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डिस्कॉम औसत बिल की आड़ में उपभोक्ताओं से वसूली का धंधा चला रहा है: राजेंद्र राठौड़

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सोमवार को ट्वीट कर डिस्कॉम की कार्यशैली पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि औसत बिल की आड़ में उपभोक्ताओं से वसूली का धंधा चलाया जा रहा है.

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Published : Jun 28, 2021, 4:12 PM IST

Question on working style of discom, Rajendra Rathore
राजेंद्र राठौड़

जयपुर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण (Corona Cases in Rajasthan) कम होने के बाद भले ही अनलॉक (Unlock in Rajasthan) का दौर शुरू कर दिया गया हो, लेकिन प्रदेश के अधिकतर बिजली उपभोक्ताओं को अब भी बिजली के औसत बिल ही जारी हो रहे हैं. बिजली के खराब मीटर सहित अन्य गड़बड़ी के नाम पर जारी हो रहे औसत बिल पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि औसत बिल की आड़ में उपभोक्ताओं से वसूली का धंधा चलाया जा रहा है.

पढ़ें- बिजली उपभोक्ताओं को फ्यूल सरचार्ज का झटका देने की तैयारी, भाजपा ने दी चेतावनी

राजेंद्र राठौड़ ने सोमवार को ट्वीट कर डिस्कॉम (Discom) की कार्यशैली पर सवाल उठाया. राठौड़ ने लिखा कि- 'कांग्रेस सरकार (Congress Government) की गलत नीतियों व डिस्कॉम प्रबंधन की घोर लापरवाही का खामियाजा विद्युत उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है. राज्य में करीब 7 लाख बिजली मीटरों में खराबी होने पर इन्हें बदलवाने की बजाय लगातार प्रोविजनल (औसत) बिल की आड़ में उपभोक्ताओं से वसूली का धंधा चलाया जा रहा है.'

Question on working style of discom, Rajendra Rathore
राजेंद्र राठौड़ का ट्वीट

नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां

राठौड़ ने लिखा- 'ऊर्जा मंत्रालय के इलेक्ट्रिसिटी राइट्स ऑफ कंजूमर रूल्स (Electricity Rights of Consumer Rules) और राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (Rajasthan Electricity Regulatory Commission) के सप्लाई कोर्ट के तहत 1 साल में दो से ज्यादा औसत बिल नहीं भेजे जा सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर उपभोक्ताओं को बिना रीडिंग के ज्यादा राशि के बिल थमाए जा रहे हैं.'

कोरोना में आम उपभोक्ता और व्यापारी आर्थिक तंगहाली से गुजर रहा है. वहीं, वेरिएबल कोस्ट के नाम पर फ्यूल सरचार्ज को 7 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाने और पिछली सरकार के फ्यूल सरचार्ज को 30 पैसे से बढ़ाकर 57 पैसे प्रति यूनिट करने से सिद्ध होता है कि उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने का क्रम जारी है.

नियम यह भी है...

शहरी क्षेत्र में खराब मीटर को 24 घंटे में और ग्रामीण इलाकों में 72 घंटों में बदलने का प्रावधान है. हालांकि, जो प्रावधान बनाए गए हैं उनकी पालना बहुत कम होती है. जयपुर डिस्कॉम (Jaipur Discom) निदेशक नवीन अरोड़ा का कहना है कि खराब मीटर की जानकारी मिलते ही उन्हें तुरंत बदले जाने के निर्देश सभी अभियंताओं को दे रखे हैं. नवीन ने कहा कि औसत बिल उसी स्थिति में जारी हो रहे हैं जब मीटर में दिक्कत हो या फिर घर या दुकान जिसमें मीटर लगे हो वो बंद हो.

लेकिन, सच्चाई इससे अलग है. शहरी इलाकों में कई उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके इस महीने भी मीटर की रीडिंग (Meter Reading) नहीं हुई, लेकिन बिजली का बिल आ गया. जबकि जयपुर डिस्कॉम की ओर से स्पॉट रीडिंग (Spot Reading) करने के निर्देश जारी कर दिए गए थे. वहीं, एक अन्य ट्वीट के जरिए राठौड़ ने गहलोत सरकार की चिरंजीवी बीमा योजना की खामियों को भी गिनाया.

