जयपुर. प्रदेश में चिकित्सा विभाग ने कुछ समय पहले कोरोना से जुड़ी रैपिड टेस्टिंग किट पर सवाल उठाए थे. कहा था कि रैपिड टेस्टिंग किट पॉजिटिव मरीजों को भी नेगेटिव बता रही है, जिसके बाद आईसीएमआर ने इस किट के उपयोग पर देशभर में पाबंदी लगा दी थी. इसके बाद आईसीएमआर की ओर से एक कोरियन कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जा रही एंटीजन टेस्टिंग किट पर भी अब चिकित्सा विभाग ने सवाल उठाए हैं.
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि राजस्थान ने ही सबसे पहले रैपिड टेस्टिंग किट पर सवाल उठाए थे और कहा था कि यह किट पॉजिटिव मरीजों को भी नेगेटिव बता रही है. इसके बाद आईसीएमआर ने कोरियन कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जा रही एंटीजन टेस्ट किट से कोरोना की जांच के निर्देश दिए हैं. मामले को लेकर मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि हमने आईसीएमआर से इस एंटीजन किट की मांग की लेकिन अभी तक राजस्थान को यह किट आईसीएमआर की ओर से उपलब्ध नहीं हुई है.
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फोर्टिस अस्पताल से यह एंटीजन किट चिकित्सा विभाग ने मांगी और इसके बाद 100 पॉजिटिव मरीजों की जांच एंटीजन टेस्टिंग किट द्वारा की गई तो करीब 50% पॉजिटिव मरीजों को भी इस किट ने नेगेटिव बताया. ऐसे में चिकित्सा विभाग ने कोरियन कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे एंटीजन टेस्टिंग किट पर सवाल उठाए हैं हालांकि मंत्री ने कहा है कि करीब 100 मरीजों पर एक बार फिर से इस किट द्वारा टेस्टिंग की जाएगी और अगर इसके बाद भी नतीजे पहले जैसे रहते हैं तो आईसीएमआर को इसके बारे में अवगत कराया जाएगा.
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आईसीएमआर पर उठे सवाल
मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि रैपिड टेस्टिंग किट के बाद अब एंटीजन टेस्टिंग किट पर भी सवाल उठाने लगे हैं ऐसे में कोरोना से जुड़े इस माहौल में आईसीएमआर द्वारा किए जा रहे यह प्रयोग काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं मंत्री ने यह भी कहां की हाल ही में आईसीएमआर ने एंटीबॉडी टेस्ट के लिए 20 कंपनियों से टाईअप किया लेकिन अचानक इन कंपनियों से आईसीएमआर ने अपना अनुबंध खत्म कर दिया जिसके बाद अब आईसीएमआर जैसी बड़ी संस्था पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं.
115 मरीजों पर प्लाजमा थेरेपी
चिकित्सा विभाग ने हाल ही में प्लाज्मा थेरेपी पर काफी जोर दिया था. खुद सीएम अशोक गहलोत ने भी प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही थी. इसे लेकर चिकित्सा मंत्री का कहना है कि प्रदेश में फिलहाल 115 मरीजों पर प्लाजमा थेरेपी शुरू की गई है और इसके परिणाम 100% तक देखे गए हैं. इसके अलावा दो जीवन रक्षक इंजेक्शन भी जिसमें रेमडेसीवीर और टोसिलिजुमेब शामिल हैं, इन सभी इंजेक्शन को जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों पर उपलब्ध कराया जा रहा है.