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Rajyasabha Chunav 2022: पहली जिताऊ सीट पर भाजपा के कई दावेदार, दूसरी सीट पर प्रत्याशी ढूंढना चुनौती... ये है कारण!

राज्यसभा चुनाव (Rajyasabha Chunav 2022) की 4 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही भाजपा में पहली जिताऊ सीट पर टिकट के लिए कई दावेदार लॉबिंग में जुट गए हैं. विधायकों की संख्या बल के लिहाज से भाजपा की 1 सीट पर जीत तय है. पार्टी दूसरी सीट पर कांग्रेस को वॉक ओवर नहीं देना चाहती. चूंकि दूसरी सीट पर भाजपा की हार की संभावना प्रबल है इसलिए उपयुक्त प्रत्याशी का चयन भी भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है.

Rajyasabha Chunav 2022
भाजपा के लिए दूसरी सीट पर प्रत्याशी चुनना चुनौतीपूर्ण
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Published : May 25, 2022, 11:29 AM IST

जयपुर. पिछली बार राजस्थान में जब 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था तब भी भाजपा के पास एक सीट पर जीत के लिए ही पर्याप्त विधायक थे बावजूद इसके दूसरी सीट पर भी प्रत्याशी उतारा. हालांकि बीजेपी को पता था कि दूसरी सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी की जीत नहीं होगी. बावजूद इसके वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत के नाम को आगे किया गया. पार्टी सिंबल के बिना ही उन्हें राज्यसभा चुनाव में उतारा गया नतीजा वही रहा जिसकी उम्मीद थी ओंकार सिंह लखावत चुनाव हार गए. तब लखावत को इस बात की जानकारी थी कि उन्हें हारने के लिए ही इस चुनाव में उतारा गया है लेकिन अब बीजेपी को ऐसे ही किसी वरिष्ठ नेता की जरूरत है जो हारने के लिए यह चुनाव (BJP Mission Rajyasabha In Rajasthan) लड़े.

इस बार 11 अतिरिक्त वोट की दरकार: राज्यसभा की प्रत्येक सीट पर जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए. बीजेपी के पास 71 वोट हैं. इसी में दूसरी सीट पर प्रत्याशी खड़े करने और उसे जिताने के लिए बीजेपी को अपने 30 अतिरिक्त वोटों के साथ निर्दलीय या अन्य 11 विधायकों के भी वोट हासिल करने होंगे. निर्दलीय व अन्य छोटे दलों में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ऐसे प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है जो धन, बल और व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर दूसरे खेमे के विधायकों में सेंधमारी (BJP Vs Congress) कर सके. पार्टी को ऐसे ही वरिष्ठ नेता की तलाश (BJP in Search of 2nd candidate for RS) है.

पढ़ें-BJP On Mission Rajyasabha: पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी बोले- निर्दलीय और कांग्रेसी भी हमारे संपर्क में

दूसरे टिकट पर निर्णय करेगा आलाकमान: बीजेपी अपने प्रथम वरीयता के वोट वाले प्रत्याशी को तो सिंबल पर ही उतारेगी लेकिन संभावित हार वाली दूसरी सीट पर बीजेपी अपना सिंबल देकर प्रत्याशी उतारेगी या नहीं इसका फैसला पार्टी आलाकमान करेगा. पिछले चुनाव में ओंकार सिंह लखावत भले ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हों लेकिन उन्हें भी संभावित हार वाली सीट पर पार्टी ने बिना सिंबल के ही उतारा था. इस बार भी पार्टी संभवत ऐसा कर सकती है या फिर बीजेपी किसी बाहरी प्रत्याशी को भी अपना समर्थन दे सकती है लेकिन इसका फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही करेगा.

ये भी पढ़ें-Hanuman Beniwal targeted BJP and Congress: राज्यसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस को समर्थन नहीं देगी आरएलपी, राज्यसभा व राज्यपाल की नहीं है आवश्यकता- हनुमान बेनीवाल

भाजपा कोर ग्रुप बैठक में इन नेताओं पर हुआ था मंथन: बताया जा रहा है कि 18 मई को हुई बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में कुछ नाम इस पद के लिए रखे गए थे लेकिन उन पर चर्चा नहीं हुई. अब तक भाजपा में जिन नेताओं का नाम राज्यसभा के लिए चल रहा है उनमें बीजेपी की राष्ट्रीय मंत्री डॉ अलका सिंह गुर्जर,मौजूदा सांसद ओम माथुर, राजस्थान प्रदेश महामंत्री भजन लाल शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच,वरिष्ठ नेता एसडी शर्मा के साथ ही अरुण चतुर्वेदी और घनश्याम तिवाड़ी का भी नाम चर्चाओं में है. वहीं भाजपा में शामिल हुए सुनील जाखड़ के नाम को लेकर भी चर्चा का दौर शुरू हुआ है. इसी तरह अनुसूचित जाति के महेंद्र जाटव का नाम भी चर्चाओं में है. बताया जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व ओम माथुर के नाम को लेकर कन्फ्यूजन में है क्योंकि इस पर केंद्रीय आलाकमान फैसला लेगा कि माथुर को राज्यसभा भेजना है या नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल विदेश यात्रा पर हैं और उनके आने के बाद ही इस पर भी निर्णय होगा.

