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Congress Fears Horse Trading: एसीबी के बाद कांग्रेस ने सीईसी को लिखा खत, सुभाष चंद्रा के इतिहास और बयान का दिया हवाला...तुरंत एक्शन की डिमांड

सरकारी उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को खत लिखा है. इस चिट्ठी में राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर चिंता (apprehensions about horse trading in Rajasthan) जाहिर की गई है. अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने सुभाष चंद्रा के बयानों को ही आधार (Congress Fears Horse Trading) बनाया है.

Congress Fears Horse Trading
एसीबी के बाद कांग्रेस ने सीईसी को लिखा खत
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Published : Jun 8, 2022, 9:09 AM IST

जयपुर. राज्यसभा चुनावों (Rajyasabha Election 2022) को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर विधायकों पर दबाव बनाने और उनकी खरीद फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं. हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका के साथ पहले भाजपा ने कांग्रेस की ओर से कालेधन के इस्तेमाल को लेकर ईडी से शिकायत की और तुरंत एक्शन की मांग रखी. इसके कुछ घंटों बाद कांग्रेस सीईसी तक खत के जरिए पहुंच (Rajasthan Congress Letter To CEC) गई. अपनी चिट्ठी में उसने सुभाष चंद्रा पर गंभीर आरोप लगाए.

इससे पहले निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दावा किया कि उनके पास 4 विधायकों का समर्थन आ चुका है (Subhash Chandra On Cross Voting) और 8 कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे. अब इस बयान पर कांग्रेस ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को खत लिखा है. जिसमें लिखा है कि आने वाले राज्यसभा चुनाव में काले धन और केंद्रीय एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल किया जा सकता है. इस खत में संभावित हॉर्स ट्रेंडिंग को रोकने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा, भाजपा विधायक दल के नेता और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग रखी गई है.

चंद्रा का इतिहास बताया: अपनी बात को बल देने के लिए कांग्रेस ने हरियाणा से राज्यसभा के लिए चुने जाने के प्रकरण का जिक्र किया है. खत में लिखा है कि हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में भी पेन बदलकर सुभाष चंद्रा राज्यसभा चुनाव में ऐसा प्रयास कर चुके हैं. जिसके चलते चुनाव आयोग को अपनी चुनाव प्रक्रिया तक बदलनी पड़ी. पत्र में केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के जरिए भाजपा विधायकों की जबरन बाड़ेबंदी के भी आरोप लगाए गए (apprehensions about horse trading in Rajasthan) हैं.

वोटों का गणित समझाया: खत में संख्याओं का गुणा भाग कर वोटिंग प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया है. लिखा है- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व उसके समर्थन वाले विधायकों की संख्या इस प्रकार है - कांग्रेस 108, निर्दलीय - 13, BTP - 2, CPM - 2, RLD - 1. इस प्रकार यह कुल संख्या 126 विधायक होती है. भारतीय जनता पार्टी के कुल विधायकों की संख्या 71 है. इसके अलावा हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली RLP के 3 विधायक हैं. पहले भाजपा व RLP का गठबंधन था पर अब वह गठबंधन टूट चुका है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व कांग्रेस के समर्थन वाले विधायकों की कुल संख्या 126 को देखते हुए यह साफ है कि कांग्रेस के 3 राज्यसभा सांसद सीधे तौर पर चुने जा सकते हैं. एक विधायक की वोट की वेटेज इस राज्यसभा चुनाव में 100 आंकी गई है. यानि 4,001 वेटेज वोट मिलने पर 1 राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होगा. इसका मतलब है कि हर चुने जाने वाले राज्यसभा सदस्य को 40.1 (40.1X100 = 4001) विधायकों के वोट की आवश्यकता है. इसके मुताबिक 41 विधायक एक राज्यसभा सदस्य को चुन सकते हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन सांसदों को चुनने के लिए 123 वोट चाहिए, जबकि कांग्रेस को 126 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इस बहुमत के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तीन उम्मीदवारों को राज्यसभा सांसद के चुनाव में उतारा है, जिनके नाम हैं - रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक व प्रमोद तिवारी.

