जयपुर. आम बजट के बाद अब सबकी उम्मीद राजस्थान के आने वाले बजट पर है जो 24 फरवरी को राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेश करेंगे. हालांकि प्रतिपक्ष यानी भाजपा को आने वाले प्रदेश के बजट से कोई उम्मीद नहीं है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने तो यह भी कह दिया कि पिछले 2 बजट की 30 फीसदी घोषणाएं भी अब तक जो सरकार पूरी नहीं कर पाई उससे नए बजट में किसी प्रकार की कोई उम्मीद करना बेमानी होगा. आगामी बजट को लेकर ईटीवी भारत ने की राठौड़ से खास बात...
संविधानिक मजबूरी है बजट लाना जबकि ट्रैक रिकॉर्ड देखकर नहीं कोई उम्मीद
ईटीवी भारत इस मसले पर बातचीत के दौरान राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि एक प्रकार से संवैधानिक मजबूरी है. जिसके चलते हर वर्ष राज्य सरकार को अपने अनुमानित आय के साथ वार्षिक बजट के रूप में सदन में बजट पेश करना पड़ता है लेकिन मौजूदा गहलोत सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड को यदि देखें तो आज तक सदन में जो बजट रखे गए, उसके सही तरीके से समीक्षा नहीं हुई. उसके पीछे बड़ा कारण यही रहा कि मुख्यमंत्री भारी-भरकम विभागों को अपने साथ लेकर चल रहे हैं. फिर चाहे वित्त विभाग का मामला हो या गृह विभाग सहित अन्य विभागों का, ऐसे में जो घोषणा की गई वह धरातल पर नहीं पहुंच पाई है.
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वार्षिक योजनाओं में भारी-भरकम प्रावधान लेकिन सिर्फ घोषणा वीर रही सरकार
उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार पहले वर्ष 1 लाख 16 हजार करोड़ की वार्षिक योजना और दूसरे वर्ष 1 लाख 10 हजार करोड़ की वार्षिक योजना लेकर आई लेकिन दोनों ही वर्षों के यदि कामकाज का लेखा-जोखा तैयार किया जाए तो 30% बजट घोषणाए भी धरातल पर पूरी नहीं हुई. राजेंद्र राठौड़ के अनुसार वार्षिक बजट का अपना महत्व होता है लेकिन सरकार अपनी घोषणाओं के प्रति भी गंभीर नहीं है. यही कारण है कि यदि मौजूदा गहलोत सरकार को यदि घोषणा वीर सरकार भी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. राठौड़ ने कहा बजट में सिर्फ आंकड़े और घोषणा है कि साथ कपोल कल्पित बातें सामने आती है लेकिन नतीजे पर जाए तो वो शून्य ही निकलता है. राठौड़ ने कहा मुझे नहीं लगता कि आने वाले बजट के जरिए प्रदेश सरकार राजस्थान के विकास का कोई मेरुदंड बना पाने में सफल हो पाएगी.
बढ़ रहा रेवेन्यू डिफिसिट आईसीयू में है सरकार, कैसे करें कोई उम्मीद
राजेंद्र राठौड़ ने यह भी कहा कि भले ही प्रदेश में 4 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार चुनावी मौसम में वोटों की फसल काटने के लिए घोषणाओं का अंबार तो लगा सकती है लेकिन प्रदेश सरकार ने ही एफआरबीएम एक्ट के तहत जो प्रतिवेदन सार्वजनिक किया है उससे यह सिद्ध हो गया है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर इसके आधार पर विकास होता है वह लगातार कम किया जा रहा है सरकार का राजस्व भी गिर रहा है यह सारी स्थितियां देखकर कहा जा सकता है कि सरकार आर्थिक रूप से आईसीयू में चली गई है और इसी प्रकार से किसी भी प्रकार की सौगात ओं की उम्मीद करना बेमानी होगा.
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कोविड काल में सब की स्थिति हुई खराब लेकिन केंद्र सरकार ने भी पेश किया विकास का बजट
राजेंद्र राठौड़ से जब पूछा गया कि कोरोना काल के दौरान देश और प्रदेश की आर्थिक स्थिति यूं ही खराब थी. ऐसे में घोषणाएं पूरी नहीं हो पाने का एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है तो राठौड ने कहा की स्थितियां पूरे देश भर में और विदेशों में भी खराब थी. बावजूद इसके केंद्र कि मोदी सरकार ने विकास से जुड़ा बजट पेश किया. राठौड़ के अनुसार मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही कोरोना काल भी रहा है लेकिन उससे पहले जब गहलोत सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया था उस वित्तीय वर्ष में आर्थिक स्थिति भी खराब नहीं थी लेकिन फिर भी जो घोषणाएं की गई वह समय पर पूरी नहीं हुई.
पेट्रोल डीजल पर वेट कम करते सरकार दे दे राहत तो ही रहेगा ठीक
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि ऐसे तो आने वाले प्रदेश के बजट से किसी प्रकार की कोई उम्मीद करना बेमानी होगा लेकिन फिर भी प्रदेश सरकार पेट्रोल और डीजल पर जो सर्वाधिक वेट लगा रखा है. उसे यदि कम करके पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में जो वैट की दरें थी, उतना ही कर दे तो भी प्रदेश की जनता को बढ़ती हुई महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है. राठौड़ ने कहा मौजूदा गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान डीजल पर 10% पेट्रोल पर 12% वैट की दरों में इजाफा किया है.