्रैल तक जयपुर में 681 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 171 लोगों की मौत हुई और 579 लोग घायल हुए. वर्ष 2021 में जनवरी से अप्रैल तक 730 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 193 लोगों की मौत हुई और 614 लोग घायल हुए. इसी प्रकार से वर्ष 2022 में जनवरी से अप्रैल तक 740 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 227 लोगों की मौत हुई और 697 लोग घायल हुए.

पढ़ें: Special : सड़क हादसों में कमी लाएगी जयपुर पुलिस, कर रही ये 'खास' काम

तेज रफ्तार, नशा और नींद बन रही हादसों का कारण: राजधानी में घटित होने वाले सड़क हादसों के पीछे का मुख्य कारण तेज रफ्तार, नशा करके वाहन दौड़ाना और देर रात आने वाली नींद की झपकी है. राजधानी में देर रात घटित होने वाले सड़क हादसों में अमूमन यह देखा गया है युवा सुनी सड़क देखकर काफी तेज गति में वाहन दौड़ाते हैं और फिर जब अचानक किसी चौराहे पर दूसरी ओर से कोई वाहन उनके सामने आता है तो तेज गति में होने के चलते वह वाहन पर से संतुलन खो बैठते हैं व हादसे का शिकार हो जाते हैं. इसी प्रकार देर रात नाइट क्लब या बार में नशे का सेवन करने के बाद युवा गाड़ी से संतुलन खो बैठते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं. वहीं अलसुबह जितने भी हादसे घटित होते हैं, उसके पीछे चालक को नींद की झपकी आ जाने के करण दुर्घटना होती है.

पढ़ें: प्रदेश में सड़क हादसों में वृद्धि को लेकर सरकार गंभीर, तमिलनाडु की तर्ज पर सड़क सुरक्षा रोड भी तैयार

राजधानी में हाल में घटित हुए कुछ सड़क हादसे:

  • 5 जून की सुबह 6 बजे आदर्श नगर थाना इलाके में दो सगी बहनें स्कूटी पर सवार होकर जैन मंदिर से दर्शन कर वापस घर लौट रही थीं. तभी परनामी मंदिर के पास देर रात तक अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर घर लौट रहे एक युवक ने स्कूटी को जोरदार टक्कर मारी. हादसे में दोनों बहनों की मौके पर ही मौत हो गई. इस दौरान एक बाइक सवार युवक भी कार की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया. गाड़ी तेज रफ्तार में होने और चालक को नींद की झपकी आ जाने के चलते हादसा घटित हुआ.
  • राजधानी के भांकरोटा थाना इलाके में 31 मई को एक तेज रफ्तार ट्रक ने सड़क किनारे चल रही बाइक को अपनी चपेट में ले लिया. जिसके चलते बाइक सवार दंपती सहित तीन लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई. ट्रक ओवर लोडेड था और तेज रफ्तार में होने के चलते चालक उस पर नियंत्रण खो बैठा, जिसके चलते यह हादसा घटित हुआ.
  • 19 मई को राजधानी के मुहाना थाना इलाके में रात को 5 दिन के नवजात की तबीयत खराब होने पर जब उसे उसके मां-बाप अस्पताल ले जा रहे थे, तभी शराब के नशे में धुत एक कार चालक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी. हादसे में बाइक सवार दंपती उछलकर सड़क पर जा गिरे, जिससे नवजात की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई तो वहीं दंपती गंभीर रूप से घायल हो गए.
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