पढ़ेंः राजस्थानः राज्यसभा चुनाव में उतरे भाजपा समर्थित डॉ सुभाष चंद्रा, कहा-मुझे मिलेंगे 45 वोट, कांग्रेस के आरोपों को भी नकारा

पढ़ेंः मंत्री रमेश चंद्र मीणा ने राज्यसभा में सुभाष चंद्रा को दी चुनाव नहीं लड़ने की नसीहत

भाजपा के पास महज 71 विधायक: चिट्ठी में आगे लिखा है- इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी के मात्र 71 विधायक हैं. भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा के चुनावी मैदान में उतारा है तथा सुभाष चंद्रा को भाजपा समर्थित निर्दलीय राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर उतारा है. इस बात से स्पष्ट है कि सुभाष चंद्रा के नामांकन पत्र का अनुमोदन करने वाले सभी 10 प्रपोज़र राजस्थान के भाजपा विधायक हैं. एक भी निर्दलीय विधायक ने सुभाष चंद्रा के नामांकन पत्र का अनुमोदन नहीं किया. स्पष्ट है कि भाजपा के पास एक राज्यसभा उम्मीदवार को चुनने के लिए 41 विधायक हैं व 30 अतिरिक्त वोट हैं. अगर हनुमान बेनीवाल की RLP दल को भी इसमें जोड़ लिया जाए, तो भाजपा+RLP के पास मात्र 33 विधायकों का वोट है. यहां यह दोहराना जरूरी है कि 41 विधायकों के वोट से कम राज्यसभा सदस्य नहीं चुना जा सकता.साफ है कि भाजपा व श्री सुभाष चंद्रा हॉर्स ट्रेडिंग, धन-बल व ED, CBI तथा Income Tax जैसी केंद्रीय सरकारी एजेंसियों की धौंस दिखाकर जबरदस्ती एक राज्यसभा सीट जीतने का कुत्सित षड्यंत्र कर (Congress Fears Horse Trading) रहे हैं.

याद दिलाया इतिहास: हरियाणा में हुए स्याही प्रकरण की याद भी कांग्रेस ने दिलाई है. लिखा है- भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार पहले भी जून 2016 में हरियाणा विधानसभा में भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा में चुने गए थे. उस समय भी भाजपा के पास हरियाणा विधानसभा में राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए वोट नहीं थे.षड्यंत्रकारी तरीके से राज्यसभा की पूरी चुनावी प्रक्रिया बदनाम हुई, जब चुनाव में इस्तेमाल होने वाला पेन ही रहस्यमयी तरीके से बदल दिया गया. तब भी 14 विधायकों के वोट नाज़ायज़ तरीके से पेन बदलने के कारण खारिज हुए थे और INLD पार्टी की 1 वोट ‘क्रॉस वोट’ हो गई थी. चुनावी प्रक्रिया की इस भारी बदनामी के बाद चुनाव आयोग को राज्यसभा की चुनावी प्रक्रिया को ही बदलना पड़ा था.राजस्थान के मौजूदा राज्यसभा चुनाव में भी एक बार फिर भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा के पास राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए 41 विधायकों का वोट नहीं है. सवाल बड़ा सीधा है - फिर ये बाकी वोट कहां से आएंगे, क्योंकि कांग्रेस को तो पहले ही 126 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. हॉर्स ट्रेडिंग, धन-बल व सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग की काली छाया साफ तौर से राज्यसभा के इस चुनाव पर मंडरा रही है. शक की सुई सीधे-सीधे भाजपा व सुभाष चंद्रा पर है.

