जयपुर. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि (आरयूएचएस) की ओर से दो माह में दूसरी बार मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा निरस्त होने को सरकारी सेवा में नौकरी करने का ख्वाब देख रहे हजारों चिकित्सकों के साथ क्रूर मजाक बताते हुए इसकी न्यायिक जांच करवाए जाने की मांग की है.
राजेंद्र राठौड़ ने एक वक्तव्य जारी कर राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से परीक्षा के बार-बार निरस्त होने व गड़बड़ी पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने व परीक्षा की न्यायिक जांच किए जाने की मांग की है. राठौड़ ने कहा कि राजधानी जयपुर के 21 परीक्षा केन्द्रों में 2 हजार पदों के लिए मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश भर से अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए उपस्थित हुए, लेकिन जयपुर के तीन परीक्षा केन्द्रों में प्रशासन की लापरवाही से 700 से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा देने से वंचित हो गए.
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राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में सरकारी सेवा में बड़ी संख्या में मेडिकल ऑफिसर के पद रिक्त हैं और दो माह में दूसरी बार भी सफलतापूर्वक परीक्षा का आयोजन नहीं होना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. जबकि पहली भर्ती परीक्षा 12 जुलाई को आयोजित की गई थी.
राठौड़ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में चिकित्साकर्मियों के रिक्त पदों से जूझ रहे प्रदेश की जनता को चिकित्सा सेवाओं की सख्त जरूरत है. ऐसे में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि प्रशासन की लापरवाही अभ्यर्थियों पर भारी पड़ रही है और कुलपति परीक्षा की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का काम कर रहे हैं.
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने 2 हजार मेडिकल ऑफिसर की भर्ती परीक्षा का जिम्मा राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि को सौंपा था, जबकि राज्य में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) जैसी संवैधानिक संस्था है, जो कई बड़ी परीक्षाओं को आयोजित करवाती है. राठौड़ के अनुसार मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा का निरस्त होना ये दर्शाता है कि आरयूएचएस कुलपति इस भर्ती परीक्षा को कराने के लिए गंभीर नहीं है और किन IT एजेंसियों के द्वारा परीक्षा को आयोजित किया जा रहा है, ये भी गहन जांच का विषय है.