जयपुर. पिछली बार राजस्थान में जब 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था तब भी भाजपा के पास एक सीट पर जीत के लिए ही पर्याप्त विधायक थे बावजूद इसके दूसरी सीट पर भी प्रत्याशी उतारा. हालांकि बीजेपी को पता था कि दूसरी सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी की जीत नहीं होगी. बावजूद इसके वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत के नाम को आगे किया गया. पार्टी सिंबल के बिना ही उन्हें राज्यसभा चुनाव में उतारा गया नतीजा वही रहा जिसकी उम्मीद थी ओंकार सिंह लखावत चुनाव हार गए. तब लखावत को इस बात की जानकारी थी कि उन्हें हारने के लिए ही इस चुनाव में उतारा गया है लेकिन अब बीजेपी को ऐसे ही किसी वरिष्ठ नेता की जरूरत है जो हारने के लिए यह चुनाव (BJP Mission Rajyasabha In Rajasthan) लड़े.

इस बार 11 अतिरिक्त वोट की दरकार: राज्यसभा की प्रत्येक सीट पर जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए. बीजेपी के पास 71 वोट हैं. इसी में दूसरी सीट पर प्रत्याशी खड़े करने और उसे जिताने के लिए बीजेपी को अपने 30 अतिरिक्त वोटों के साथ निर्दलीय या अन्य 11 विधायकों के भी वोट हासिल करने होंगे. निर्दलीय व अन्य छोटे दलों में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ऐसे प्रत्याशी पर दांव खेल सकती है जो धन, बल और व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर दूसरे खेमे के विधायकों में सेंधमारी (BJP Vs Congress) कर सके. पार्टी को ऐसे ही वरिष्ठ नेता की तलाश (BJP in Search of 2nd candidate for RS) है.

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दूसरे टिकट पर निर्णय करेगा आलाकमान: बीजेपी अपने प्रथम वरीयता के वोट वाले प्रत्याशी को तो सिंबल पर ही उतारेगी लेकिन संभावित हार वाली दूसरी सीट पर बीजेपी अपना सिंबल देकर प्रत्याशी उतारेगी या नहीं इसका फैसला पार्टी आलाकमान करेगा. पिछले चुनाव में ओंकार सिंह लखावत भले ही बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हों लेकिन उन्हें भी संभावित हार वाली सीट पर पार्टी ने बिना सिंबल के ही उतारा था. इस बार भी पार्टी संभवत ऐसा कर सकती है या फिर बीजेपी किसी बाहरी प्रत्याशी को भी अपना समर्थन दे सकती है लेकिन इसका फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही करेगा.

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भाजपा कोर ग्रुप बैठक में इन नेताओं पर हुआ था मंथन: बताया जा रहा है कि 18 मई को हुई बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में कुछ नाम इस पद के लिए रखे गए थे लेकिन उन पर चर्चा नहीं हुई. अब तक भाजपा में जिन नेताओं का नाम राज्यसभा के लिए चल रहा है उनमें बीजेपी की राष्ट्रीय मंत्री डॉ अलका सिंह गुर्जर,मौजूदा सांसद ओम माथुर, राजस्थान प्रदेश महामंत्री भजन लाल शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच,वरिष्ठ नेता एसडी शर्मा के साथ ही अरुण चतुर्वेदी और घनश्याम तिवाड़ी का भी नाम चर्चाओं में है. वहीं भाजपा में शामिल हुए सुनील जाखड़ के नाम को लेकर भी चर्चा का दौर शुरू हुआ है. इसी तरह अनुसूचित जाति के महेंद्र जाटव का नाम भी चर्चाओं में है. बताया जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व ओम माथुर के नाम को लेकर कन्फ्यूजन में है क्योंकि इस पर केंद्रीय आलाकमान फैसला लेगा कि माथुर को राज्यसभा भेजना है या नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल विदेश यात्रा पर हैं और उनके आने के बाद ही इस पर भी निर्णय होगा.

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