जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री होते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष प्रत्याशी मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में प्रचार किया जिसे लेकर विवाद (Controversy over Gehlot promotion of Kharge) खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को राजस्थान कांग्रेस के सचिव और कार्यालय प्रभारी रामसिंह कस्वां ने पूरी तरह से नकार दिया है.
रामसिंह कस्वां ने कहा कि सीएम अशोक गहलोत मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक (Kaswan on Gehlot promotion of Kharge) बने थे और प्रस्तावक वह पहला व्यक्ति होता है जो नामांकन से उम्मीदवार के साथ होता है. रामसिंह कस्वां ने कहा कि चुनाव में प्रस्तावक खुलकर उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की अपील कर सकता है. इसमें कोई गलत बात नहीं है. सीएम गहलोत ने खड़गे के पक्ष में नियमों के तहत ही अपील की है.
कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण की ओर से जो चुनाव आचार संहिता के नियम जारी किए गए हैं. उसके अनुसार यह कहा गया है कि एआईसीसी जनरल सेक्रेट्री, इंचार्ज सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेट्री, पीसीसी अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, अग्रिम संगठनों के अध्यक्ष, डिपार्टमेंट और प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व प्रवक्ता किसी भी प्रत्याशी का प्रचार नहीं कर सकते. अगर उन्हें किसी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करना है तो फिर पहले उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना होगा लेकिन विवाद उस समय खड़ा हो गया जब मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए गहलोत ने मलिकार्जुन खरगे के पक्ष में अपना वीडियो मैसेज जारी कर दिया. जब इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर खबरें चली तो अब कांग्रेस की ओर से साफ किया गया है कि प्रस्तावक के तौर पर ही मुख्यमंत्री ने यह प्रचार किया है. ऐसे में यह नियमों का उल्लंघन नहीं है.
राजेंद्र सिंह कुंपावत बोले- साफ नहीं कि प्रस्तावक प्रचार कर सकता है या नहीं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सीएलपी लीडर होने के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में वोटिंग की अपील पर विवाद खड़ा हो गया है. इस मामले में राजस्थान के कांग्रेस पार्टी के चुनाव के लिए बनाए गए पीआरओ राजेंद्र कुंपावत का कहना है कि मुख्यमंत्री खुद खड़गे के प्रस्तावक रहे हैं. ऐसे में प्रस्तावक के तौर पर उन्होंने अपने विचार रखे होंगे लेकिन ऐसे में अगर किसी को आपत्ति है और अगर चुनाव अथॉरिटी के चेयरमैन के सामने कोई शिकायत करता है तो उस पर कांग्रेस चुनाव अथॉरिटी अंतिम निर्णय लेगी. कुंपावत ने कहा कि जो एडवाइजरी जारी की है उसके हिसाब से पता नहीं चलता है की नियम प्रस्तावक पर भी लागू है या नहीं ऐसे में क्योंकि यह हमारा अंदरूनी चुनाव है उसमें शिकायत आने के बाद क्या एक्शन होता है वह दिल्ली में चुनाव प्राधिकरण ही ले सकता है.
कुंपावत ने कहा कि गहलोत ने नामांकन पर हस्ताक्षर कर पहले ही खुले मन से खड़गे को समर्थन किया है, लेकिन प्रस्तावक बनने के बाद उन्होंने जो अपने विचार व्यक्त किए हैं उचित है या नहीं यह मैं नहीं कह सकता. यह तो चुनाव प्राधिकरण ही तय कर सकता है. कुंपावत ने कहा कि इस मामले मैं अगर कोई कंप्लेंट आती है तो ही इश्यू खड़ा होता है, नहीं तो इसमें कोई चर्चा का भी कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उम्मीदवार की ओर से कंप्लेंट आती है और वह प्रावधान नहीं है तो फिर चेयरमैन इस मामले को देखेंगे. इसमें हमारा कोई रोल नहीं है.