जयपुर. राजस्थान विधानसभा में भले ही विधायकों की संख्या बल के आधार पर भाजपा विधायकों की संख्या कम हो, लेकिन राज्यसभा की एक सीट पर 26 अगस्त को होने उप चुनाव में भाजपा कांग्रेस से दो-दो हाथ करने को तैयार दिखती है. क्योंकि यह सीट भाजपा के तत्कालिक अध्यक्ष रहे मदन लाल सैनी के निधन के चलते खाली हुई थी. ऐसे में भाजपा चाहेगी कि इस उप चुनाव के जरिए वह अन्य राजनीतिक दल व निर्दलीय विधायकों को भी अपने साथ जोड़ कर इस सीट पर कब्जा जमा सके.
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हालांकि, ऐसा नहीं हुआ तो भी भाजपा चाहेगी कि कम से कम यह सीट कांग्रेस के खाते में तो ना जाए. खुद भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ कहते हैं कि उप चुनाव लड़ने का पार्टी का मानस है, लेकिन अंतिम रणनीति पार्टी आलाकमान से मिले निर्देश के बाद ही तय होगी.
जल्द ही हम बैठेंगे और तय करेंगे बहतर कैंडिडेट : कटारिया
वहीं जब इस बारे में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से बात की गई तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब तक हम एक साथ बैठकर इस विषय पर चर्चा नहीं कर लेते तब तक कुछ बोलना उचित नहीं होगा. लेकिन कटारिया ने यह जरूर कहा कि जल्द ही हम इस संबंध में बैठेंगे और जो अच्छे से अच्छा कैंडिडेट होगा उसे लगवाने पर विचार करेंगे. मतलब कटारिया के मन में भी कांग्रेस को इस उपचुनाव में वोट देने की मंशा नहीं है.
200 में से भाजपा के 72 और कांग्रेस के हैं 100 विधायक...
राज्यसभा के चुनाव में वोट डालने का अधिकार विधायकों को होता है. उस लिहाज से राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 2 सीट फिलहाल खाली है. मतलब 198 विधायक मौजूदा हैं जिनमें 72 विधायक भाजपा के और 100 विधायक कांग्रेस के हैं.
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इसी तरह आरएलपी, बीटीपी और सीपीएम के 2-2 विधायक हैं. जबकि बहुजन समाज पार्टी के 6 व राष्ट्रीय लोक दल का 1 और 13 निर्दलीय विधायक हैं. मतलब भाजपा की तुलना इस सीट पर कांग्रेस की जीत होना लगभग तय है. लेकिन यदि भाजपा चुनाव मैदान में उतरी तो जीत की तिकड़म बैठाने के लिए पार्टी को अन्य विधायकों को भी तोड़ कर अपने पक्ष में करना होगा. हालांकि उसमें कितनी सफलता पार्टी को मिलेगी यह तो समय ही बताएगा.