बताया खरीद फरोख्त का आधार: लेटर में हॉस ट्रेडिंग का आधार भी बताने की कोशिश की गई है. लिखा है- राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग, खरीद फरोख्त व धन-बल के दुरुपयोग की कलई आज पूरी तरह से खुल गई, जब सुभाष चंद्रा ने पत्रकार वार्ता कर साफ तौर से यह कहा कि उन्हें ‘‘4 और विधायकों का समर्थन आ चुका है. ’ उसी पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि ‘‘आठ लोग जो क्रॉस वोटिंग करेंगे, वो कांग्रेस के ही हैं.’’ साफ है कि भाजपा व सुभाष चंद्रा सीधे-सीधे हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं, आप जानते हैं कि हॉर्स ट्रेडिंग का आधार धन-बल व केंद्र की सरकारी एजेंसियों - ED, CBI, Income Tax आदि का भय है. एक तरफ भाजपा व सुभाष चंद्रा विधायकों की क्रॉस वोटिंग करवाने का दावा कर दंभ भर रहे हैं, और दूसरी ओर भाजपाई ED और Income Taxकी धौंस जमा रहे हैं. साफ है कि यह कानूनी अपराध है तथा इसका संज्ञान लेकर चुनाव आयोग व पुलिस को राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष, राजस्थान भाजपा विधायक दल के नेता, भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार, सुभाष चंद्रा व अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ जरूरी संवैधानिक व कानूनी कार्रवाई कर अपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए.

भाजपा करती है षड्यंत्र: कांग्रेस ने भाजपा की साजिश की ओर भी इशारा किया है. खत में आगे कहा है- राजस्थान के इससे पिछले राज्यसभा चुनाव मई 2020 में हुए थे. उस चुनाव में व उसके फौरन बाद भाजपा द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने का घिनौना षडयंत्र किया गया था. मई, 2020 के राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा द्वारा विधायकों की वोट न होते हुए भी भाजपा समर्थित निर्दलीय राज्यसभा उम्मीदवार, ओमकार सिंह लखावत को खड़ा किया गया था. तब भी विधायकों की खरीद-फरोख्त, प्रजातंत्र के चीर-हरण तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने की भाजपाई साजिश की गई. यहां तक कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली चुनी हुई सरकार के खिलाफ भाजपा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जो 14 अगस्त 2020 को विफल हो गया तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार के हक में 125 विधायकों ने वोट डाला. आखिर में एक हारी हुई भाजपा ने अपना षडयंत्र विफल होते देखकर अविश्वास प्रस्ताव को ही वापस ले लिया. उस समय भी भाजपा द्वारा सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया था.

राजस्थान के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत के भाई, अग्रसेन गहलोत पर 22 जुलाई, 2020 को 14 साल पुराने साल 2007 के एक मामले में ED द्वारा रातोंरात रेड करवाई गई. इससे पहले 13 जुलाई 2020 को राजस्थान कांग्रेस के नेताओं राजीव अरोड़ा व धर्मेंद्र राठौर के निवास व अन्य स्थानों पर रेड की गई क्योंकि वो मुखर तौर से कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को भाजपा द्वारा जबरन गिराने के षडयंत्र का विरोध कर रहे थे. इस बार के राज्यसभा चुनावों में फिर भाजपा के पास न तो विधायकों का समर्थन है और न ही भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के चुने जाने का कोई रास्ता उन्हें नजर आता. इसलिए एक बार फिर राजस्थान भाजपा व श्री सुभाष चंद्रा हॉर्स ट्रेडिंग, धन-बल की राजनीति व केंद्रीय एजेंसियों की शरण में पहुंच गए हैं. ED व Income Tax का इस्तेमाल करने के लिए झूठी, मनगढ़ंत दरख्वास्तें बदनीयत से दी जा रही हैं, ताकि केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग से राज्यसभा का चुनाव परिणाम प्रभावित किया जा सकें.

भाजपा की बाड़ेबंदी: कांग्रेस ने लिखा है- राजस्थान के भाजपा नेतृत्व व सुभाष चंद्रा ने मिलकर विधायकों की बाड़ाबंदी कर दी हैय विधायकों को निजी सुरक्षा व केंद्रीय पुलिस एजेंसियों के मातहत जबरदस्ती ताज देवी रतन रिज़ॉर्ट, आगरा रोड, जयपुर में रखा जा रहा है. कारण साफ है क्योंकि भाजपा अपने विधायक घनश्याम तिवाड़ी व सुभाष चंद्रा को उम्मीदवार बनाए जाने से क्रोध में है. खबरें यह भी आ रही हैं कि उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं व केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा कार्रवाई करने की धमकी दे डराया जा रहा है. चुनाव आयोग व एजेंसियों को इसका संज्ञान भी लेना चाहिए.

