जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य का बजट पेश किया और इसमें कई घोषणाएं भी की गईं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पेश किए गए बजट को निराशाजनक बताते हुए (Vasundhara on Gehlot Government Budget) कहती हैं कि ये नीति का नहीं, बल्कि राजनीति का बजट है. वहीं, भाजपा नेता मदन दिलावर ने इस बजट को जनता को भ्रमित करने वाला बताया है. दिलावर ने कहा कि घोषणाओं की संख्या बहुत है, लेकिन जिन लोगों को जरूरत थी उनको छोड़ दिया गया है.
राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री के बजट पेश किए जाने के बाद मीडिया से रू-ब-रू हुईं पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कहा कि यह जो बजट पेश किया गया है, वह ज्यादातर जनता को निराश करने वाला बजट है. मैं तो यही कहूंगी कि यह नीति वाला बजट नहीं, बल्कि मेरे हिसाब से राजनीति का बजट है. वसुंधरा राजे ने कहा कि इस बार किसानों के लिए अलग से बजट पेश किया गया, लेकिन इसमें मुझे कोई विजन नहीं दिखा. राजे ने कहा कि बजट के एक्चुअल आंकड़े अभी और देखने के बाद ही बजट पूरी तरह क्लियर हो पाएगा. लेकिन यह तय है कि जो बजट घोषित किया गया है, वह धरातल पर उतारने में किस तरह काम होगा यह देखने वाली बात होगी.
दिलावर ने जनता को भ्रमित करने वाला बजट बताया...
बजट को लेकर भाजपा नेता मदन दिलावर ने कहा कि घोषणाओं की संख्या बहुत है, लेकिन जिन लोगों को जरूरत थी (Madan Dilawar Told a Confusing Budget) उनको छोड़ दिया गया है. विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में मदन दिलावर ने कहा कि बजट में सीएम ने कहा कि उद्योगों में एससी-एसटी के लोगों को प्रोत्साहन देंगे. लेकिन रीको के भूखंड आवंटन में जब इनका आरक्षण केवल छह प्रतिशत ही है, जबकि इसे 30 फीसदी किया जाना चाहिए था. अनुसूचित जाति, ओबीसी, अनुसूचित जनजाति छात्रों और दिव्यांगों को छात्रवृत्ति मिलती है. उनकी छात्रवृत्ति पर बजट में कोई चर्चा नहीं की गई, जबकि इसे बढ़ाया जाना चाहिए था.
इन्होंने महिलाओं और बुजुर्गों की चर्चा की, लेकिन महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाने को लेकर बजट में कोई बात नहीं की गई है. जबकि वो इसकी अपेक्षा कर रहे थे. किसानों के बारे में सरकार अलग से कृषि बजट लेकर आई है, लेकिन किसानों की कर्जमाफी की जो पिछली घोषणा थी, उस पर कोई बात नहीं की गई है. जबकि सरकार को अपनी पिछली भूल को सुधारते हुए कर्जा माफ करना चाहिए था. सरकार को सभी किसानों का सभी प्रकार का कर्जा माफ करना चाहिए था. किसानों को भाजपा की सरकार के समय से जीरो ब्याज पर लोन दिया जाता था, वह भी ये सरकार नहीं दे रही है. किसानों की अपेक्षा थी कि उसको बढ़ाएंगे. उस पर बजट में कोई चर्चा तक नहीं की गई है.
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किसानों के पेंडिंग बिजली कनेक्शन दो साल में देने की बात सीएम गहलोत ने की है. लेकिन इसका मेटेरियल कहां से और कैसे आएगा, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है. क्योंकि जो पिछली बार के कनेक्शन थे, वे डेढ़-डेढ़ साल से लंबित हैं. किसान डिमांड जमा करवा चुके हैं, लेकिन कनेक्शन नहीं मिला है. ऐसे में सरकार का जनता (Rajasthan legislative assembly budget 2022) कैसे भरोसा करेगी. उन्होंने इसे केवल थोथी घोषणा बताया है. मदन दिलावर का यह भी कहना है कि आयुर्वेदिक दवाओं और जांचों को निशुल्क दवा योजना में शामिल किया जाना चाहिए था.
