जयपुर. राजधानी में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय को आप गूगल पर ढूंढ सकते हैं. नगर निगम ने सभी शौचालयों की जियो टैगिंग की हुई है. निगम प्रशासन के अनुसार जयपुर ग्रेटर में 97 पब्लिक टॉयलेट और 36 कम्युनिटी टॉयलेट, जबकि जयपुर हेरीटेज क्षेत्र में 109 पब्लिक टॉयलेट और 21 कम्युनिटी टॉयलेट की व्यवस्था है. करीब 4 करोड़ की लागत से राजधानी में 50 जगहों पर स्मार्ट टॉयलेट भी लगाए गए हैं, लेकिन इन टॉयलेट का जायजा लेने पर पता लगा कि कहीं बिजली-पानी की, तो कहीं सफाई की समस्या है. यही नहीं कुछ शौचालयों में तो ताले लगे हुए हैं.
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में कुछ सुलभ शौचालय और स्मार्ट टॉयलेट पर ताले लगा दिए गए थे, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बावजूद अब तक व्यवस्थाएं अनलॉक नहीं हुई हैं. ईटीवी भारत ने राजधानी के टूरिस्ट प्लेस, कॉरपोरेट एरिया और ट्रांसपोर्ट एरिया में बने सुलभ शौचालय, पब्लिक टॉयलेट और स्मार्ट टॉयलेट का जायजा लिया.
- स्टेच्यू सर्किल: स्मार्ट टॉयलेट और पब्लिक टॉयलेट
राजधानी का व्यस्ततम स्टेच्यू सर्किल शहर के पर्यटन स्थलों में भी शामिल है. दिन भर यहां ऑफिस वर्कर और विद्यार्थियों की आवाजाही लगी रहती है, तो वहीं शाम होने के साथ ही शहरवासी परिवार के साथ यहां पहुंचते हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को पब्लिक टॉयलेट और स्मार्ट टॉयलेट की सुविधा लेनी पड़ती है. लेकिन यहां मौजूद पब्लिक टॉयलेट का हाल सही नहीं है.
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ईटीवी भारत की रियलिटी चेक में पता चला कि टॉयलेट पोट के पाइप निकले हुए हैं, तो वहीं पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. यही नहीं यहां लगाए गए एकमात्र स्मार्ट टॉयलेट में लाइट का प्रबंध नहीं है, जिसकी वजह से शाम और रात को आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. महिलाओं को खास कर ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं लोगों की आवाजाही के अनुसार यहां महज एक स्मार्ट टॉयलेट होने से भी सवाल उठता है.
- नारायण सिंह सर्किल: पब्लिक टॉयलेट, स्मार्ट टॉयलेट और सुलभ शौचालय
शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट का केंद्र कहे जाने वाले नारायण सिंह सर्किल पर हर दिन हजारों यात्री बाहर से आते हैं, तो वहीं नजदीक में अस्पताल, कॉलेज और दूसरे प्रशासनिक भवन होने के चलते बड़ी संख्या में शहरवासियों की भी आवाजाही रहती है. यही वजह है कि यहां पब्लिक टॉयलेट, स्मार्ट टॉयलेट और सुलभ शौचालय तीनों मौजूद है.
ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में सामने आया कि पब्लिक टॉयलेट में नियमित साफ-सफाई रहती है, लेकिन स्मार्ट टॉयलेट में पानी की व्यवस्था नहीं होने से लोग परेशान होते हैं. इन सबके बीच सुलभ शौचालय कई सवाल खड़े करता है. यहां साफ-सफाई बिल्कुल भी नहीं रहती है, साथ ही शौचालय के लिए की गई व्यवस्थाओं पर ताले जड़े हुए हैं. केयरटेकर का तर्क है कि यहां नल लीक करता है, जिसकी वजह से पानी की टंकी खाली हो जाती है. यही वजह है कि 15 दिन से इसे बंद किया हुआ है.
- सी स्कीम: सुलभ शौचालय
टूरिस्ट और ट्रांसपोर्ट एरिया के बाद ईटीवी भारत कॉरपोरेट्स एरिया में पहुंचा, जहां सुलभ शौचालय की प्रशासन की ओर से व्यवस्था की हुई है. सुलभ शौचालय का टेंडर सुलभ इंटरनेशनल संस्था के पास है, जो इसकी मेंटेनेंस में फेल साबित हो रहा है. नारायण सिंह सर्किल पर सुलभ शौचालय के हालात देखने के बाद सी स्कीम मालवीय मार्ग पर बने सुलभ शौचालय में भी सफाई व्यवस्था कुछ खास नजर नहीं आई.
सी स्कीम मालवीय मार्ग पर बने टॉयलेट पोट गंदे पड़े थे और हाथ धोने के लिए पानी की व्यवस्था भी नहीं थी. केयरटेकर का कहना था कि टॉयलेट इस्तेमाल करने वाले लोग ही इसमें गुटका-तंबाकू थूक कर चले जाते हैं, जिसकी वजह से ये जाम हो जाती है. वहीं, पानी की समस्या अक्सर बनी रहती है क्योंकि यहां टैंकर से पानी डलवाया जाता है.
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बहरहाल, राजधानी के टूरिस्ट प्लेस, कॉरपोरेट एरिया और ट्रांसपोर्ट एरिया में ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में सुलभ शौचालय, पब्लिक टॉयलेट और स्मार्ट टॉयलेट में कहीं ताला लगा हुआ मिला तो कहीं बिजली-पानी की समस्या दिखी. हालांकि, नगर निगम प्रशासन सफाई व्यवस्था के नजरिए से पास जरूर हुआ, लेकिन सुलभ इंटरनेशनल संस्था इसमें फेल साबित हुई है.
हालांकि, निगम प्रशासन, सुलभ इंटरनेशनल संस्थान, स्मार्ट सिटी लिमिटेड के साथ-साथ आम जनता को भी इन सुविधाओं को साफ और स्वच्छ रखने के लिए जागरूक होना होगा.