जयपुर. राज्यसभा चुनावों (Rajyasabha Election 2022) को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर विधायकों पर दबाव बनाने और उनकी खरीद फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं. हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका के साथ पहले भाजपा ने कांग्रेस की ओर से कालेधन के इस्तेमाल को लेकर ईडी से शिकायत की और तुरंत एक्शन की मांग रखी. इसके कुछ घंटों बाद कांग्रेस सीईसी तक खत के जरिए पहुंच (Rajasthan Congress Letter To CEC) गई. अपनी चिट्ठी में उसने सुभाष चंद्रा पर गंभीर आरोप लगाए.

इससे पहले निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दावा किया कि उनके पास 4 विधायकों का समर्थन आ चुका है (Subhash Chandra On Cross Voting) और 8 कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे. अब इस बयान पर कांग्रेस ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को खत लिखा है. जिसमें लिखा है कि आने वाले राज्यसभा चुनाव में काले धन और केंद्रीय एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल किया जा सकता है. इस खत में संभावित हॉर्स ट्रेंडिंग को रोकने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा, भाजपा विधायक दल के नेता और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग रखी गई है.

चंद्रा का इतिहास बताया: अपनी बात को बल देने के लिए कांग्रेस ने हरियाणा से राज्यसभा के लिए चुने जाने के प्रकरण का जिक्र किया है. खत में लिखा है कि हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में भी पेन बदलकर सुभाष चंद्रा राज्यसभा चुनाव में ऐसा प्रयास कर चुके हैं. जिसके चलते चुनाव आयोग को अपनी चुनाव प्रक्रिया तक बदलनी पड़ी. पत्र में केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के जरिए भाजपा विधायकों की जबरन बाड़ेबंदी के भी आरोप लगाए गए (apprehensions about horse trading in Rajasthan) हैं.

वोटों का गणित समझाया: खत में संख्याओं का गुणा भाग कर वोटिंग प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया है. लिखा है- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व उसके समर्थन वाले विधायकों की संख्या इस प्रकार है - कांग्रेस 108, निर्दलीय - 13, BTP - 2, CPM - 2, RLD - 1. इस प्रकार यह कुल संख्या 126 विधायक होती है. भारतीय जनता पार्टी के कुल विधायकों की संख्या 71 है. इसके अलावा हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली RLP के 3 विधायक हैं. पहले भाजपा व RLP का गठबंधन था पर अब वह गठबंधन टूट चुका है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व कांग्रेस के समर्थन वाले विधायकों की कुल संख्या 126 को देखते हुए यह साफ है कि कांग्रेस के 3 राज्यसभा सांसद सीधे तौर पर चुने जा सकते हैं. एक विधायक की वोट की वेटेज इस राज्यसभा चुनाव में 100 आंकी गई है. यानि 4,001 वेटेज वोट मिलने पर 1 राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होगा. इसका मतलब है कि हर चुने जाने वाले राज्यसभा सदस्य को 40.1 (40.1X100 = 4001) विधायकों के वोट की आवश्यकता है. इसके मुताबिक 41 विधायक एक राज्यसभा सदस्य को चुन सकते हैं. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन सांसदों को चुनने के लिए 123 वोट चाहिए, जबकि कांग्रेस को 126 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इस बहुमत के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तीन उम्मीदवारों को राज्यसभा सांसद के चुनाव में उतारा है, जिनके नाम हैं - रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक व प्रमोद तिवारी.