कांग्रेस के डीएनए में ही मौजूद है वादाखिलाफी : केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने प्रादेशिक बजट को आमजन की उम्मीदों को तोड़ने वाला और झूठ का पिटारा बताते हुए राजस्थान की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसा है. कैलाश चौधरी ने कहा कि राजस्थान का ये बजट थोथी घोषणाओं से पूर्ण है. पहले के 3 वर्षों की घोषणाओं को भी धरातल पर लागू करने में विफल कांग्रेस सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान सरकार के किए गए संपूर्ण कर्जमाफी के वादे की घोषणा का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सरकार की वादाखिलाफी के कारण इस वर्ष भी किसानों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी. कैलाश चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केवल बजट भाषण पढ़ने में ही कल्पनिक रिकॉर्ड बनाया है, प्रदेश की जनता को राहत देने में नहीं. उन्होंने कहा कि लंबे और उबाऊ मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान सत्तापक्ष के विधायक भी नींद ले रहे थे, क्योंकि उनके बजट भाषण में आमजन को राहत देने वाला कोई प्रावधान नहीं था.
कटारिया, पूनिया और राठौड़ ने बजट को बताया निराशाजनक, सीएम गहलोत को बताया घोषणाजीवी
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कर्जा लेकर घी पियो और मस्त हो जाओ, जैसा ही यह बजट है. वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री को घोषणाजीवी करार दिया. जबकि प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह बजट राजस्थान की अर्थव्यवस्था में काला धब्बा साबित होगा.
कर्जा लो, घी पियो और मस्त रहो जैसा है बजट...
बजट पेश होने के बाद मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस बजट में केवल घोषणाओं का अंबार ही लगाया गया है, लेकिन पिछले 3 बजट की जिस प्रकार दुर्गति हुई और घोषणा आज तक पेंडिंग है, ठीक वही स्थिति इस मौजूदा बजट की भी होने वाली है. कटारिया ने कहा कि राजस्थान सरकार तो बस कर्ज लो, घी पियो और मस्त हो जाओ की नीति पर चल रही है. जबकि बजट में घोषित योजनाओं से जनता को राहत पहुंचे इसमें संदेह ही है. कटारिया ने कहा कि जिस प्रकार कांग्रेस ने 10 दिन में कर्जा माफ करने की बात कही थी और संविदा कर्मियों को स्थाई करने का आश्वासन दिया था ठीक वैसे ही अब यह घोषणा अभी अधूरी ही रहेगी.
घोषणाजीवी हैं मुख्यमंत्री, लेकिन घोषणाओं को धरातल पर उतारने में इनका भरोसा नहीं : पूनिया
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री घोषणा है तो खूब करते हैं, लेकिन उसे धरातल पर उतारने में इनका भरोसा नहीं है. पूनिया ने कहा कि यह बजट कट कॉपी-पेस्ट जैसा है और इसमें की गई घोषणाओं को देखकर ऐसा लगता है, जैसे यह सरकार कल ही चुनाव में उतरने वाली हो. मतलब चुनाव की छाया इस बजट पर साफ तौर पर दिखती है. पूनिया ने कहा कि पिछले बजट में जो 7 संकल्प इस सरकार ने किए वहीं अब तक अधूरे हैं.
यह बजट राजस्थान की अर्थव्यवस्था में काला धब्बा साबित होगा : राजेंद्र राठौड़
वहीं, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने मौजूदा बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि राजस्थान की अर्थव्यवस्था में यह बजट काला धब्बा साबित होगा. राठौड़ ने कहा कि पिछले 3 बजट की तर्ज पर घोषणा करके भूल जाना, इस सरकार की फितरत रही है. राठौड़ के अनुसार जो घोषणाएं की गई हैं, उसे पूरा करने के रिसोर्स सरकार में नजर नहीं आते.
