जयपुर. भाजपा सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अशोक गहलोत सरकार पर कोरोना प्रबंधन को लेकर निशाना साधा है. राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के लिए कोरोना टेस्ट जरूरी नहीं है बल्कि विधायकों का लॉयल्टी टेस्ट ज्यादा जरूरी है. लेकिन राजस्थान की जनता को आज कोरोना टेस्ट की जरूरत है ना कि विधायकों के लॉयल्टी टेस्ट की.
मंगलवार को राज्यवर्धन सिंह राठौड़ वर्चुअल तरीके से पत्रकारों से रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट ही बता रही हैं कि गहलोत सरकार चाहती ही नहीं कि ज्यादा कोरोना टेस्ट हों. क्योंकि टेस्ट ज्यादा होंगे तो सरकार की छवि भी खराब होगी. इसलिए सरकार अधिकारियों को कहती है कि ज्यादा टेस्ट ना करें. ऐसा लग रहा है गहलोत सरकार नहीं जुगाड़ चला रहे हैं.
कांग्रेस नेता दुश्मन देश की भाषा बोल रहे
वेंटिलेटर, रेमडेसिविर इंजेक्शन, कोरोना टेस्ट और टूलकिट के मुद्दों पर उन्होंने राजस्थान सरकार को घेरा. राठौड़ ने कहा कि आपदा में कांग्रेस राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम कर रही है. जो भाषा हमारे देश के दुश्मन देश बोलते हैं, वहीं भाषा इस समय कांग्रेस के नेता बोल रहे हैं. गहलोत सरकार ने कोरोना की कोई तैयारी नहीं की. वेंटिलेटर डिब्बों से नहीं निकाले गए. केंद्र से मदद मिलने के बाद भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया गया. स्थिति तो यह है कि अब तक कर्मचारियों को वेंटिलेटर चलाने की ट्रेनिंग भी नहीं दी गई है.
राज्यवर्धन राठौड़ ने दावा किया कि दिसंबर तक सभी देशवासियों का वैक्सीनेशन हो जायेगा. इसके लिए केंद्र सरकार पूरा प्रयास कर रही है. राजस्थान सरकार का व्यवहार ऐसा कि जैसे ये सत्ता में नहीं है विपक्ष में हों. यह सरकार आंकड़े छुपाने की कसरत कर रही है, केस घटाने की कोशिश कर रही है. ऐसे मामलों को मीडिया को उठाना चाहिए. आज गांवों की खिलखिलाहट खत्म हो गई है और हर कोई सहमा हुआ है. पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन में भारत का तीसरा स्थान है. लेकिन गहलोत सरकार पूरी जिम्मेदारी केंद्र पर डालती है.
गहलोत सरकार छुपा रही मौत के आंकड़े
राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों में हेरफेर कर रही है. मीडिया में छपी खबरों के आधार पर उन्होंने कहा कि सरकार ने 3918 मौतें बताई हैं, जबकि गांवों से 14480 अर्थियां उठी हैं. सरकार के पास अस्पताल की मौत का आंकड़ा है, लेकिन घरों में मरे लोगों का आंकड़ा इनके पास नहीं है.
केंद्र सरकार ने की खूब मदद
राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में सरकार के पास 1 लाख 58 हजार करोड़ रुपये थे, लेकिन इन्होंने ऑक्सीजन से लेकर वेंटिलेटर्स लगाने में कितने खर्च किए इसका भी हिसाब इनके पास नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री को फुर्सत नहीं है. सीएम कहते हैं कि हम 7.5 करोड़ जनता तक नहीं पहुंच पाएंगे. इस तरह के बयानों से जनता का मनोबल टूटा है. मुनाफाखोरी को लेकर भी राठौड़ ने सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि चिरंजीवी योजना का ढिंढोरा पीटा गया, मगर कोई भी अस्पताल इसका लाभ नहीं दे रहा है.