पढ़ेंः राजस्थानः राज्यसभा चुनाव में उतरे भाजपा समर्थित डॉ सुभाष चंद्रा, कहा-मुझे मिलेंगे 45 वोट, कांग्रेस के आरोपों को भी नकारा

पढ़ेंः मंत्री रमेश चंद्र मीणा ने राज्यसभा में सुभाष चंद्रा को दी चुनाव नहीं लड़ने की नसीहत

भाजपा के पास महज 71 विधायक: चिट्ठी में आगे लिखा है- इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी के मात्र 71 विधायक हैं. भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा के चुनावी मैदान में उतारा है तथा सुभाष चंद्रा को भाजपा समर्थित निर्दलीय राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर उतारा है. इस बात से स्पष्ट है कि सुभाष चंद्रा के नामांकन पत्र का अनुमोदन करने वाले सभी 10 प्रपोज़र राजस्थान के भाजपा विधायक हैं. एक भी निर्दलीय विधायक ने सुभाष चंद्रा के नामांकन पत्र का अनुमोदन नहीं किया. स्पष्ट है कि भाजपा के पास एक राज्यसभा उम्मीदवार को चुनने के लिए 41 विधायक हैं व 30 अतिरिक्त वोट हैं. अगर हनुमान बेनीवाल की RLP दल को भी इसमें जोड़ लिया जाए, तो भाजपा+RLP के पास मात्र 33 विधायकों का वोट है. यहां यह दोहराना जरूरी है कि 41 विधायकों के वोट से कम राज्यसभा सदस्य नहीं चुना जा सकता.साफ है कि भाजपा व श्री सुभाष चंद्रा हॉर्स ट्रेडिंग, धन-बल व ED, CBI तथा Income Tax जैसी केंद्रीय सरकारी एजेंसियों की धौंस दिखाकर जबरदस्ती एक राज्यसभा सीट जीतने का कुत्सित षड्यंत्र कर (Congress Fears Horse Trading) रहे हैं.

याद दिलाया इतिहास: हरियाणा में हुए स्याही प्रकरण की याद भी कांग्रेस ने दिलाई है. लिखा है- भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार पहले भी जून 2016 में हरियाणा विधानसभा में भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा में चुने गए थे. उस समय भी भाजपा के पास हरियाणा विधानसभा में राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए वोट नहीं थे.षड्यंत्रकारी तरीके से राज्यसभा की पूरी चुनावी प्रक्रिया बदनाम हुई, जब चुनाव में इस्तेमाल होने वाला पेन ही रहस्यमयी तरीके से बदल दिया गया. तब भी 14 विधायकों के वोट नाज़ायज़ तरीके से पेन बदलने के कारण खारिज हुए थे और INLD पार्टी की 1 वोट ‘क्रॉस वोट’ हो गई थी. चुनावी प्रक्रिया की इस भारी बदनामी के बाद चुनाव आयोग को राज्यसभा की चुनावी प्रक्रिया को ही बदलना पड़ा था.राजस्थान के मौजूदा राज्यसभा चुनाव में भी एक बार फिर भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा के पास राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए 41 विधायकों का वोट नहीं है. सवाल बड़ा सीधा है - फिर ये बाकी वोट कहां से आएंगे, क्योंकि कांग्रेस को तो पहले ही 126 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. हॉर्स ट्रेडिंग, धन-बल व सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग की काली छाया साफ तौर से राज्यसभा के इस चुनाव पर मंडरा रही है. शक की सुई सीधे-सीधे भाजपा व सुभाष चंद्रा पर है.

बताया खरीद फरोख्त का आधार: लेटर में हॉस ट्रेडिंग का आधार भी बताने की कोशिश की गई है. लिखा है- राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग, खरीद फरोख्त व धन-बल के दुरुपयोग की कलई आज पूरी तरह से खुल गई, जब सुभाष चंद्रा ने पत्रकार वार्ता कर साफ तौर से यह कहा कि उन्हें ‘‘4 और विधायकों का समर्थन आ चुका है. ’ उसी पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि ‘‘आठ लोग जो क्रॉस वोटिंग करेंगे, वो कांग्रेस के ही हैं.’’ साफ है कि भाजपा व सुभाष चंद्रा सीधे-सीधे हॉर्स ट्रेडिंग कर रहे हैं, आप जानते हैं कि हॉर्स ट्रेडिंग का आधार धन-बल व केंद्र की सरकारी एजेंसियों - ED, CBI, Income Tax आदि का भय है. एक तरफ भाजपा व सुभाष चंद्रा विधायकों की क्रॉस वोटिंग करवाने का दावा कर दंभ भर रहे हैं, और दूसरी ओर भाजपाई ED और Income Taxकी धौंस जमा रहे हैं. साफ है कि यह कानूनी अपराध है तथा इसका संज्ञान लेकर चुनाव आयोग व पुलिस को राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष, राजस्थान भाजपा विधायक दल के नेता, भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार, सुभाष चंद्रा व अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ जरूरी संवैधानिक व कानूनी कार्रवाई कर अपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए.