थोथी घोषणाओं का लॉलीपॉप है बजट : अलका गुर्जर
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर ने राजस्थान सरकार के बजट को थोथी घोषणाओं का लॉलीपॉप बजट बताया है. अलका गुर्जर ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत महिलाओं को स्मार्टफोन देने की बात कर रहे हैं, लेकिन महिला अपराधों में राजस्थान देश में नंबर वन है. महिलाएं त्राहिमाम कर रही हैं, उनकी सुरक्षा के लिए गहलोत कुछ नहीं सोच रहे.
उन्होंने आगे कहा कि युवाओं के लिए नई भर्तियों की लॉलीपॉप फिर पेश की गई है, लेकिन पहले की भर्तियां कोर्ट में लंबित हैं. पेपर लीक होना आम बात हो गई है, जिसके लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. केंद्र सरकार से जिन योजनाओं का पैसा आवंटित हो रहा है, उन्हीं को घुमा फिराकर राज्य सरकार अपने नाम से वाहवाही लूटने का प्रयास करना चाहती है.
यह चुनावी बजट है, जनता सब समझती है और 2023 में राजस्थान से कांग्रेस की संपूर्ण विदाई तय है.
हवाई सपने पूरे करने की असफल उड़ान है बजट : देवनानी
पूर्व शिक्षा मंत्री एवं भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने पूरे कार्यकाल में सचिन पायलट से लड़ने में इतना व्यस्त रहे हैं कि उन्होंने अपने बजट को भी हवाई बातों एवं हवाई घोषणाओं से परिपूर्ण बना कर हवाई सपने पूरे करने की असफल उड़ान भरी है. इस बजट का कोई वास्तविक धरातल नहीं है. इस उड़ान से आमजन बिलकुल दूर हैं.
उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत ने बजट में 1 लाख नई भर्ती की घोषणा की गई है, लेकिन राज्य सरकार पूर्व के बजट में घोषित 1.80 लाख भर्ती ही अभी तक पूरी नहीं कर पाई है. यह बजट सिर्फ राजनीति से प्रेरित व बिना धरातल के सिवाय थोथी घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं है. प्रदेश का बजट सिर्फ हवाई कल्पनाओं एव कर्जे को बढ़ाने वाला है. 1500 करोड़ रुपये से आगामी 2 वर्षों में 6 नए शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा छलावा है.
पूर्व बजट की की तरह चिकित्सा सेवाओं के सुधार एव नई संस्थानो की घोषणा बिना कार्ययोजना के सिर्फ झूठ का पुलिंदा है. रीट पेपर लीक प्रकरण एवं आरएएस भर्ती के सिलेबस विवाद सहित अन्य परीक्षाओं में भी पेपर लीक होने के बाद यह सरकार आमजन के मध्य अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है. पिछले बजट की भर्तीयों को किए बिना नई भर्ती की घोषणा सिर्फ काल्पनिक एवं युवाओं को छलने वाली है.
बजट का रैपर तो बड़ा चमकीला, लेकिन डिब्बा खाली : शेखावत
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बुधवार को पेश बजट पर कटाक्ष किया और कहा कि गहलोत सरकार का बजट उस उपहार की तरह है, जिसका रैपर तो बड़ा चमकीला और आकर्षक है, लेकिन डिब्बा खाली है.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनता घोषणाएं नहीं काम देखना चाहती है. जो सरकार करप्शन में साफ इन्वॉल्व दिखती हो, उसके लुभावने वादों पर भरोसा नहीं होता. आशंका रहती है कि हर योजना में 'खेल' होगा. उन्होंने कहा कि सच ये है कि एक भी घोषणा जमीन पर और समय पर पूरी नहीं होगी.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में घोषणाओं का अंबार लगा दिया, जिसमें खासतौर से कर्मचारियों के लिए पूर्व की पेंशन लागू करना और बिजली में अनुदान जैसी घोषणा शामिल है.