जयपुर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण (Corona Cases in Rajasthan) कम होने के बाद भले ही अनलॉक (Unlock in Rajasthan) का दौर शुरू कर दिया गया हो, लेकिन प्रदेश के अधिकतर बिजली उपभोक्ताओं को अब भी बिजली के औसत बिल ही जारी हो रहे हैं. बिजली के खराब मीटर सहित अन्य गड़बड़ी के नाम पर जारी हो रहे औसत बिल पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि औसत बिल की आड़ में उपभोक्ताओं से वसूली का धंधा चलाया जा रहा है.

पढ़ें- बिजली उपभोक्ताओं को फ्यूल सरचार्ज का झटका देने की तैयारी, भाजपा ने दी चेतावनी

राजेंद्र राठौड़ ने सोमवार को ट्वीट कर डिस्कॉम (Discom) की कार्यशैली पर सवाल उठाया. राठौड़ ने लिखा कि- 'कांग्रेस सरकार (Congress Government) की गलत नीतियों व डिस्कॉम प्रबंधन की घोर लापरवाही का खामियाजा विद्युत उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है. राज्य में करीब 7 लाख बिजली मीटरों में खराबी होने पर इन्हें बदलवाने की बजाय लगातार प्रोविजनल (औसत) बिल की आड़ में उपभोक्ताओं से वसूली का धंधा चलाया जा रहा है.'

Question on working style of discom, Rajendra Rathore
राजेंद्र राठौड़ का ट्वीट

नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां

राठौड़ ने लिखा- 'ऊर्जा मंत्रालय के इलेक्ट्रिसिटी राइट्स ऑफ कंजूमर रूल्स (Electricity Rights of Consumer Rules) और राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (Rajasthan Electricity Regulatory Commission) के सप्लाई कोर्ट के तहत 1 साल में दो से ज्यादा औसत बिल नहीं भेजे जा सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर उपभोक्ताओं को बिना रीडिंग के ज्यादा राशि के बिल थमाए जा रहे हैं.'

कोरोना में आम उपभोक्ता और व्यापारी आर्थिक तंगहाली से गुजर रहा है. वहीं, वेरिएबल कोस्ट के नाम पर फ्यूल सरचार्ज को 7 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाने और पिछली सरकार के फ्यूल सरचार्ज को 30 पैसे से बढ़ाकर 57 पैसे प्रति यूनिट करने से सिद्ध होता है कि उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने का क्रम जारी है.

नियम यह भी है...

शहरी क्षेत्र में खराब मीटर को 24 घंटे में और ग्रामीण इलाकों में 72 घंटों में बदलने का प्रावधान है. हालांकि, जो प्रावधान बनाए गए हैं उनकी पालना बहुत कम होती है. जयपुर डिस्कॉम (Jaipur Discom) निदेशक नवीन अरोड़ा का कहना है कि खराब मीटर की जानकारी मिलते ही उन्हें तुरंत बदले जाने के निर्देश सभी अभियंताओं को दे रखे हैं. नवीन ने कहा कि औसत बिल उसी स्थिति में जारी हो रहे हैं जब मीटर में दिक्कत हो या फिर घर या दुकान जिसमें मीटर लगे हो वो बंद हो.

लेकिन, सच्चाई इससे अलग है. शहरी इलाकों में कई उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके इस महीने भी मीटर की रीडिंग (Meter Reading) नहीं हुई, लेकिन बिजली का बिल आ गया. जबकि जयपुर डिस्कॉम की ओर से स्पॉट रीडिंग (Spot Reading) करने के निर्देश जारी कर दिए गए थे. वहीं, एक अन्य ट्वीट के जरिए राठौड़ ने गहलोत सरकार की चिरंजीवी बीमा योजना की खामियों को भी गिनाया.

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