जयपुर. 'नर सेवा, नारायण सेवा'... एक तरफ पूरा देश अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए अपनी ओर से धनराशि का योगदान कर रहा है तो वहीं जयपुर का एक रामभक्त ऐसा भी है, जिसने नर सेवा को ही नारायण सेवा मान लिया है. इस राम भक्त ने गरीबों की सेवा को ही भगवान की सेवा के तुल्य मान लिया है. जिस धनराशि से वह अयोध्या में बनने वाले रामलला के मंदिर में चांदी की ईंट रखना चाहता था, उन पैसों से गरीब और मजबूरों का पेट भर रहा है.
ये राम भक्त हैं लीलाधर सैनी, जिन्होंने अपने कार्यों से यह साफ कर दिया कि जितना जरूरी भगवान राम का मंदिर है, उतना ही जरूरी है राम के भक्तों की सेवा. इसी सेवा धर्म को अपनाते हुए कोरोना संकटकाल में जयपुर के राम भक्त लीलाधर ने लॉकडाउन के समय और अब लॉकडाउन खुलने के बाद ही, सैकड़ों बेसहारा गरीबों को हर दिन दो वक्त की रोटी मुहैया करा रहे हैं.
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आपको बता दें कि लीलाधर सैनी एक ढाबा चलाते हैं. उसका नाम श्री राम पवित्र भोजनालय है.जहां कोरोना से पहले वो एक थाली 70 रुपये में देते थे. अब 30 रुपये में ही वे भोजन देते हैं. इसके साथ ही पैसे देने में अक्षम लोगों को वह मुफ्त में भोजन करवा रहे हैं. कहते हैं कि अयोध्या मंदिर में अब वे 1 किलो चांदी की ईंट तो नहीं दे सकते. लेकिन फिर भी मंदिर के लिए अपनी आस्था से 100 ग्राम चांदी की ईंट और 5100 रुपये विश्व हिंदू परिषद को भेंट किए हैं. भले ही उन्होंने राम मंदिर में भेजे जाने वाली राशि को कम कर दिया हो लेकिन गरीबों की सेवा कर जो नेक कार्य वह कर रहे हैं उसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है.
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विश्व हिंदू परिषद जयपुर प्रांत के संगठन मंत्री राजाराम का कहना है कि राम का नाम आते ही व्यक्ति के रोम-रोम में राम नाम की भक्ति हिलोरे मारने लगती है. रामभक्त लीलाधर सैनी ने कोरोना काल से पहले 1 किलो चांदी की ईंट और कुछ राशि राम मंदिर के निर्माण के लिए भेंट करने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन बीच में कोरोना संकटकाल में उन्होंने उस राशि के समाज सेवा में लगाकर यह साबित कर दिया कि मानव सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं हैं.
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अयोध्या में बनने वाले रामलला के मंदिर का राजस्थान से भी गहरा नाता है, क्योंकि यहां के 121 धर्मस्थलों से जहां रजकण भेजे गए हैं. तो वहीं भरतपुर जिले के बंसीपहाड़पुर से मंदिर निर्माण के लिए पत्थर गए हैं. साथ ही सिरोही जिले से कारीगर.ऐसे में अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को संवारने की भी जिम्मेदारी राजस्थान के कारीगरों के कंधों पर होगी जिसे लेकर यहां के रामभक्त खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.