भाजपा करती है षड्यंत्र: कांग्रेस ने भाजपा की साजिश की ओर भी इशारा किया है. खत में आगे कहा है- राजस्थान के इससे पिछले राज्यसभा चुनाव मई 2020 में हुए थे. उस चुनाव में व उसके फौरन बाद भाजपा द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने का घिनौना षडयंत्र किया गया था. मई, 2020 के राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा द्वारा विधायकों की वोट न होते हुए भी भाजपा समर्थित निर्दलीय राज्यसभा उम्मीदवार, ओमकार सिंह लखावत को खड़ा किया गया था. तब भी विधायकों की खरीद-फरोख्त, प्रजातंत्र के चीर-हरण तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने की भाजपाई साजिश की गई. यहां तक कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली चुनी हुई सरकार के खिलाफ भाजपा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जो 14 अगस्त 2020 को विफल हो गया तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सरकार के हक में 125 विधायकों ने वोट डाला. आखिर में एक हारी हुई भाजपा ने अपना षडयंत्र विफल होते देखकर अविश्वास प्रस्ताव को ही वापस ले लिया. उस समय भी भाजपा द्वारा सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया था.

राजस्थान के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत के भाई, अग्रसेन गहलोत पर 22 जुलाई, 2020 को 14 साल पुराने साल 2007 के एक मामले में ED द्वारा रातोंरात रेड करवाई गई. इससे पहले 13 जुलाई 2020 को राजस्थान कांग्रेस के नेताओं राजीव अरोड़ा व धर्मेंद्र राठौर के निवास व अन्य स्थानों पर रेड की गई क्योंकि वो मुखर तौर से कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को भाजपा द्वारा जबरन गिराने के षडयंत्र का विरोध कर रहे थे. इस बार के राज्यसभा चुनावों में फिर भाजपा के पास न तो विधायकों का समर्थन है और न ही भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के चुने जाने का कोई रास्ता उन्हें नजर आता. इसलिए एक बार फिर राजस्थान भाजपा व श्री सुभाष चंद्रा हॉर्स ट्रेडिंग, धन-बल की राजनीति व केंद्रीय एजेंसियों की शरण में पहुंच गए हैं. ED व Income Tax का इस्तेमाल करने के लिए झूठी, मनगढ़ंत दरख्वास्तें बदनीयत से दी जा रही हैं, ताकि केंद्रीय सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग से राज्यसभा का चुनाव परिणाम प्रभावित किया जा सकें.

भाजपा की बाड़ेबंदी: कांग्रेस ने लिखा है- राजस्थान के भाजपा नेतृत्व व सुभाष चंद्रा ने मिलकर विधायकों की बाड़ाबंदी कर दी हैय विधायकों को निजी सुरक्षा व केंद्रीय पुलिस एजेंसियों के मातहत जबरदस्ती ताज देवी रतन रिज़ॉर्ट, आगरा रोड, जयपुर में रखा जा रहा है. कारण साफ है क्योंकि भाजपा अपने विधायक घनश्याम तिवाड़ी व सुभाष चंद्रा को उम्मीदवार बनाए जाने से क्रोध में है. खबरें यह भी आ रही हैं कि उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं व केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा कार्रवाई करने की धमकी दे डराया जा रहा है. चुनाव आयोग व एजेंसियों को इसका संज्ञान भी लेना चाहिए.

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