जयपुर. राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के (Poonia Retirement age formula) बयान पर सियासत जारी है. पूनिया भले ही 70 साल की उम्र के बाद राजनीति से रिटायरमेंट लेने के पक्ष में हों, लेकिन प्रदेश भाजपा कोर कमेटी के सदस्य और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ इसके पक्ष में नहीं दिखे. उन्होंने कहा कि राजनीति तो सेवा का माध्यम है और सेवा करने में कभी उम्र बाधा नहीं बनती है.
मंगलवार को जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि उम्र, राजनीति और अनुभव, इन तीनों का चोली-दामन का साथ है. उनके अनुसार निश्चित तौर पर नौजवानों को राजनीति व सामाजिक सेवा का मौका मिलना चाहिए और उनको इस क्षेत्र में आना भी चाहिए. लेकिन उम्र के साथ-साथ यहां अनुभव भी मायने रखता है.
राजेंद्र राठौड़ ने इस दौरान राजस्थान में बनाए गए अब तक मुख्यमंत्रियों के अनुभव का उदाहरण भी रख दिया. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री बने अनुभव के साथ बने और उन्होंने बेहतरीन तरीके से राजस्थान की सेवा की. राठौड़ ने कहा कि अलग-अलग राजनीतिक दल उम्र की बाध्यता को लेकर अलग-अलग नीतियां बना सकते हैं. लेकिन उम्र और राजनीति में जब तक आदमी सक्रिय है काम कर सकता है. राठौड़ ने कहा कि पदों पर पहुंचना ही राजनीति नहीं होती. राजनीति सेवा का माध्यम है और सेवा में कभी भी उम्र बाधक नहीं बनती.
पिछले दिनों जयपुर में आयोजित टॉक जर्नलिज्म कार्यक्रम में चर्चा के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र 70 वर्ष होने की वकालत की थी और यह भी ऐलान किया था कि 70 वर्ष की उम्र के बाद वे सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट ले लेंगे.